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सुख-दुख

जरूर पढ़ें यह जानकारी, अचानक हार्ट अटैक आने पे किसी की जान बचा सकती है!

स्कंद शुक्ला-

पड़ोस में एक सज्जन को तीन घण्टे पहले सीने में दर्द उठा। कुछ घबराहट भी थी। धर्मपत्नी संग ही थीं। 325 मिग्रा की एस्पिरिन और सॉर्बिट्रेट एक गिलास पानी के साथ ले आयीं। सज्जन को दवाएँ खिला दी गयीं। तब तक लोग उन्हें मेडिकल कॉलेज लेकर भागे। वहाँ जाकर मायोकार्डियल इन्फार्क्शन की पुष्टि हुई।

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जिस दर से समाज में हृदयरोग बढ़ रहे हैं , उसके अनुसार चबायी जाने वाली एस्पिरिन और सॉर्बिट्रेट का घर में रखा जाना कोई अतिवादी क़दम नहीं। अब हम इस धोखे में नहीं जी सकते कि हृदयाघात पैंसठ साल के आदमी को होगा या केवल डायबिटीज़ के रोगी को अपना शिकार बनाएगा। जब पच्चीस-तीस साल के लड़के सीने में दर्द के कारण भर्ती हो रहे हैं और उनमें हृदयाघात की पुष्टि हो रही है , तो ऐसे में लापरवाही उचित नहीं होगी।

एस्पिरिन का चबाया जाने वाला यह स्वरूप अगर सीने में दर्द के तुरन्त बाद दे दिया जाए , तो हृदय की मांसपेशियों की क्षति को कम कर देता है। ध्यान रहे कि यह एस्पिरिन वह एंटेरिक कोटेड एस्पिरिन नहीं है , जिसे डॉक्टर हृदयाघात की रोकथाम के लिए लिखते हैं। वह गोली चबायी नहीं जाती , निगली जाती है। यहाँ गोली को चबाना है ताकि वह ख़ून में जल्दी पहुँचे और काम शुरू कर दे। जब सीने में दर्द उठ ही चुका है , तो रोकथाम का प्रश्न नहीं उठता। तब पहले प्राथमिक उपचार के बाद सीधे ऐसे अस्पताल भागना है , जहाँ हृदयरोग-विशेषज्ञ मौजूद हैं।

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सज्जन के परिवार वाले समझदार हैं। उनकी पत्नी की जितनी प्रशंसा की जाए , कम होगी। वे स्वयं डायबिटीज़ से ग्रस्त हैं। लेकिन घर में उनकी डायबिटीज़ की दवाओं के अलावा एक ग्लूकोमीटर , एक ग्लूकोज़ का डिब्बा , चबायी जाने वाले एस्पिरिन , सॉर्बिट्रेट , एसिडिटी-नाशक गोलियाँ और ब्लड-प्रेशर-यन्त्र हमेशा उपलब्ध रहते हैं। ये लोग कभी इन संसाधनों के बिना कहीं यात्रा नहीं करते। मुसीबत स्थान देखकर नहीं आती। वह कहीं भी बिना चेताये प्रकट हो सकती है।

चबायी जाने वाली एस्पिरिन किन्हें न दी जाए — यह सवाल महत्त्वपूर्ण है। अधिकांश लोग इन गोलियों को सीने में उठे दर्द के लिए खा सकते हैं। हृदयाघात की आशंका-भर इसके सेवन के लिए काफ़ी है। कारण कि इस दवा से होने वाले लाभ की तुलना में हानि नगण्य है। हाँ , लेकिन अगर रोगी के पेट में अल्सर हो , अथवा ख़ून पतला करने की कोई दवाएँ चल रही हों या फिर एस्पिरिन के प्रति हायपरसेंसिटिविटी के लक्षण रहे हों , तब ऐसे लोगों को ये गोलियाँ नहीं खानी चाहिए।

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ज़ाहिर हैं , इस तरह के अपवाद समाज में कम ही हैं। और ऐसे में चबायी जाने वाली एस्पिरिन सीने में उठे दर्द के लिए प्राथमिक उपचार बनकर उभरती है।

क्या आपके घर में चबायी जाने वाली एस्पिरिन 325 मिग्रा है ? सॉर्बिट्रेट ? अगर नहीं हैं , तो निकटतम मेडिकल-स्टोर घर से कितनी दूर है ? निकटतम अस्पताल जहाँ हृदयरोग के लिए कैथलैब उपलब्ध हो , वह कितनी दूर है ? क्या आपने कभी इन सब सवालों पर ग़ौर किया है ? इस विषय में अपने डॉक्टर से अवश्य चर्चा कीजिए। यह वह प्राथमिक क़दम है , जो हम-सब हृदय-रोगों के विरुद्ध उठा सकते हैं।

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