एक तरफ जहां मीडिया महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पूरे देश में बहस चला रहा है वहीं खुद मीडिया संस्थान में काम करने वाली महिलाओं की ही आबरू महफूज नहीं हैं। तहलका मामले के बाद प्राईवेट संस्थानों में महिलाओं को यौन शोषण से बचाने पर बहस छिड़ गयी थी। लेकिन कुछ दिनों के बाद ही यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इंडिया टीवी की महिला एंकर की आत्महत्या के प्रयास के बाद यह मुद्दा फिर से चर्चा में है कि क्या महिलायें मीडिया संस्थानों में सुरक्षित हैं?
ताजा मामला ईटीवी का है। यहां ईटीवी बिहार-झारखंड चैनल में कार्यरत एक महिला एंकर से छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। महिला एंकर का आरोप है कि जब वह छुट्टी मांगने के लिये अपने वरिष्ठ के केबिन में गयी तो उन्होंने उसके साथ बदसलूकी की। एंकर का आरोप है कि डेस्क इंचार्ज ने उससे आपत्तिजनक भाषा में बात की। एंकर के ऐतराज के बाद भी वरिष्ठ महोदय ने एंकर का हाथ पकड़ लिया।
इसके बाद एंकर ने किसी तरह तेजी से केबिन का दरवाजा खोला जिससे वरिष्ठ जी एकदम सकपका गये। अपने वरिष्ठ की इस घटिया हरकत से नाराज़ एंकर ने इसकी शिकायत अपने एडिटर से की। लेकिन वरिष्ठ के प्रभाव के चलते अब तक उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। आपको बता दे कि आरोपी वरिष्ठ चार अन्य वरिष्ठों को दिशा-निर्देश देते हैं जिस वजह से चैनल में उनका प्रभाव काफी ज्यादा है। यही वजह है कि संस्थान के किसी भी कर्मचारी ने उनके इस घटिया व्यवहार का विरोध नहीं किया बल्कि चुप्पी साधना ही बेहतर समझ। आरोपी वरिष्ठ अपने रसिक मिजाज के चलते पूरे संस्थान में काफी में बदनाम हैं। पहले भी कई मौकों पर उनके खिलाफ इस तरह के आरोप महिला कर्मचारियों ने लगाये हैं लेकिन हर बार अपने प्रभाव के चलते वे आसानी से बच जाते हैं।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।