ब्रजेश कुमार-
मुजफ्फरपुर शहर के वरीय चिकित्सक डॉ. टीके झा के पुत्र और दिल्ली मैक्स हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. सुजीत कुमार झा नहीं रहे। डॉ. सुजीत झा दिल्ली/एनसीआर के जाने माने डॉक्टरों में से एक थे, दो महीने पहले ही उन्हें ब्लड कैंसर हुआ था ।
मामला यह है कि जिसका परिवार डॉक्टरी का है स्वयँ एक कुशल डॉक्टर है देश के सर्वोच्च हॉस्पिटल में स्वयं कार्यरत रहे है तब यह हालात है तो सोचिये एक गरीब, मजदूर या सामान्य परिवार का व्यक्ति बीमारी के जंजाल में फंस जाता है फिर उसका क्या होता है. कुशल डॉक्टर छोटे शहर में नही रहते है इस कारण से करोडो गरीब, मजदूर मरीज हर साल अपनी जान गवाते है.. कोरोना ने हम सबको जमीनी हकीकत बहुत करीब से दिखाया मगर मनुष्य का स्वभाव ऐसा है कि मनुष्य मनुष्य की मदद करने के लिये आगे नही बढ़ता है, हजारो हजार डॉक्टर बिहार मूल के देश विदेश में बैठे है वो चाहे तो डिजटली भी लाखों लोगों की मदद कर सकते है मगर भाव नही है. सच पूछिये बिहार का मरीज बिहार के शहरों में इतना शोषित कर लिया जाता है कि उसके बचने की सम्भवना छीन हो जाती है, वो बड़े शहरों में नही जा पाता है .. आज सुजीत जी को जो श्रद्धांजलि मिल रही है उसमें से ज्यादातर लोग उनके पिताजी डॉक्टर टी के झा के नाम से दे रहे है क्योंकि टिके झा सर ने बिहार के समाज मे लाखो जिदंगी दी है।
“होइहि सोइ जो राम रचि राखा” फिर काहे का झूठ-फरेब का खेल खेलकर ठेर सारे खिलौने इक्कठा करना..जो है उसे मिल बांटकर रखे जितना हो सके उतना मदद करे एक दूसरे की ।