जोधपुर। दैनिक ‘वाइस आफ हक’ के प्रधान संपादक डा. सैयद मोईनुल हक पर गत दिनों हथियारों से लैस करीब एक दर्जन हमलावरों ने उस वक्त कातिलाना हमला कर दिया, जब वे जालोरी गेट स्थित अपने कार्यालय से कमला नेहरु नगर अपने घर की तरफ जा रहे थे। रात करीब 12.30 बजे रवाना होकर डा. हक बाम्बे मोटर्स चैराहे के पास पहुंचे तो चार-पांच बाइक पर तलवारों, सरियों और बेस बाल के बल्लों से लैस हमलावरों ने उनकी इनोवा कार रुकवाने का प्रयास किया और हमला बोल दिया। हक ने सूझबूझ दिखाते हुए अपनी कार को यू-टर्न कर लिया और पुलिस कण्ट्रोल रूम पहुंच गये। उल्लेखनीय है कि डा. मोईनुल हक जोधपुर प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष भी हैं।
हक ने प्रतापनगर पुलिस थाने में रिपोर्ट देकर बताया कि पिछले दिनों उन्होंने व्हाइट कालर क्रिमिनल मोहम्मद शफी एण्ड सन्स पेट्रोल पम्प के मालिक मोहम्मद जकी उर्फ मुन्ना और उसके मुंहबोले बेटे गैंगस्टर सैयद नजरूल इस्लाम उर्फ सईद के खिलाफ कुछ खबरें प्रकाशित की थीं। इसी का बदला लेने के लिए यह कातिलाना हमला किया गया। इस हमले से आक्रोशित शहर के पत्रकार अगले दिन सुबह प्रतापनगर थाने पहुंचे और उपस्थित अधिकारियों का घेराव कर अपना आक्रोश व्यक्त किया। जोधपुर प्रेस क्लब, मरुधरा पत्रकार संस्थान, लीपा, इलेक्ट्रानिक मीडिया पत्रकार संघ सहित विभिन्न संगठनों के पत्रकार नेताओं ने पुलिस से आरोपियों के शीघ्र गिरफ्तार करने की मांग की। इन पत्रकारों में चन्द्रमोहन कल्ला, प्रलयंकर जोशी, अरुण हर्ष, संगीता शर्मा, एम.आर.मलकानी, राजीव गौड़, डाॅ. के.आर.गोदारा, श्रेयांस भंसाली, करणपुरी, शरद शर्मा, घनश्याम वैष्णव, शेख रईस अहमद, लक्ष्मण मोतीवाल सहित शहर के कई पत्रकार, राजनेता और समाजसेवी शामिल थे। इस संबंध में राज्य सरकार के गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया, लघु उद्योग भारती के चेयरमेन मेघराज लोहिया, विधायक सूर्यकान्ता व्यास सहित सरकार के कई नुमाइंदों ने हमले की वारदात पर चिन्ता जताते हुए अधिकारियों को सख्त कार्यवाही के निर्देश दिए।
पुलिस ने इस मामले को कातिलाना हमले की बजाय मारपीट और तोड़-फोड़ की साधारण धाराओं में दर्ज कर अनुसंधान आरम्भ किया। पुलिस थाने में उपस्थित हुए पत्रकारों के समक्ष थानाधिकारी रामसिंह ने पत्रकारों को बताया कि नाइट ड्यूटी इंचार्ज की गलती की वजह से गम्भीर धाराओं में मामला दर्ज नहीं हुआ है। इसमें सुधार कर लिया जाएगा। लेकिन वारदात के कई घण्टों बाद पुलिस ने अब तक न तो गम्भीर धाराएं जोड़ी हैं और न ही किसी मुल्जिम को गिरफ्तार किया है। इस वारदात के बाद से शहर के पत्रकारों में जबर्दस्त रोष व्याप्त है। उल्लेखनीय है कि डा. सैयद मोईनुल हक को दबंग पत्रकारिता का पर्याय माना जाता है। उन पर हमला कर देना एक दुस्साहस भरा कार्य है। अन्य पत्रकारों में इस बात को लेकर भय व्याप्त है कि हक पर भी हमला हो गया तो आम पत्रकारों के साथ तो कुछ भी हो सकता है। पुलिस की लचर और ढीली कार्यवाही के विरोध में शहर के विभिन्न पत्रकार संगठन जल्द ही सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि शहर में बीते एक पखवाड़े में पत्रकारों पर हमला करने की यह चैथी वारदात है। पुलिस की निष्क्रियता से अपराधियों के हौसले बुलन्द होते जा रहे हैं।
Farooque Khan
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