Nadeem : हो सकता है तमिलनाडु के महामहिम जी का इरादा कताई गलत न रहा हो लेकिन सवाल यही है कि आप किसी को उसकी इच्छा के विपरीत कैसे थपथपा सकते हैं और तब तो कतई भी नहीं जब उसके साथ आपका कोई रिश्ता न हो।
तमिलनाडु के राज्यपाल ने कल जब एक प्रेसकांफ्रेस में सवाल पूछने के बदले एक महिला पत्रकार का गाल इस तरह थपथपा दिया तो विवाद खड़ा हो गया। ‘वीक’ की महिला पत्रकार ने महामहिम के इस आचरण पर अपनी नाराजगी का इजहार करते हुए ट्वीट किया। फिर तमाम लोग उसके समर्थन में आ खड़े हुए हैं। उच्चपदों पर आसीन व्यक्तियों को मर्यादा का खास ध्यान देना चाहिए। उनका आचरण प्रेरणादायी माना जाता है।
नवभारत टाइम्स, दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार नदीम की एफबी वॉल से.
कुछ चुनिंदा प्रतिक्रियाएं…
Ramesh Verma ‘नागपुर’ के संस्कारों का असर है…
Aashish Tiwari गाहे बगाहे इसी तरह कभी कभी पंडित नारायण दत्त तिवारी जी याद आ जाते हैं….
Rajiv Tiwari बच्चों के एक संगीत कार्यक्रम में ऐसे ही एक बच्चे को छू देने पर पपॉन पर केस दर्ज हो गया था। शो से बाहर हुआ अलग।
Rameshwar Pandey राज्यपाल तो पितृभाव में बच्ची को थपकी दे रहे हैं ।
Nadeem Nadeem काका लड़की जिम्मेदार पत्रकार है। भाव अच्छे से समझती है। पितृ भाव होता तो वो इस तरह रियेक्ट न करती।
Ugrasen Singh मर्यादा की बात करने वालों का अमर्यादित आचरण शर्मनाक
Ghanshyam Dubey दरअसल हो सकता है कि अगर उसने कोई अप्रिय सवाल पूछा हो और वह हाथ “उठाना” चाहते हों और संयम के चलते थपथपाना सा हो गया हो ! या सवाल खुश करने वाला हो तो वह अपने को रोक न पाएं हों ! राज्यपाल हैं तो शुरुआती दौर मे राजनीति को ” झेलें ” भी होंगे। उनका यह व्यवहार शोभनीय तो नहीं ही है तब जब कि महिला पत्रकार का ऐतराज सामने हो !
अकोस टुडे बिल्कुल सही बात है। आप किसी को उसकी इच्छा के विपरीत न तो थपथपा सकते हैं और न ही छू सकते हैं। तब तो कतई भी नहीं जब किसी महिला या फिर किसी लड़की के साथ आपका कोई रिश्ता न हो। आज तो यूँ भी माहौल इस कदर वैसे ही दुसित हो चला है कि रिश्तेदार पर भी उसकी मंशा पर भी भरोषा नहीं किया जा सकता। तमिलनाडु के राज्यपाल महोदय का महिला पत्रकार के साथ किया व्यवहार बिल्कुल अनुचित है। उच्चपदों पर आसीन व्यक्तियों को अपनी मर्यादा का खास ध्यान देना चाहिए।
Devesh Singh महिला पुरुष के छुअन को महसूस कर बता सकती है, पुरुष ने किस नीयत और मंशा से उसे छुआ है… इसमें ज्यादा बहस की जरूरत नहीं… महिला पत्रकार ने जरूर ऐसा कुछ महसूस किया होगा तभी उन्होंने रियेक्ट किया।
Javed Ullah Khan पुरुषों की निगाहें महिलाएं अच्छी तरह पहचानती है। ईश्वरीय उपहार।
Faizan Musanna वो पत्रकार अपना प्रोफेशनल काम अंजाम दे रही थी। राज्यपाल ने जो हरकत की वो निहायत बेहूदा और गिरी हुई हरकत है। पब्लिक प्लेटफार्म पर बाप अपनी बेटी के साथ ऐसा नहीं कर सकता। लेकिन ताक़त का नशा ऐसा ही होता है।
Nisheeth Joshi हमारी भारतीय संस्कृति में इसीलिए हाथ जोड़ कर नमस्कार की परम्परा सबसे अनोखी और वैज्ञानिक है… आशीर्वाद भी दूर से हाथ उठा कर दे दिया जाता है.. जो उल्लंघन करता है वह भोगता है… सवालों के घेरे में आता है..
Pawan Upadhyay दरअसल इस प्रतिक्रिया पर साथी पत्रकारों ने तफरी जरूर ली होगी, और तफरी ने खिझा दिया होगा । जिससे खिसियाहट मिटाने के लिए यह प्रतिक्रिया अस्तित्व में आई । नही तो ऐसी कोई वजह है नहीं । बाकी जरूरी नही हर बात पर प्रतिक्रिया ही दी जाय । बाकी विवाद को जैसी दिशा दी जा रही वैसा होना नही चाहिए । न जाने कितने ऐसे इंटरव्यूज के वीडियोज यू ट्यूब पर भरे पड़े हैं जिसमे प्रश्नकर्ता ऐसे द्विअर्थी सवाल पूछता है जो सम्मुख प्रतिभागी को पानी पानी कर दे । लेकिन इसके पीछे का भाव सम्मुख परिक्षार्थी की मनःस्थिति और वाक्चातुर्य की परख होती है । बाकी आप बीती तो वही जाने जो भोगे । लेकिन फिर भी अपने किये का भोगना सभी को है।
Satya Prakash Srivastava दरअसल विशेष सियासी दल के कुछ विशेष बूढों ने कुछ ऐसे विशेष नजीर समाज के सामने पेश कर दिए हैं, जिसका खामियाजा आज के हर बूढ़ों को भुगतना ही पड़ेगा। सावधानी हटी दुर्घटना घटी….