कशिश सिंह-
हरदा में पुलिस के अधिकारी कह रहे हैं की ‘पत्रकारों की ज़रूरत नहीं हैं’ सही बात है क्यूंकी यहाँ पत्रकार हैं भी नहीं, इतनी बड़ी घटना को सिर्फ 11 लोगों की मौत कह के रफा दफा कर दिया है दिल्ली में बैठी मीडिया ने..
जिस तरह से पिछले 3 रातों से लगातार JCB चला के मलवा हटाया और दबाया जा रहा है इससे साफ है की इस मलबे में ब्लास्ट से चूरा बनी लाशों का ज़रा भी सुराग न मिल पाए.
यहाँ कोई ये सवाल करने के लिए नहीं खड़ा है की क्या ये JCB द्वारा लगातार की जा रही उथल पुथल किसी फॉरेंसिक टीम की देख रेख में हो रही है, की यहाँ काम करने वाले लोगों में से अगर लोग ज़िंदा हैं तो वे कहाँ गए क्या सिर्फ उतने ही लोग इस फैक्ट्री में काम करते थे जो प्रदेश के अलग अलग अस्पतालों में भर्ती हैं.
ये बुनियादी सवाल कोई नहीं करना चाहता और जो कर रहे हैं उनको SDM साहब कह रहे हैं की ‘यहाँ पत्रकारों की ज़रूरत नहीं है’
इतने लोग मर गए और किसी को फर्क नहीं पड़ता, कई तो पूरे परिवार ही साफ़ हो गए, मलबे में मिल गए तो उनके लिए कौन ही आवाज़ उठाएगा, आखिर किसको पड़ी हैं प्रवासी मजदूरों की जो इन खतरनाक फैक्ट्रियों में जान हथेली पर रख कर 200-300 रुपए की चंद दिहाड़ी के लिए काम करते हैं.
फैक्ट्री से कुछ ही दुरी पर एक टूटे घर के बाहर बैठी कुछ महिलाओं से बात की तो मालूम चला की वो सब इसी फैक्ट्री में काम करती थीं, और कई बार इस फैक्ट्री में ब्लास्ट हुए जिसमे जाने भी गयीं..
उनमे से एक महिला के पति की मौत 2017 में इसी फैक्ट्री में हुई थी जिसका केस भी चला और फैक्ट्री का मालिक लगातर ये कहता रहा ‘जो बन पड़े कर ले तुझे पैसे देने के बजाए मैं ऊपर पैसे खिला दूंगा, मेरा कोई क्या कर लेगा’
मज़बूरी में छोटे बच्चे पालने के लिए वो महिला खुद इस फैक्टरी में काम करने लगी, इस बार के ब्लास्ट के बाद वो ग्राउंड फ्लोर पर थी तो पहले हलके ब्लास्ट के बाद वो भाग पाई, ये सभी महिलाए ऐसे ही भागी, इनका कहना है की जो ऊपर के मालों पर थे वो तो मलबे में दब गए, उनके चिथड़े भी अब नहीं मिल पाएंगे क्यूंकि घटना की रात को भी मलबा डम्पर में भर कर कहीं निकाल दिया गया. फैक्ट्री में छोटे-छोटे बच्चे और महिलाए भी मौजूद थीं.
इस मलबे में कितनी लाशें थी इसका अंदाज़ा भी नहीं लगाया जा सकता तब से ही लगातार यहाँ JCB चलाई जा रही है वो भी बिना किसी एक्सपर्ट टीम के.
रवीश कुमार-
आप जानती हैं कि गोदी मीडिया पत्रकारिता के लिए नहीं है. वह केवल इसी मामले में नहीं बल्कि किसी भी मामले में यही करता है. चुप्पी बनाने का काम करता है. इसकी जगह पर वह सर्वे करेगा. मोदी को 400 सीटें देगा फिर 304 सीटें देगा. फिर 350 करेगा और 400 पर पहुँच जाएगा. अगला तीन महीना उसका इसी में निकलने वाला है. दस साल से यही चल रहा है. सर्वे करेगा, वायरल वीडियो की बच्चियों का इंटरव्यू करेगा, इसी सबसे अपना स्लॉट भर देगा. बिना मेहनत के काम करने का यह उसके लिए स्वर्णिम दौर है.