अश्विनी कुमार श्रीवास्तव-
- बृजभूषण ने महिला पत्रकार से किया अमर्यादित और अभद्र व्यवहार
सवाल पूछने पर टाइम्स नाउ की महिला पत्रकार से लखनऊ हवाई अड्डे पर भाजपा सांसद और कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण ने जिस अभद्र लहजे में बात की, अमूमन वैसे लहजे में लोग अपने पालतू कुत्ते से डांट – डपट किया करते हैं। वैसे भी, पत्रकार का काम तो लोकतंत्र की निगरानी करने और कुछ गलत होने पर शोर मचाने वाले चौकीदार या कुत्ते जैसा ही होता है।
मगर जिस तरह से भाजपा नेता ने पत्रकार को दुत्कारा है, उसे देखकर तो यही लग रहा है कि मीडिया या पत्रकार को नेता जी पालतू ही समझते हैं।
गलती उनकी भी नहीं है क्योंकि मीडिया तो वाकई अब सरकार में बैठे लोगों के सामने इस कदर दुम हिलाने लगा है कि पालतू से भी बदतर शब्द अगर कोई हो, तो वही शब्द मीडिया के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। शायद इसलिए अब गोदी मीडिया, दलाल मीडिया, भांड मीडिया, चाटुकार मीडिया और चारण मीडिया आदि शब्द मीडिया के लिए धड़ल्ले से इस्तेमाल भी होने लगे हैं।
पत्रकारिता की पढ़ाई करने के दौरान हमें बताया गया था कि पत्रकार की भूमिका किसी चौकीदार या कुत्ते जैसी होती है, जो रात भर जागकर पहरा देता है और कुछ अप्रत्याशित देखने पर शोरगुल करता है। अंग्रेजी में मीडिया को इसीलिए वॉचडॉग भी कहा गया है।
दुख की बात यह है कि मीडिया ने साल 2014 के बाद से शोर मचाने की अपनी आदत बदलकर मोदी सरकार के आगे दुम हिलाना चालू कर दिया है।
इसलिए अगर किसी पत्रकार को हल्का सा शोर मचाते देख मोदी सरकार के नवरत्न बृज भूषण शरण ने उन्हें सरेआम दुत्कार भी दिया है तो उसे इस बात का खास बुरा लगेगा भी नहीं। क्योंकि पालतू कुत्ते जब कोई गलती करते हैं तो मालिक इसी तरह दुत्कार कर उन्हें उनकी गलती का एहसास कराते हैं। जब कुत्ता अपनी गलती मान लेता है और वापस दुम हिलाने लगता है तो मालिक फिर खुश होकर हड्डी या बिस्कुट उसको दे देता है।
मालिक- कुत्ते के इस बेहतरीन रिश्ते में ऐसे नजारे लोगों के मनोरंजन के काम में आते हैं और उन्हें गंभीरता से लेना भी नहीं चाहिए।