वरिष्ठ पत्रकार और फिल्मकार विनोद कापड़ी ने सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता के दौरान एक बड़ा सरोकारी कदम उठाया है। राजस्थान में जन्मते ही मरने के लिए फेंकी गई एक बिटिया के जिंदा बचे रहने का वीडियो देख कापड़ी दम्पति ने इसे अपनाने का फैसला कर लिया।
बच्ची तक विनोद ने एक रिपोर्टर को भेजा और उसके समुचित इलाज-देखभाल की मॉनिटरिंग की। विनोद ने इस बच्ची को गोद लेने का एलान किया और कागजी कार्यवाही की औपचारिकता पूरी करने में जुट गए हैं। विनोद के इस बड़े और नेक फैसले की हर कोई तारीफ कर रहा है। ये इंसानियत की एक मिसाल है।
आज नागौर के बरनेल में कचरे ढेर में एक नौजात बच्ची मिली, बच्ची का इलाज नागौर के जेएलएन अस्पताल में किया हो रहा है।
इस प्रकरण पर पत्रकार Manoj Singh Gautam लिखते हैं :
पत्रकार विनोद कापड़ी और साक्षी जोशी ने इस बच्ची को गोद लेने का फैसला किया है ! इस बच्ची के लिए फरिश्ते हैं आप दोनों।
पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट वसीम अकरम त्यागी लिखते हैं-
इंसानियत ज़िंदा है, लेकिन हैवान को मौत कब आएगी?
एक नवजात बच्ची जो या तो इस वजह से कूड़े के ढेर में फेंक दी गई क्योंकि वह ‘लाडली’ थी ‘लाडला’ नही, या फिर इस वजह से कि वह ऐय्याशी का नतीजा रही होगी? लेकिन इस सबमें बच्ची का क्या कसूर था ? उसे तो जीने का हक़ देना चाहिए था, कैसे निर्मम हैं वे कलेजे जो नवजात को भी बख्शते और उन्हें कूड़े के ढ़ेर में फेंक देते हैं? क्या उनके सीने मे दिल नही होता होगा? जिस बच्ची की आप चीखें सुन रहे हैं यह बच्ची राजस्थान के नागौर के बरनेल में कचरे ढेर में मिली, बच्ची को इस हालत में देख उसका इलाज नागौर के जेएलएन अस्पताल में किया हो रहा है, डॉक्टर्स की टीम लगी हुई है, किसी सज्जन ने इस बच्ची का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया, यह वीडियो एक पत्रकार पति पत्नि Sakshi Joshi और Vinod Kapri सर ने देखा, उनसे इस बच्ची की चीखें सुनी नही गईं, उन्होंने इस बच्ची को अपना नाम देने का फैसला लिया। Vinod Kapri ने ट्वीट करते हुए जो खुशी बयां की है वह बिल्कुल वैसी ही है जैसे किसी घर में ‘नया मेहमान’ आने की होती है। उन्होंने इस मासूम को ‘पीहू’ नाम देते हुए कहा कि ‘मुझे नहीं लगता कि 14जून से बड़ा दिन जीवन में कभी आया है या कभी आएगा- जब सिर्फ ये एहसास भर है कि घर में ये प्यारी बच्ची आने वाली है। हमें एहसास है कि देश में गोद लेने की प्रकिया जटिल और लंबी है।पर उम्मीद है कि आप लोगों की दुआओं और प्यार हर मुश्किल को पार करेगा और ये बिटिया घर आएगी’। यह मासूम खुशकिस्मत है कि इसे विनोद और साक्षी जैसे माता पिता मिल गए, लेकिन ऐसी न जाने कितनी मासूम हैं जो यूं ही कूड़े के ढेर में तड़प तड़प कर दम तोड़ देतीं हैं। विनोद और साक्षी जैसे इंसानों की शक्ल में इंसानियत तो अभी ज़िंदा है, लेकिन सवाल यह है कि वे हैवान कब मरेंगे जो इन मासूमों पर ज़ुल्म करते आ रहे हैं? उर्दू शायर मुनव्वर राणा ने भी ऐसे हैवानों की तरफ इशारा करते हुए क्या ख़ूब कहा है- फिर किसी ने ‘लक्ष्मी देवी’ को ठोकर मार दी। आज कूड़ेदान में फिर एक बच्ची मिल गई। अल्लाह से दुआ है कि वह इस मासूम और इसके मां बाप (साक्षी, विनोद) को सलामत रखे, और इस दुनिया को, इस समाज को, हैवानों से महफूज़ रखे- आमीन
देखें इस प्रकरण से सम्बंधित विनोद के कुछ ट्वीट-
ट्विटर पर वीडियो डालने के बाद बच्ची की ख़बर मिली तो विनोद ने एक रिपोर्टर को तुरंत भिजवाया और फिर ये वीडियो मिला…
prashant tripathi
June 15, 2019 at 8:14 am
विनोद कापरी सर आपने वाकई इंसानियत के भरोसे को और आगे बढ़ाते हुए युवाओं के लिए प्रेरणा दी है.. मैं तो हमेशा से आपके पत्रकारिता ,विनम्र स्वभाव ,उच्च व्यक्तित्व का कायल रहा हूं..
सैय्यद हुसैन अख्तर
June 15, 2019 at 9:18 am
सैल्यूट,,,,कापड़ी सर