लखनऊ से संचालित मैग्जीन और न्यूज पोर्टल ‘फर्स्ट आई’ ने इन दिनों लखनऊ निगर निगम को निशाने पर लिया है. पोर्टल पर नगर निगम लखनऊ की अराजकता और अनियमितता की कई खबरें प्रकाशित की गई हैं. ‘जब ऊपर वाला मेहरबान तो कौन पकड़ेगा चोर के कान‘ शीर्षक से प्रकाशित खबर में नगर आयुक्त उदयराज के बारे में कहा गया है कि उन्हें अपने ही आदेश को लागू कराने की फ़िक्र नहीं है. वजह बताया गया है भ्रष्टाचार. नगर निगम में दर्जनों ऐसे मामले हैं जिसकी निगम में चर्चा भी नहीं होती लेकिन लोग कहते हैं कि पिछले तीन वर्षो में नगर निगम लखनऊ ऐसे ही गैर जिम्मेदार अफसरों के चलते कंगाली की ओर बढ़ रहा है.
‘वेतन न पेंशन बस हो रहे ठेकेदारों के भुगतान‘ शीर्षक से खबर में जिक्र किया गया है कि तीन महीने से संविदा कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा रहा है. पेंशनरों की पेंशन नहीं मिल रही. यहाँ तक की नियमित कर्मचारियों की भविष्य निधि की धनराशि करीब 10 करोड़ रुपये अभी तक उनके खातें में नहीं गई. लेकिन नगर आयुक्त की मेहरबानी से ठेकेदारों की बल्ले-बल्ले है क्योकि हाउस टैक्स के नाम पर अगस्त में ही जमा हुए 27 करोड़ चहेते ठेकेदारों के पेंडिंग भुगतान क्लियर कर हाउस टैक्स का सारा धन भी साफ़ कर दिया गया.
‘सफाई के नाम पर नगर निगम ने करोड़ों किये साफ‘ शीर्षक से खबर में राजधानी लखनऊ के गंदगी से बेहाल होने और सफाई के नाम पर नगर निगम द्वारा करोड़ों रूपये साफ कर दिये जाने की खबर विस्तार से प्रकाशित की गई है. ‘बारिश ने खोली नगर निगम की पोल‘ शीर्षक से खबर में बारिश के कारण राजधानी लखनऊ में मुश्किलें बढ़ने का जिक्र है. जगह-जगह पर जल भराव और कई कॉलोनियों में तो घुटनों तक पानी भरने का हवाला देते हुए बताया गया है कि मुख्यमंत्री द्वारा पूरे प्रदेश में स्वच्छता अभियान चलाए जाने के बावजूद लखनऊ नगर निगम अपने दायित्वों के प्रति सजग नहीं है. सीवर लाइनों के तमाम खुले मेनहोल मौत को दावत देते दिख रहे हैं.
‘नगर आयुक्त ने करोड़ों के टेंडर घोटाले में कमेटी की क्यों नही की जांच‘ शीर्षक से खबर में नगर निगम लखनऊ में विकास कार्यों को लेकर होने वाले टेण्डरों में करोड़ों के घोटाले का जिक्र है. कहा गया है कि निगम में ई टेण्डरिंग प्रणाली मजाक बनकर रह गयी है. टेण्डर घोटाला करने वाले अफसर आज भी अपनी कुर्सियों पर बरकरार हैं.
‘अरबों बहे नगर निगम के सीवर में, फिर भी लागू नही हुआ डबल इंट्री सिस्टम‘ , ‘नगर निगम के सफाई कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन‘, ‘नगर निगम के आठ अफसर गंदगी मिलने पर नपे‘ और ‘मौके पर हुई नगर निगम टीम फरार‘ समेत दर्जनों खबरें हैं नगर निगम को लेकर जिसे एक जगह कंपाइल करके कोई बुकलेट निकाल दी जाए तो यह अपने आप में एक नगर निगम में व्याप्त बर्बादी, अराजकता और भ्रष्टाचार की गाथा बन जाएगी. बावजूद इसके शासन के हुक्मरान मौन हैं.
first eye media
September 14, 2017 at 6:31 am
धन्यवाद यसवंत जी,, भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही एस मुहिम में साथ देने के लिए | आप बेहतर जानते है किस तरह से पत्रकार छोटे छोटे लिफाफों पर बिक जाते है | यही वजह है कि मीडियाकर्मी आज खुद अपना वजूद तलाश रहे है | सरकार और सरकारी तंत्र मीडिया पर हावी हो चुका है जिसके लिए हम सभी खुद जिम्मेदार है | अगर इसी तरह रहा तो आज छोटे मीडिया संस्थान बंदी की ओर है तो कल बड़ों की भी बारी आएगी | ये किसी को भी नही भूलना चाहिए कि हमारा काम क्या है | जब मीडिया अपना काम छोड़ दलाली में लग जायेगी तो मीडिया संस्थानों का भविष्य क्या होगा सामने दिखाई दे रहा है केंद्र सरकार की हाल ही में बनाई गई डी ए वि पी नीतियों के रूप में | आगे भी आपका सहयोग इसी तरह बना रहे ,इसी उम्मीद के साथ , एक बार फिर बहुत बहुत धन्यवाद | फर्स्ट आई न्यूज़
दीपक
September 17, 2017 at 11:29 am
Good news