रविंद्र सिंह-
उर्वरक मंत्रालय व सरकार पर भारी पड़ा केंद्रीय रजिस्ट्रार
अवस्थी एण्ड कंपनी ने देश के गरीब अन्नदाताओं एवं सरकार के साथ धोखाधड़ी की है। फिर सीबीआई जांच की आंच अब तक क्यों नहीं आ रही है। सच तो यह है सरकार और अवस्थी के बीच 16 साल से इफको घोटाले और मालिकाना हक पर सिर्फ आंख मिचौली का खेल चल रहा है। उर्वरक मंत्रालय कभी अपील दायर करता है कभी अवस्थी के खिलाफ जांच कर कार्रवाई के लिए सीबीआई को मामला सौंपता है।
हैरानी की बात यह है जब अवस्थी ने धोखाधड़ी की है तो देर किस बात की इस अपराधी, देशद्रोही को तुरंत सिविल की बजाए अपराधिक केस दर्ज कर गिरफ्तार करना चाहिए।
इस देशद्रोही की हिम्मत तो देखिए भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बात करने वाली पार्टी की सरकार में राज्य सभा के लिए यूपी से टिकट की मांग भी करता है लेकिन पार्टी के ईमानदार नेताओं की वजह से यह संसद में नहीं पहुंच सका वरना संसद को भी अपार नुकसान पहुंचाता। चौंकाने वाली बात गैरकानूनी आदेश के खिलाफ थी और उपमा श्रीवास्तव पदेन केंद्रीय रजिस्ट्रार थीं। ऐसे में केंद्रीय रजिस्ट्रार भी यूनियन ऑफ इंडिया है, उक्त दोनो ही सरकारी मंत्रालय हैं जो पूरी तरह से संवैधानिक भी हैं।
इफको बोर्ड के कर्ता-धर्ता उदय शंकर अवस्थी हैं जिसने नौकर होते हुए सरकार का धोखाधडी से मालिकाना हक समाप्त कर खुद मालिक बन गया है। परंतु उपमा श्रीवास्तव ने अपने निर्णय में इधर-उधर की उपमाएं टाइप कराई और कागज के हरे-हरे नोट लेकर आदेश अवस्थी के पक्ष में कर दिया है हालांकि इस आदेश के बाद उपमा की उपमा ज्यादा दिन नहीं चली और उनका तबादला कर दिया गया। उपमा ने निर्णय में यह भी लिखा है कि इफको बोर्ड को पार्टी क्यों नहीं बनाया गया है ऐसा उनके द्वारा लिखने का मतलब साफ होता है वे नहीं मानती अवस्थी व तत्कालीन केंद्रीय रजिस्ट्रार ने धोखाधड़ी से बायलॉज पंजीकृत कराया है।
इसके अलावा उपमा ने इफको बोर्ड भंग कर रीसीवर बैठाने का रत्ती भर प्रयास नहीं किया है। अब अवस्थी बार-बार पीएमओ व सरकार में बैठे अपने दलालों से इस तरह की चर्चा करा रहा है कि अगर उसके गिरेबान पर सरकार ने हाथ डाला तो सबको देश के सामने नंगा कर देगा। इसके बाद उसको तो जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर जेल नसीब होगी ही साथ में उन नेताओं को भी ले जायेगा जो चुनावी मुद्दा न बनाने के नाम पर उससे मोटा चंदा वसूल चुके हैं।
देश के वर्तमान हालात देखने से लगता है कि अगर अवस्थी किसी विरोधी दल का नेता होता तो सीबीआई, ईडी ने पकड़ कर जेल भेज दिया होता। इसी तरह इफको से नजदीकी रखने वाले कहते हैं कि देश में अलग-अलग स्थानों पर 5 संयंत्र हैं लगभग 8000 अधिकारी और कर्मचारी हैं इतना बड़ा नेटवर्क संभालने के लिए बहुत ही अनुभवी टीम चाहिए। परंतु यह बात भी याद रखना चाहिए कि देश में इफको के अलावा अन्य उर्वरक सयंत्र भी हैं जो उत्पादन कम और मुनाफा कई गुना ज्यादा कमा रहे हैं ऐसे में यह कहना कि इफको प्रबंधन में ही कार्यकुशलता है तो सरासर गलत होगा।
भारत कृषि प्रधान देश है यह बात राजनीतिक इच्छा शक्ति केवल परिकल्पना तक ही सीमित रखना चाहती है अगर किसानों की दिशा और दशा के प्रति थोडी भी संवेदनशीलता होती तो उसके अंशधन से स्थापित इफको का धन विदेश तक लुटाए जाने पर कार्रवाई की जाती न की अवस्थी को संरक्षण दिया जाता? आज किसानों को समृद्धि के नाम पर सिर्फ जुमले मिल रहे हैं इफको पर सरकार को पूर्व की तरह नियंत्रण में लेने के लिए किसी प्राधिकरण अन्य संवैधानिक संस्थाओं में जाने की जरूरत नहीं है। बस जरूरत तो केवल इच्छा शक्ति की है और अब इच्छा शक्ति इसलिए नहीं बन पा रही है सरकार में बैठे कुछ लोगों ने बहती गंगा के जल की तरह खूब डुबकी लगाई है। भारत की सेना को प्रबंधन गुरु और आईएएस नौकरशाह मार्गदर्शन नहीं देते हैं बल्कि सैनिकों को मानसिक रूप से विपरीत हालात में काम करने का कुशल प्रशिक्षण दिया जाता है।
इफको पर नियंत्रण के समय सेना की मद्द ली जाए तो किसी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका से बहुत ही आसानी से निपटा जा सकता है उससे पहले अवस्थी का पासपोर्ट जब्त किया जाए जिससे वह विदेश भागने में सफल न हो कारण यह भी है उसने भारत का नागरिक होते हुए अमेरिका की नागरिकता ले ली है उक्त सवाल पर ग्रह मंत्रालय से लिखित में पूछा गया था परंतु सरकार ने किसी तरह का जवाब नहीं दिया। आज कल अवस्थी इफको के संयत्रों में जाकर खुद को भगवान की तरह पेश करने का प्रयास कर रहा है इसके अलावा यूनियनों के नेताओं से अलग-अलग बात कर अपने पक्ष में साधने में लगा है।
इस तरह की कार्यशैली तब शुरू की गई है जब सीबीआई ने नोटिस जारी कर तलब किया है।
सीबीआई कार्यालय के मुताबिक अब तक अवस्थी गैंग को पूछताछ के लिए सिर्फ एक नोटिस ही दिया गया है दूसरे नोटिस पर पूर्व में दिए गए सवालों के जवाब का मिलान किया जाता है और तीसरे नोटिस पर सीधे गिरफ्तार कर लिया जाता है। अगर इसी कछुआ गति से जांच चलती रही तो अवस्थी मृत्यु शैया पर पहुंच जायेगा परंतु जांच पूरी नहीं हो पाएगी यही सरकार से वह चाहता है इसके बाद भारत के 5.5 करोड़ गरीब किसान 36,666 सहकारी समिति इफको सदस्य अपना माथा पीटते रह जायेगे।
बरेली के पत्रकार रविंद्र सिंह द्वारा लिखी किताब ‘इफको किसकी’ का 28वां पार्ट..
जारी है..
पिछला भाग.. इफको की कहानी (27) : उदय शंकर रातो रात किसानों की संस्था का अघोषित मालिक बन गया!