गोरखपुर : सी एम साहब के शहर में ड्रग विभाग सालों से ड्रग लाइसेंस की एवज में खुलेआम लाखो रुपये बटोरता रहा और जब सच्चाई कैमरे में कैद हुई तो सब के सब ऐसे चुप्पी साधे बैठे है जैसे किसी ने कुछ देखा ही नहीं।
चर्चा तो यह भी है कि ड्रग माफिया के इस अवैध धंधे और काले कारनामे से पैदा हुए धन में कुछ दलाल रूपी पत्तलकारो का भी हिस्सा बंधा हुआ था।
जिले के आला अधिकारी से लगायत राजधानी लखनऊ तक सब के सब गोरखपुर औषधि विभाग का भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस वाले कारनामे का प्रीमियर देख चुके हैं लेकिन गोरखपुर के दवा विभाग की दवाई अब तक नही हो पायी है।
आप और हम जो दवा खा रहे है वो असली है या नकली, यह पता लगाना औषधि विभाग की जिम्मेदारी है लेकिन गोरखपुर औषधि विभाग का हाल यह है उसने पिछले दस सालों से अब तक नियम विरुद्ध तरीके से चल रहे दवा दुकानों की जांच तक नहीं की है। कुछ महीने पहले गोरखपुर में लगभग दो करोड़ की नकली कफ सिरप पकड़ी गई थी लेकिन मामले से जुड़े बड़े मगरमच्छों तक किसी ने पहुँचने की जहमत नहीं उठायी।
गोरखपुर में अवैध दवा व्यापार और दवा व्यापारियों को संरक्षण देने वाले गोरखपुर के औषधि विभाग के खासमखास मोहन तिवारी का एक और ऑडियो सामने आया है। कुछ दिन पहले इसी मोहन तिवारी का लड़का ड्रग लाइसेंस की एवज में लाखों रुपये लेते हुए कैमरे में कैद हुआ था।
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