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‘हिंदुस्तान’ के मैनेजर अखबार को रद्दी के भाव बिकवा कर मालिकों को प्रसार बढ़ने की फर्जी रिपोर्ट भेजेंगे!

Rakesh Pandey : वाराणसी से खबर है कि पिछले दिनों यहां से प्रकाशित हिंदुस्तान ने शहर के कुछ गिने चुने वितरक नेताओं की मौजूदगी में केक काटकर अपने प्रकाशन की 13वीं वर्षगांठ मनाकर औपचारिकता पूरी कर ली. इसी के साथ अपने अख़बार की बिक्री बढ़ाने के लिए 10 प्रतियाँ लेने पर 1 कॉपी फ्री, 30 पैसा बोनस और बीमा कराने का झाँसा देकर वितरकों को लुभाने की पूरी कोशिश की. ‘वितरक आवाज’ को मिली जानकारी के अनुसार आम वितरकों में हिन्दुस्तान की इस स्कीम पर कतई विश्वास नहीं है.

<p>Rakesh Pandey : वाराणसी से खबर है कि पिछले दिनों यहां से प्रकाशित हिंदुस्तान ने शहर के कुछ गिने चुने वितरक नेताओं की मौजूदगी में केक काटकर अपने प्रकाशन की 13वीं वर्षगांठ मनाकर औपचारिकता पूरी कर ली. इसी के साथ अपने अख़बार की बिक्री बढ़ाने के लिए 10 प्रतियाँ लेने पर 1 कॉपी फ्री, 30 पैसा बोनस और बीमा कराने का झाँसा देकर वितरकों को लुभाने की पूरी कोशिश की. 'वितरक आवाज' को मिली जानकारी के अनुसार आम वितरकों में हिन्दुस्तान की इस स्कीम पर कतई विश्वास नहीं है.</p>

Rakesh Pandey : वाराणसी से खबर है कि पिछले दिनों यहां से प्रकाशित हिंदुस्तान ने शहर के कुछ गिने चुने वितरक नेताओं की मौजूदगी में केक काटकर अपने प्रकाशन की 13वीं वर्षगांठ मनाकर औपचारिकता पूरी कर ली. इसी के साथ अपने अख़बार की बिक्री बढ़ाने के लिए 10 प्रतियाँ लेने पर 1 कॉपी फ्री, 30 पैसा बोनस और बीमा कराने का झाँसा देकर वितरकों को लुभाने की पूरी कोशिश की. ‘वितरक आवाज’ को मिली जानकारी के अनुसार आम वितरकों में हिन्दुस्तान की इस स्कीम पर कतई विश्वास नहीं है.

इनका मानना है कि प्रेस प्रबंधक अखबार को रद्दी के भाव बिकवा कर अपने मालिकों को प्रसार बढ़ने की फर्जी रिपोर्ट भेज कर वाहवाही पायेंगे और मौका पाते ही स्कीमों के वादे से मुकर कर वितरकों के मुँह से रोटी का निवाला छीन लेंगे। समाचार पत्र वितरक कल्याण समिति के प्रेसीडेंट राम प्रवेश मिश्रा के अनुसार उन्होंने हिन्दुस्तान प्रबंधकों को सलाह दी थी कि वे 13वीं वर्षगाँठ के मौके पर शहर के 13 वयोवृद्ध वितरक जनों को सम्मानित करने के साथ ही अपनी स्कीमों का पूरे वितरक समाज के बीच खुलासा करें लेकिन प्रबंधकों ने उनकी सलाह को नजरअंदाज कर दिया, इसलिए उन्होंने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है।

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‘वितरक आवाज’ के प्रधान संपादक राकेश पांडेय के फेसबुक वॉल से.

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