अमिताभ श्रीवास्तव-
उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल में केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी के नेता सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की सोची समझी रणनीति के तहत अब खुलकर जिन्ना, पाकिस्तान, मुगल, मुसलमान, कब्रिस्तान की बात खूब जोरशोर से कर रहे हैं।
विडंबना यह है कि वोट की खातिर समाज को बांटने , नफरत फैलाने और ज़हर फैलाने की इन आपत्तिजनक अभिव्यक्तियों और हरकतों पर सख़्ती दिखाने के बजाय मुख्यधारा का मीडिया और चुनाव आयोग चुप हैं।मुसलमानों के खिलाफ हिंसक अभिव्यक्तियों की कड़ी में इससे पहले दिसंबर मे हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में नफरत भरे भाषणों और मुसलमानों को मारने के आह्वान की बात सामने आ चुकी है।
इसके विरोध और अहिंसक प्रतिकार के लिए गांधीवादियों के एक समूह ने पहल की है।गांधी शांति प्रतिष्ठान के पूर्व अध्यक्ष और फ़िलहाल स्वराज पीठ ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रख्यात गांधीवादी राजीव वोरा ने 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शहादत के दिन शांति पूर्ण सत्याग्रह कार्यक्रम का आह्वान किया है।
इस बारे में स्वराज पीठ की अपील यहां साझा की है। इसे साझा करें, आगे बढ़ायें, मीडिया संस्थानों और सोशल मीडिया मंचों तक पहुंचाएं
स्वराज पीठ की अपील
हरिद्वार में १७-१९ दिसंबर तक आयोजित धर्म संसद में नफरत भरे भाषणों और मुसलमानों को मारने के आह्वान पर गंभीर रूप से चिंतित होते हुए प्रतिकार में स्वराजपीठ अहिंसा केंद्र से जुड़े 96 गाँधी शांति सैनिक आगे आये है।
इनमे 31 मुसलमान हैं जो इन साधु /साध्वी / उनके लोगों के हाथों मरने के लिए आगे आये है, यह कहते हुए कि “हम आप को, हिन्दू सिख ईसाई सबको अपना समझते है, आप हमारा नाश चाहते हो, आइये, अपनी इच्छा पूरी करिये| हम न हाथ उठाएंगे,न कोई शिकायत करेंगे| आपके मन में नफ़रत है, तो हमारे मन में आप के लिए प्रेम और करुणा है|” इस सत्याग्रह मे मुस्लिमों से दुगुने से अधिक हिन्दू है जो मानते हैं कि हमारी तरह ही जो इस देश का नागरिक और हमारा अंश है वह अपने धर्म के कारण हमसे ही भयभीत रहे तो हम अपने धर्म और मनुष्यता से गिरते है|इस लिये “पहले आपको हमें मारना होगा, उसके बाद ही आप हमारे मुस्लिम भाइयों और बहनों को छू पाएंगे|”
हम आपके खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं कराएंगे। आप हमारे साथ जो कुछ भी करेंगे, उसके लिए हम न तो प्रतिशोध की कार्रवाई चाहते हैं और न ही दंड चाहते हैं.”
