राष्ट्रीय सहारा देहरादून संस्करण में चल रही भागदौड़ की अगली कड़ी में लेखा विभाग से प्रदीप श्रीवास्तव के नये ठिकाने की ओर जाने की खबर है। बीते कई माह बिना वेतन के गुजारा कर रहे सहारियन का सब्र धीरे-धीरे जवाब देने लगा है।
ताजा मामला एकाउंट सैक्शन से प्रदीप श्रीवास्तव के जाने का है। प्रदीप ने अपना त्यागपत्र संस्थान को सौंप दिया है जो कि मंजूर हो गया है। देहरादून यूनिट से लोगो की लगातार विदाई के चलते बचे-खुचे लोगो का भी धेर्य जवाब देने लगा है। एक दो दिन में प्रसार विभाग से राजेश राना संस्थान को बाय-बाय कह सकते हैं। संस्थान में चर्चा है कि एचआर हैड अपने सम्बंधों के बल पर अमर उजाला में जाने की फिराक हैं।
सूत्रों का दावा है कि साक्षात्कार आदि की उनकी औपचारिकता पूरी हो चुकी है। अमर उजाला से हरी झंडी मिलते ही एचआर हैड संस्थान को अलविदा बोल सकते हैं। संस्थान में हालत यह है कि पूरा रिसेप्शन एक ही आदमी के भरोसे चल रहा है। रिसेप्शनिस्ट के अवकाश पर होने पर उसका काम गेट पर बैठे गार्ड के हैंडओवर किया जाता है तो दूसरी ओर यूनिट हैड व सम्पादक के कार्यालय से घर तक आने-जाने के लिये संस्थान की ओर से दो टैक्सियां लगाई गई हैं। सहारा की देहरादून यूनिट ही इकलौती ऐसी यूनिट है जहां हर विभाग में भगदड़ मची हुई है।
पेजीनेशन के न होने से कापी पढ़ने वालो को पेज बनाने का काम भी करना पड़ रहा है, जिससे डीएनई स्तर के कर्मचारियों में रोष पनप रहा है। निचले स्तर पर काम करने वालो की हालत यह है कि गार्ड की नौकरी बजाने वालो को गार्ड का काम करने के अलावा रिसेप्शन की जिम्मेदारी और रात को अखबार के बंडल सप्लाई अखबार ढोने वाली गाड़ी में लदवाने तक की जिम्मेदारियां निभानी पड़ रही हैं। अखबार की सुस्ती का हाल यह है कि तीन दिन पूर्व देहरादून संस्करण 16 के स्थान पर 14 पेज का प्रकाशित करना पड़ा जिसके लिये समूह सम्पादक ने देहरादून यूनिट को लताड़ भी लगाई। नोएडा से लगातार लताड़ खाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित
Comments on “सहारा देहरादून में भगदड़ जारी, प्रदीप भी गए, एचआर हेड समेत कई और जाने की तैयारी में”
भाई अब तो सहारा मे वही बचा है जिसको कहीं नौकरी नही मिली है या तो वो बचे है जो सहारा मे चमचागिरी करते है।अच्छे लोग तो चले गये।
Bhai Pnkaj ji, aap wahi to nahi jinhe upshabd likhne ke karan sahara se nikal diya gaya tha aur aap chamchagiri ke bal par db me maja maar rahe hai. Yadi nahi to koyi shikayat nahi. Apko malum hona chahiye ki yeh wahi sahara hai jahan Namwar Singh, Kamleshwar sarikhe sampadakon ne kaam kiya. Sahara 100000 rore ka jamanat de raha hai. yeh itni rashi hai ki desh ke bade akhbar kharide ja sakte hain. Sahara hanthi hai. Mrega bhi toh aapke retirement se adhik rupaye de kar jayega.
सहारा के बारे में काफी बाते गलत हैं। अख़बार 14 पेज का निकल सकता हैं पर सहारा अपने मूल्यों से समझोता नही करता। एक पूर्व सहारा कर्मी सुमित्रो बॉस सहारा की खबरों को नमक मिर्च लगा लोगो को फ़ोन कर रहा हैं। पंकज भाई चाटुकारिता से कुछ दिन तो काम चलता हैं पर इतना मज़बूत संस्थान नही जिसका स्वामी हर परेशानी झेल अपने कर्मचारियो का हौसला बढ़ा रहा हैं।
कुछ एक लोगो के जाने से बड़े संस्थान मै कुछ नहीं होता.. और उत्तार चढ़ाव किस बिज़नेस मै नहीं आता है . कभी सहारा जैसा संस्थान पहली तारिख को भी तो सैलरी देता था.. ये सब भी देखना चाहिए. कर्मचारियों को भी इस समय सहारा श्री का साथ देना चाहिए. बुरे दिन आये हैं तो अछे दिन भी आएंगे. पर मैनेजमेंट को भी चापलूस और कामचोरो को बाहर कर देना चाहिए.. तब ही आगे सहारा सुधर सकता है.
और कर्मचारियों से निबेदन है कि झूठी अफवाओं पर ध्यान नहीं दे
pura media hi chamcha hai …….
or dallalo ka adda…….
देहरादून यूनिट हेड से संसथान द्वारा इस्तीफा लेने की खबर क्या है… ???
सहारा निश्चित रुप से बडा संस्थान है और उसके हस्तक्षेप जैसे परिशिष्ट तो संग्रहणीय होते हैं। उसमें वित्तीय अनियमितताओं का बोलबाला भी रहा हो लेकिन अखबार के स्तर पर उसे पसन्द किया जाता है।
सहारा के मालिक सुब्रतो राय का लम्बे समय तब जेल में रहने और कर्मियो को वेतन न मिलने के बाद भी संस्थान का चलना उसके कर्मियों का संस्थान के प्रति लगाव ही है। अच्छे-बूरे दिन आते हैं और हमेशा एक सा नहीं रहेगा।
यहां -वहां आना- जाना निजी क्षेत्र में लगा होता है इसलिए भी कि संकट में पडे संस्थान को डूबता जहाज मानने में बहुत लोग आगे होते हैं। हमें आशा करनी चाहिए कि एक मीडिया संस्थान सुचारु चले जिसके लिए प्रवन्धन को पत्रकारों कार्मिकों की समस्या का विशेष रुप से वेतन सम्बन्धि समस्या को तुरन्त हल करना चाहिए।
सहारा द्वारा जमाकर्ता पर मानसिक अत्याचार किया जा रहा है जमाकर्ता के धन की परिप्क्वता तिथी आने पर भी स्थिती की दुहाई दैकर पैमेन्ट के बहाने एक साल से घुमाया जा रहा है