रवीश कुमार-
देश में विपक्ष को ख़त्म करने की रणनीति का दस्तावेज़। इंडियन एक्सप्रेस के दीप्तिमान तिवारी ने 20/21 सितंबर को सीबीआई और ईडी की जाँच का रिकार्ड खंगाल दिया है। एक तरफ़ इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिए चुनावी फंड को विपक्षों दूर रखो और दूसरी तरफ़ जाँच एजेंसियाँ लगा कर विपक्ष को ख़त्म कर दो। जनता को बग़ैर विपक्ष के रहने की आदत डाल दो।
दीप्तिमान तिवारी की दोनों रिपोर्ट से यह साफ़ होता है कि कांग्रेस और अन्य दलों से विधायक और सांसद अपनी जान बचाने के लिए भाजपा में गए हैं। जाँच एजेंसियों का डर नहीं होता तो ये नेता भाजपा में नहीं जाते। यह लड़ाई किसी भी तरह से भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं है बल्कि इसके नाम पर विपक्ष को तोड़ने की है। तभी तो सब भाजपा की ओर भाग रहे हैं। उनके भ्रष्टाचार का क्या होगा? और क्या इन जाँच एजेंसियों को भाजपा के भीतर छापे डालने के लिए कोई मिल ही नहीं रहा?
संजय कुमार सिंह-
ईडी की जांच विपक्ष के खिलाफ और हाईकोर्ट मंत्री के खिलाफ!
इंडियन एक्सप्रेस ने तो सीबीआई की रही-सही साख की अंत्येष्टि ही कर दी है। इंडियन एक्सप्रेस ने कल की अपनी खबर की दूसरी किस्त आज छापी है इसका शीर्षक है, विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी के मामले चार गुना बढ़ गए हैं। 95 प्रतिशत मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ और उसमें भी कार्रवाई नहीं, कामयाबी नहीं।
भाजपा को सत्ता मिली थी भ्रष्टाचार दूर करने करने के लिए, अलग नेताओं को अलग तरह से देश चलाने के लिए। लेकिन हो क्या रहा है – दलबदलू सरकार चला रहे हैं। प्रधानमंत्री चाहे जितने काबिल हों उनके पास टीम नहीं है और लगभग अनपढ़ को शिक्षा मंत्री बना दिया था। उसी तरह पूर्व तड़ीपार को गृहमंत्री बना रखा है। विदेश में रखा काला धन वापस लाना था पर लगे हिसाब बराबर करने। राजनीतिक समर्थन पाने के लिए धन का ही नहीं राज्यसभा की सदस्यता का भी दुरुपयोग किया गया। ऐसे में ईडी का दुरुपयोग क्या चीज है।
नेशनल हेराल्ड मामले में पूछताछ का प्रचार याद है – मिला क्या? कार्रवाई क्या हुई? झूठे आरोपों, झूठी शिकायतों पर बिना तैयारी नोटबंदी हुई, बुरी तरह फ्लॉप रही, कई नए मामले सामने आए पर उनकी जांच का क्या हुआ कोई नहीं जानता। मुझे लगता है कि जांच ईमानदारी से हो रही होती तो नतीजों का प्रचार क्यों नहीं होता?
जीएसटी का विरोध करत-करते उसे बिना तैयारी लागू कर दिया और फिर मनमानी व जबरदस्ती याद हो तो आपको यह भी याद होगा कि चार राज्यों में हार और गुजरात चुनाव के समय उसमें कितनी ढील दी गई। कुल मिलाकर, मामला बहुमत से पगला जाने का ही है। देखना जनता को है … क्योंकि इसी अखबार में इसी पन्ने पर आज ही एक खबर है, हाईकोर्ट ने भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे कं बंगले का अवैध निर्माण गिराने का आदेश दिया। खबर के अनुसार अदालत की खंड पीठ ने कहा है, इसलिए इसमें कोई विवाद नहीं है कि याचिकाकर्ताओं ने स्वीकृत योजना और कानून के प्रावधानों का गंभीर उल्लंघन करते हुए बड़े पैमाने पर अनधिकृत निर्माण किया है।
आप जानते ही हैं कि नारायण राणे 2005 तक शिवसेना में थे फिर कांग्रेस में चले गए 2017 में कांग्रेस छोड़ दी महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष शुरू किया और 2018 में भाजपा के टिकट पर राज्यसभा के लिए चुन लिए गए। लोग कहते हैं कांग्रेस कमजोर हो रही है। आप दलबदलुओं को राज्यसभा में भेजोगे तो कोई क्यों न जाए? राज्यसभा की सदस्यता समर्थन खरीदने के लिए दी जाएगी, जजों को ईनाम दिया जाएगा तो ईमानदारी कैसे दिखेगी? दूसरी ओर कार्यकर्ता उपेक्षित हैं, आम आदमी पार्टी पर उंगली उठाएंगे, और इस तरह भाजपा मजबूत हो रही है।
भाजपा का कोई नेता क्यों नहीं कहता कि कांग्रेसी या शिवसैनिक नारायण राणे राज्यसभा के लिए कैसे नामांकित किए जा सकते हैं। उनके अवैध निर्माण पर क्यों चुप रहे? इंडियन एक्सप्रेस का पहला पन्ना देखना चाहें तो कमेंट बॉक्स में जाएं।
Vijay Kumar
September 22, 2022 at 7:06 am
Indian express