कन्हैया शुक्ला-
मैंने ईलाज के अभाव में ग़रीब लोगों को मरते हुए देखा है, पर क्या आपने भी देखा है?
देश की जनता सरकार को टैक्स देती है. सैलरी और सिर्फ अपने आमदनी का ही नही बाकी सभी सुविधाओं में कोई न कोई टैक्स होता है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जनता को ही देना होता है. वही जनता अपने लिए सरकार चुनती है. पर क्या सरकार की ज़िम्मेवारी नही बनती है? कि वो जनता को मिलने वाली मूलभूत सुविधाएं में लूट खसोट न होने दे? पर ऐसे राम राज्य की उम्मीद करनी भी नही चाहिए क्योंकि सरकारी सिस्टम में ऐसे ऐसे मठाधीश हैं जो पढ़े-लिखे होने के बाद भी अपनी आंखें भ्रष्टाचार के मामले में मूंद लेते हैं. जब सरकारी तंत्र में कोई बड़ा प्लेयर भ्रष्टाचार करने पर उतारू हो जाये तो अनाप-शनाप तरीक़े से जनता के हक़ का गला दबा के लूट मचाई जाती है.
छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग में इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप है कि पूरा आंकड़ा आपके कलकुलेटर में नही आएगा. इस मामले में मोक्षित कारपोरेशन की भूमिका पर सवाल हैं जसकी जाँच की माँग लगातार उठ रही है और छत्तीसगढ़ के विधानसभा सत्र में इस मामले में अम्बिकापुर के विधायक ने सवाल भी लगाया है पर वो उठ नही पाया. ध्यानाकर्षण भी लगा पर अभी तक छत्तीसगढ़ सरकार के ध्यान में नही आया. ये सिस्टम ही ऐसा है कि जनता से लुटे गए पैसों पर जो सवाल होते हैं उनको बहुत ज्यादा तबज्जो नही दिया जाता क्योंकि अग़र पोल खुलेगी तो कई बड़े जनता के शुभचिंतक का असली चेहरा जनता के सामने आ जाएगा.
ये वही लोग हैं जो जनता के बीच उनके जैसा दिखते हैं और उन्ही को लूट लेते हैं. और जनता बस इंतजार करती है कि शायद आने वाले दिनों में कुछ अच्छा बदलाव होगा. किसी भी राज्य में सबसे संवेदनशील विभाग स्वास्थ होता है. सरकारी सुविधाओं के अभाव में लोगों की जान चली जाती है पर सरकारी सिस्टम में काम करने वाले और लूट का मज़ा लेने वाले गिद्ध सिर्फ़ मुनाफ़ा कमाते हैं.
विधानसभा सत्र में लगा सवाल
छत्तीसगढ़ में CGMSC को मोक्षित कारपोरेशन से इतना लगाव क्यों है कि इतने बड़े पैमाने पर स्वास्थ विभाग में केमिकल की ख़रीदी वो भी कैसे दाम पर की गई इसकी क्यों नही कोई जांच हुई?
Reag 197 etda tube adlt जो कि मोक्षित कार्पोरेशन से 2352 रुपए में प्रति नग लिया गया जबकि अन्य संस्थाओं के द्वारा अधिकतम 8.50 रुपए में लिया गया है. स्वस्थ्य विभाग की 2022 जनवरी से 31 अक्टूबर 2023 तक अरबो रुपये की खरीदी साठ-गांठ करके मोक्षित कार्पोरेशन से की गई है. जिसमें हजारो करोड़ का घोटाला एवं बंदरबाट को समझा जा सकता है. अब समझ मे आया जब छत्तीसगढ़ में मरीज़ को क्यों कई बार चारपाई पर कई किलोमीटर परिजन ईलाज के लिए ले जाते हैं. क्यों हर क़स्बे में सरकारी अस्पताल की सुविधाएं नही हैं. क्योंकि भाई प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था अगर सुधर जाएगी तो विभाग में लूट कैसे होगी? स्वस्थ विभाग ने अपने बजट राशि से 4 गुना राशि का रीएजेंट खरीदा जिसकी जांच तक नही हुई. मतलब आप समझ ही नही पाएंगे कि छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन सीजीएमएससी में आख़िरकार क्या चल रहा है?
देखिये मोक्षित कारपोरेशन से किस रेट में कितना ख़रीदी की गई
सैकड़ों करोड़ के रीएजेंट की खरीदी की गई. ग्रामीण इलाकों समेत पूरे छत्तीसगढ़ में कई जगह ऐसे जहां पर तो लैब और टेस्ट करने वाली मशीनें तक नहीं है वहां भी खून की जांच में उपयोग होने वाला रीएजेंट भेजा गया. सबसे अहम बात की CGMSC कारपोरेशन की जरूरत ही क्यों है? सिर्फ़ इसलिए कि इससे अंट-शंट घोटाला किया जा सके? सीधा स्वास्थ विभाग क्यों नही ख़रीदारी करता है?
भ्रष्टाचार का धंधा होना चाहिए दुकान चलनी चाहिए भले लाचारी ही जनता की क़िस्मत क्यों न बन जाए!