जन सामान्य में पड़े सौहार्द के रिश्तों के प्रतीक स्वरूप हम यह सत्याग्रह गांव और कस्बों के स्तर पर बिहार में छः जगह कर रहे है. दूसरे दौर में, जब बर्फ़बारी नहीं होगी, जम्मू क्षेत्र में करेंगे जो हिन्दू मुस्लिम रिश्तों के लिए इतना ही महत्वपूर्ण इलाका है. बिहार में सहरसा, भागलपुर, दरभंगा, अररिया, सुपौल एवं बांका जिलों में 30 जनवरी को सत्याग्रह किया जाएगा| सत्याग्रह दिनभर के अनशन से शुरू होगा और दोपहर २ से ५ तक बताये गए स्थान पर, कोविड नियमों का पालन करते हुए, मुसलमान और हिन्दू दोनों धर्म संसद को अपना हेतु पूरा करने देने के लिए उपस्थित रहेंगे| इस आशय का पत्र यति नरसिंहानंद सरस्वती को उनके दासना देवी मंदिर के पते पर भेज दिया है|
आग पर पेट्रोल का छिड़काव करने से आग नहीं बुझती; पानी चाहिए| द्वेष की आग को प्रेम और करुणा ही मिटा सकती है| हमारी करबद्ध प्रार्थना मीडिया से भी है कि वे आग में घी डालने का काम न करें|
अहिंसा इस बात का प्रतीक है कि जो गलत है उसके स्थान पर क्या सही है, अहिंसा की शुरुआत ऐसी स्थिति का ‘सामना’ करने से होती है, ‘मुकाबला’ करने से नहीं| अतः प्राथमिक शर्त यह है कि मन में किसी के प्रति दुर्भावना, द्वेष नहीं हो, और सभी के प्रति करुणा हो, विशेषकर विरोधी के प्रति, इसलिए इस सत्याग्रह में कोई राजनीति नहीं, कोई राजनीतिक बात नहीं| यह सत्याग्रह संख्या बल का विषय नहीं है, यह कोई नंबर गेम नहीं है| हम अपने कार्य के माध्यम से एक बयान दे रहे हैं, मतभेदों के बावजूद एकता का बयान, भय मुक्त होने का प्रमाण दे रहे है। एक ऐसे वातावरण को बनाने का यह प्रतीकात्मक संदेश है, जिसमें मतभेदों पर संवाद हो सके|
सत्याग्रहियों के लिए अनिवार्य अनुशासन :
- इस सत्याग्रह का हेतु घृणा का प्रेम से,क्रोध का करुणा से और हिंसा का आत्मशक्ति से सामना करने का है, ताकि यह आग शांत हो| किसी के प्रति दुर्भावना द्वेष का नहीं, हिंसक आवाहन करने वालों के प्रति करुणा का भाव|
- यह प्रक्रिया सत्याग्रही और उसके ईश्वर- अल्लाह के बीच का प्रसंग है|
- यह आध्यात्मिक कदम है, राजनीतिक नहीं है| यह कार्य हमारे लिए तीर्थ यात्रा और प्रार्थना केसामान पवित्र है|
- इसलिए कोई राजनीति नहीं, कोई राजनीतिक बात नहीं, पूर्ण निष्पक्षता|
- सत्याग्रहियों के समूह के संयोजक को छोड़ कर सब सम्पूर्ण मौन रखेंगे, निश्चित स्थान पर स्थिरता से बैठेंगे या खड़े रहेंगे| इन तीन घंटों के दरम्यान यही प्रार्थना करेंगे कि यह नफरत और क्रोध शांत हो|
- किसी भी प्रकार की नारेबाजी नहीं करी जाएगी| जगह और सत्याग्रहियों की पहचान के लिए सिर्फ एक बैनर रहेगा|
- इस सत्याग्रह में वे ही हिस्सा लेंगे जिन्हें सत्याग्रह की शर्तें/ अनुशासन मान्य है और जो सत्याग्रही की शपथ लेंगे| सत्याग्रही का शपथ-पत्र नीचे दिया है
मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए संख्या नहीं बल्कि लोगों के चरित्र से ही फर्क पड़ता है|
अनुरोध :
१) इस सत्याग्रह द्वारा हम धर्म संसद में नफरत भरे ऐलान करने वालों, विशेषकर श्री यति नरसिंहानंद सरस्वती और हिन्दू महासभा की सुश्री साध्वी पूजा शकुन से अनुरोध करते है कि वे अपने मन से मुस्लिमों के प्रति नफरत को मिटाये, भगवा वस्त्र धारण करने के धर्म को निभाएं|
२) इस नफरत और हिंसा का जो लोग अहिंसक प्रतिकार करना चाहते हों वे ३० जनवरी को दोपहर २ से ५ तक मौन रख कर हमारा साथ दें |
