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जागरण के साथियों! एकजुट रहना, प्रबंधन पर भरोसा मत करना, सब कुछ लिखित में लेना

साथियों, मजीठिया वेजबोर्ड के मामले को लेकर दैनिक जागरण की दमनकारी नीतियों से निजात पाने का अवसर आपकी प्रतीक्षा कर रहा है। आपको संगठित रहकर एक-दूसरे पर भरपूर विश्वास रखना होगा। विश्वास भी ऐसा कि जैसे फरवरी माह की भरी सर्दी में कर्मचारियों में गर्मी लगी और जागरण के एयरकंडीशन की ठंडी हवा का दम निकल गया, सर्दी में भी गर्माये शरीर को ठंडा करने के लिए सभी एकजुट होकर जागरण परिसर से बाहर सड़कों पर आ गए। उस एकता की गर्मी ने आला अधिकारियों को पसीने से तरबतर कर दिया, वहीं मालिकों को गहरी नींद से जगाकर रातभर सोचने के लिए विवश कर दिया- अरे! यह क्या हो गया? एकता का बिगुल बजा कैसे? दबे-कुचले कर्मचारियों में गर्मी कैसे आ गई? जोंक की तरह खून तो हम चूस रहे थे? कंकाल शरीर को मांस कहां से चढ़ गया। सोचो साथियों, शरीर में गर्म खून नहीं फिर भी आग भड़क गई। यही गर्माहट अब जागरण के सभी संस्करणों के कर्मचारियों में लाना है।

साथियों, मजीठिया वेजबोर्ड के मामले को लेकर दैनिक जागरण की दमनकारी नीतियों से निजात पाने का अवसर आपकी प्रतीक्षा कर रहा है। आपको संगठित रहकर एक-दूसरे पर भरपूर विश्वास रखना होगा। विश्वास भी ऐसा कि जैसे फरवरी माह की भरी सर्दी में कर्मचारियों में गर्मी लगी और जागरण के एयरकंडीशन की ठंडी हवा का दम निकल गया, सर्दी में भी गर्माये शरीर को ठंडा करने के लिए सभी एकजुट होकर जागरण परिसर से बाहर सड़कों पर आ गए। उस एकता की गर्मी ने आला अधिकारियों को पसीने से तरबतर कर दिया, वहीं मालिकों को गहरी नींद से जगाकर रातभर सोचने के लिए विवश कर दिया- अरे! यह क्या हो गया? एकता का बिगुल बजा कैसे? दबे-कुचले कर्मचारियों में गर्मी कैसे आ गई? जोंक की तरह खून तो हम चूस रहे थे? कंकाल शरीर को मांस कहां से चढ़ गया। सोचो साथियों, शरीर में गर्म खून नहीं फिर भी आग भड़क गई। यही गर्माहट अब जागरण के सभी संस्करणों के कर्मचारियों में लाना है।

दोस्तों, हमें इस मिसाल को मसाल बनाकर सभी संस्करणों में जलाना है। इस मसाल में दमनकारी नीतियों से ओतप्रोत जागरण प्रबंधक की हर चाल को दफन करना है। हमारे अंदर जलती हुई ज्वाला को ज्वारभाटा का रूप देना होगा, तभी पहाड़ जैसे विशालकाय दैनिक जागरण के अहंकार और अधिकारियों के भ्रम की आहूति देने में कामयाबी मिलेगी। 1991 में इसी विशालकाय जागरण प्रबंधकतंत्र ने अपनी नीतियों को कामयाब होते देखा है। तभी से जागरण की दमनकारी नीतियों ने अपने पांव पसारते हुए हर निष्ठावान, ईमानदार और मेहनती कर्मचारी की आहूति लेने में कभी कोताही नहीं बरती। उसी कुचक्र में फंसकर मुझे भी यूनियन की हार और मैनेजमेंट की जीत का विषपान करना पड़ा था। लेकिन मेरे जेहन में रह-रहकर एकता बनाने, कर्मचारी के हितार्थ कुछ करने और संगठित रहने की चिंगारी ज्वलंत होते देख तात्कालिक प्रबंधक ने षड्यंत्र रचकर मुझे (रामजीवन गुप्ता) 6-5-1994 को आईएनएस, दिल्ली में तबादला कर ज्वलंत होती आग को फिर ठंडा कर दिया।

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साथियों, आज मैं फिर कहूंगा, इनसे लिखित के अलावा किसी बात पर विश्वास नहीं करना। आज आपकी एकता के आगे नतमस्तक होने को मजबूर हैं, जागरण की दूरदर्शी कुनीतियां जगजाहिर हैं- बदलते मौसम में बरसने में देर नहीं लगाते हैं। मजीठिया वेजबोर्ड की इस आर-पार की लड़ाई में दिल्ली सरकार के सहयोग की अपेक्षा से बल मिला, वहीं आपकी लड़ाई में विभिन्न संस्करणों के कर्मचारियों की भावनाएं शामिल हो रही हैं, भावनाएं भगवानरूपी सत्य के साथ है। हमे अपनी हद में, मर्यादा में, एकता में रहकर मुस्कुराकर इनकी हर बात का इजहार करना है।

साथियों, एकजुटता का असर रंग लाने लगा है। विरोधस्वरूप काली पट्टी बांधने मात्र से जागरण प्रबंधन को हमारी एकता में अनैकता का बल दर्शाता है। यही फर्क जमीन और आसमान में होता है। जागरण में दसावतार का पर्दापण हो चुका, हमारी एकता ही उनका बल है। बलशाली कर्मचारी का संगठन है। सो आप और हम भी गौरवान्वित हैं कि मजीठिया वेजबोर्ड शक्ति परीक्षण में यूनियन पदाधिकारीगण शक्तिमान कहलाएंगे।

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रामजीवन गुप्ता
पीटीएस
आईएनएस
दिल्ली

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