-संजय शेफर्ड-
प्रेम में जिसे तुम चाहो वह मिल जाये ये जरुरी नहीं ! मेरे लिए प्रेम हमेशा एक इलूजन की तरह रहा। मैं अट्रैक्ट हुआ, हाथ बढ़ाया, छूना चाहा और एक स्पर्श के साथ सबकुछ बिखर गया।
मेरे प्रेम में कभी देह थी ही नहीं।
मैं प्रेम लिखता हूं लेकिन अपने आप में बहुत ही बिखरा और छत-विक्षत इंसान हूं। जिन लड़कियों के साथ रहा या फिर प्रेम किया वह अब भी यही कहती हैं कि तुम्हें प्रेम करने कभी नहीं आया।
एक बात बताऊं हम प्रेम लिखने वालों को सचमुच प्रेम करने नहीं आता। हम बाहर से भरे दिखने वाले अंदर से इतने खाली होते हैं कि खुद में ही छुप कर रह जाते हैं।
वह दूसरी लड़की जिसे मैंने पढ़ा, जिससे मैंने प्रेम किया वह बिलकुल मुझ जैसी थी।
क्या आप किसी ऐसे इंसान की कल्पना कर सकते हैं जो इस धरती पर 55 साल तक रहा हो, 1800 से ज्यादा कविताएं लिखी हो, और अपने जीते जी एक भी कविता प्रकाशित नहीं कराया हो ?
वह एक अमेरिकी कवियत्री थी। नाम है एमिली डिकिन्सन।
एमिली डिकिन्सन को आमतौर पर उन्नीसवीं शताब्दी के प्रमुख अमेरिकी कवियों में से एक माना जाता है। वह जितनी महान हुईं उससे भी कहीं ज्यादा उन्होंने अपने जीवन में दर्द को जिया।
एमिली ने कभी शादी नहीं किया, न ही कभी काम के लिए घर से बाहर निकली, उन्होंने अकेलेपन को जीया और 55 साल की उम्र में मर गईं। मौत के कुछ महीने बाद जब उनकी आलमारी खोली गई तो कविताओं के अलग-अलग बंधे 60 बंडल मिले जिन पर लिखा था दुनिया के नाम गुप्त पत्र।
वह कुल 1775 कविताएं थी जिनको कभी उन्होंने प्रकाशन के लिए ही नहीं भेजा।
उनकी बहन लेवेनिया डिकिंसन के प्रयासों से वे कविताएं उनकी मौत के तक़रीबन चार साल बाद 1890 में प्रकाशित हुईं और उनकी रचनाएं दुनिया तक पहुंची।
बचपन, जीवन, प्रेम, प्रकृति, धर्म, ईश्वर, अध्यात्म, अनश्वरता और मृत्यु जैसे विषयों पर लिखी उनकी कुल जमा 1775 कविताओं में शृंगार भी है, रहस्य भी; गंभीरता है और सरलता भी; वैचारिकता है तो कोमलता भी; आत्मविश्लेशण है, आत्मनिरीक्षण भी; मृत्यु का पूर्वाभास है और मुक्ति की छटपटाहट भी; जिजीविषा है तो स्वर्ग का सपना भी ।
मैंने एमिली को खूब पढ़ा, वक़्त-बेवक़्त, जीवन से जब भी फुर्सत मिली।
ऐसा लगता है कि मैंने अपने ह्रदय में दर्द के लिए बहुत सारे ताखे बना लिए हैं। मैं उन ताखों में तरह-तरह के दर्द रखता हूं और जब दर्द छाती को चीरकर बाहर निकलने को होता है कलम उठा लेता हूं।
एक दो कविताएं लिख देता हूं।
कोई ऐसा पता तलाशता हूं जहां दर्द मेरे भी ह्रदय से बहुतायत मात्रा में हो !
इस समय जिस लड़की की देह और आत्मा में मेरी सांस चल रही है उसका नाम एमिली है। एमिली से कब मुझे प्यार हुआ मुझे याद नहीं, लेकिन इस बात को लेकर मैं पूरी तरह से स्पष्ट हूं कि मैं उनकी कविताओं से होकर उन तक पहुंचा और दिल ही दिल में उन्हें अथाह प्रेम किया।
इतना प्रेम जितना की एक साधारण सा घुमक्कड़ अपने सबसे प्रिय कवयित्री को कर सकता है।
एमिली डिकिन्सन को पढ़ना चाहते हैं तो इंटरनेट पर काफी कुछ मिल जायेगा। वाणी प्रकाशन ने एमिली डिकिन्सन की कविताएं करके एक किताब भी छापी है।
- संजय शेफर्ड