३) इस प्रकार के सत्याग्रह में जिनकी आस्था हो और जो इस प्रक्रिया में हिस्सा लेना चाहते हों वे स्वराज पीठ से संपर्क करें|
हरिद्वार की घटना निम्न कारणों से चिंता का विषय है:
इस तरह की विस्फोटक स्थिति के कारणों को समझने एवं संबोधित करने की आवश्यकता है| वैसे ही, जैसे डॉक्टर एक घातक बीमारी का निदान और उपचार करता है| इस प्रकार सत्याग्रह का दूसरा पक्ष होगा विवेक पूर्ण संवाद|
हिन्दू- मुस्लिम रिश्तों की कुछ जटिल, मन में दबी पड़ी समस्याओं को पहचानने ओर उनका सामना करने के बजाय सामान्य रूप से ‘ जागरूक’ बुद्धिजीवी वर्ग उन्हें नकारने और उनकी अनदेखी करने की मानसिकता में रहता आया है| अगर उन्हें उबलने दिया गया है तब भी यह कोई बहाना नहीं हो सकता ऐसी विचारहीनता और जहरीले क्रोध के लिए| यह घटना समाज और राज्य के लिए सजग हो जाने का ऐलान है:
- यह हमारे देश, शासन और समाज के लिए शर्म की बात है कि किसी जिम्मेदार संगठन से ऐसी बात उठे; हिंदू धर्म और विशेष रूप से हिंदू समाज के लिए यह एक गहरी बीमारी की ओर इशारा करता है; कुछ ऐसा जिस पर गंभीरता से और तात्कालिक रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है|
- इसका जवाब देना हिंदुओं और मुसलमानों दोनों की साझा जिम्मेदारी है| क्योंकि जो हुआ वह दोनों से एक या दूसरे रूप में संबंधित है|
- हिंदू धर्म में ऐसा अतिवाद अनजान है| उचित प्रतिकार और उपाय न करने पर और समाज में मान्यता प्राप्त लोगों द्वारा मौन को सहमति मान कर इसे हवा मिलेगी, रोग फैलेगा; जिस तरह से मुसलमानों में रैडिकलाइजेशन और आतंकवाद बढ़ा है|
- हिंदु समाज की कुछ गंभीर शिकायतें हैं| “बैकलैश” लंबे समय तक दमन का परिणाम है| इसके लिए विवेकपूर्ण बातचीत की जरूरत है| किसी भी स्वस्थ संवाद के अभाव में,और बहु दलीय संसदीय प्रणाली की वोट बैंक की राजनीति ने दोनों समुदायों के बीच तनाव पैदा कर दिया है| सामाजिकता पर राजनीति के हावी हो जाने से इस तनाव को बढ़ावा ही मिलता रहा है| हरिद्वार की घटना विस्फोटक स्थिति की सूचक है| बड़े विस्फोट से बचना हमारी सामान्य जिम्मेदारी है|
- हिंसा के इस अत्यंत गंभीर और अंतिम किस्म का आह्वान राज्य और समाज के सामने एक नैतिक चुनौती है| इस के नैतिक और धार्मिक पक्ष के अतिरिक्त इसका एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय पक्ष है| अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारत के लिए मुश्किल पैदा हो सकती है| अगर मुस्लिम संगठन एक होकर गुहार लगा दें कि उनके नस्ली संहार की बात उठ गयी है और उन्हें सुरक्षा चाहिए| जिसे “आर टू पी” अर्थात ” रिस्पांसिबिलिटी टू प्रोटेक्ट ” का संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मान्य प्रावधान कहा जाता है उसके अनुसार जिस राष्ट्र से ऐसी गुहार उठे उमसे पश्चिमी राष्ट्र सशस्त्र दखल कर सकते है, राष्ट्र की सार्वभौमिकता अमान्य है| पाश्चात्य सभ्यता के अंग भूत सारे पूंजीवादी और उनके सहोदर कम्युनिस्ट राष्ट्र इस मौके की तलाश में रहते है कि भारत को कैसे कमजोर किया जाए, क्योंकि सभ्यता के स्तर पर केवल भारतीय सभ्यता चुनौती रही है उनके विश्व विजय के लिये| इसलिए जिहादी आतंकवादी इस्लामिक सत्ता के साथ समय-समय पर उनमें से एक या दुसरा हाथ मिलाते रहते है| धर्म संसद ने यह खतरा पैदा कर दिया है|
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