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हिन्दुस्तान ने मुरादाबाद में चार साल पूरा किया, पढ़िए संपादक मनीष मिश्र का वक्तव्य

मनीष मिश्र, संपादक, दैनिक हिंदुस्तान मुरादाबाद

Manish Mishra : आपके सपनों को पंख देते रहेंगे हम। हिन्दुस्तान ने मुरादाबाद में अपना चार साल का सफर पूरा कर लिया। करीब डेढ़ हजार दिन के इस सफर से हमने बहुत कुछ सीखा है। इस दौरान हमने शहर की नब्ज थामने की कोशिश की। मुरादाबाद की हर जरूरत को महसूस किया। उसके लिए आवाज उठाई। उपक्रम किए और अंतत: कुछ न कुछ सकारात्मक हासिल भी हुआ। मुरादाबाद के सुधी पाठकों ने एक जिम्मेदार अखबार होने के नाते हम पर जो जिम्मेदारी सौंपी थी, हम उसे पूरा करने में सफल हुए। यह आपकी ही ताकत थी। बड़ी चुनौतियों के बीच मुरादाबाद के नागरिकों ने हिंदुस्तान को जो प्यार दिया, वह बेमिसाल है।

मनीष मिश्र, संपादक, दैनिक हिंदुस्तान मुरादाबाद

Manish Mishra : आपके सपनों को पंख देते रहेंगे हम। हिन्दुस्तान ने मुरादाबाद में अपना चार साल का सफर पूरा कर लिया। करीब डेढ़ हजार दिन के इस सफर से हमने बहुत कुछ सीखा है। इस दौरान हमने शहर की नब्ज थामने की कोशिश की। मुरादाबाद की हर जरूरत को महसूस किया। उसके लिए आवाज उठाई। उपक्रम किए और अंतत: कुछ न कुछ सकारात्मक हासिल भी हुआ। मुरादाबाद के सुधी पाठकों ने एक जिम्मेदार अखबार होने के नाते हम पर जो जिम्मेदारी सौंपी थी, हम उसे पूरा करने में सफल हुए। यह आपकी ही ताकत थी। बड़ी चुनौतियों के बीच मुरादाबाद के नागरिकों ने हिंदुस्तान को जो प्यार दिया, वह बेमिसाल है।

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हर शहर अपने कुछ अंतर्विरोधों-चक्रव्यूहों के बीच बढ़ता है। कुछ समस्याएं अंतहीन लगती हैं। कुछ सवाल प्राय: सदा के लिए अनुत्तरित महसूस होते हैं। हिन्दुस्तान ने पहले ही दिन से ऐसी जटिल समस्याओं पर फोकस किया। शहर के गौरवशाली मैदान कंपनी बाग को पुराने स्वरूप में लौटाने का अभियान छेड़ा। आपके साथ हमने श्रमदान किया। मेहनत रंग लाई और वह सपना पूरा भी हुआ। शहर के मरीजों के लिए खून की जरूरत थी। आपके सहयोग से हमने ब्लड डोनर चेन बनाई। खुद भी रक्तदान किया। यह चेन अब तमाम लोगों की जिंदगी बचा रही है। हिन्दुस्तान की संजीवनी ने बुजुर्गों की बेरंग जिंदगी में कुछ रंग भरे। वहीं इस शहर के लिए नासूर बन चके लोकोशेड पुल के चौड़ीकरण की खातिर हमने ‘खत्म करो इंतजार’ अभियान चलाया। अब इस पुल के चौड़ीकरण का आगाज हो चुका है।

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दस साल से विरान पड़े एसईजेड को एमपीजेड यानी मल्टी प्रोडक्ट जोन में तब्दील कराने का बीड़ा भी हमने उठाया है। इसी जिद में हम तीन साल से लगातार इस मुद्दे का पीछा कर रहे हैं। आखिरकार मंगलवार (23 फरवरी 2016) को प्रदेश और केन्द्र सरकार से इसे हरी झंडी मिल गई। अब नया सवेरा की पहल में आप सब शामिल हुए तो सैकड़ों वंचित बच्चों की तालीम की नई राहें खुल गई हैं। तमाम संस्थाएं, संगठन और व्यक्ति इस मुहिम में जुड़ कर बच्चों की शिक्षा का बीड़ा उठा रहे हैं।

चार साल पहले हमने संकल्प लिया था कि महज सनसनी, कौतुक और रोजनामचा छापने की जगह हम शहर की आवाज बनेंगे। जरूरी सूचनाओं, उपयोगी तथ्यों के साथ शहरवासियों की जरूरतों के लिए अभियान चलाएंगे। आपके इस संग-साथ और भरोसे ने हमारी चुनौती बढ़ा दी है। मुरादाबाद शहर हिन्दुस्तान से और ज्यादा अपेक्षा रखने लगा है। हमारी टीम यह जिम्मेदारी न सिर्फ महसूस करती है बल्कि उसे निभाने के लिए प्रतिबद्ध भी है। आने वाले वर्षों में हम इसी तरह मुरादाबाद के सुख-दुख में शरीक रहेंगे। जरूरतों की आवाज उठाएंगे। नाइंसाफियों पर लड़ेंगे। उदास चेहरों पर मुस्कान लाने की कोशिश करते रहेंगे। बस हमें आपका साथ उसी तरह से चाहिए, जैसे आप पिछले चार सालों से देते रहे हैं।

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दैनिक हिंदुस्तान, मुरादाबाद के संपादक मनीष मिश्र के फेसबुक वॉल से.

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