भारत सरकार द्वारा देश विरोधी रिपोर्टिंग के आरोप लगने के बाद फ्रांसीसी पत्रकार ने कहा कि, “वह भारत छोड़ रही हैं. उन्होंने दो दशकों से अधिक समय तक यहां काम किया है. क्योंकि अधिकारियों ने उन्हें “दुर्भावनापूर्ण और आलोचनात्मक” रिपोर्टिंग के लिए देश से निकालने की धमकी दी थी.”
बता दें कि साप्ताहिक पत्रिका ले पॉइंट सहित कई फ्रांसीसी भाषा के प्रकाशनों के लिए रिपोर्टिंग करने वाली वैनेसा डौग्नैक ने 23 वर्षों तक भारत में काम किया है.
पिछले महीने गृह मंत्रालय ने महिला पत्रकार को एक नोटिस भेजा था जिसमें कहा गया था कि उनका काम राष्ट्रीय हितों के लिए हानिकारक था और कहा कि उन्होंने अस्थायी रूप से उनका स्थायी निवास रद्द करने का फैसला किया है.
महिला पत्रकार ने भारत छोड़ने की घोषणा करते हुए अपने बयान में कहा कि, “छोड़ना मेरी पसंद नहीं है. मैं काम करने में असमर्थ हूं और मुझ पर राज्य के हितों पर उल्टा प्रभाव डालने का अनुचित आरोप लगाया गया है. यह स्पष्ट हो गया है कि मैं भारत में नहीं रह सकती.”
उन्होंने ग्रामीण भारत के कुछ हिस्सों में माओवादी नक्सली विद्रोह सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर रिपोर्ट की थी.
गृह मंत्रालय के नोटिस में उन पर “दुर्भावनापूर्ण और आलोचनात्मक तरीके से” पत्रकारिता करने का आरोप लगाया गया, जिसने “भारत के बारे में पक्षपातपूर्ण धारणा” बनाई. पिछले महीने नोटिस के सार्वजनिक होने पर उन्होंने उसमें अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार किया.
उन्हें यह नोटिस फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के आगमन से एक सप्ताह पहले जारी किया गया था, जो भारत के वार्षिक गणतंत्र दिवस सैन्य परेड में सम्मानित अतिथि थे.
विदेश मंत्रालय ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान संवाददाताओं से कहा कि वैनेसा डौग्नैक का मामला फ्रांस ने यात्रा से पहले और उसके दौरान उठाया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर स्वतंत्र मीडिया को दबाने का आरोप लगाया गया है, 2014 में उनके पदभार संभालने के बाद से भारत विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 180 देशों में से 21 स्थान गिरकर 161वें स्थान पर आ गया है.
2002 के गुजरात दंगों में मोदी की भूमिका पर सवाल उठाने वाली एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित करने के लिए ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर को सरकार की आलोचना का सामना करना पड़ा था, जिसके कुछ हफ्ते बाद कर विभाग ने पिछले साल बीबीसी के भारतीय कार्यालयों पर भी छापा मारा था.