बसपा प्रमुख मायावती के सियासी भविष्य को लेकर यूपी तक के पत्रकार अभिषेक मिश्रा ने वरिष्ठ पत्रकारों से बातचीत की। इस चर्चा के दौरान सभी पत्रकार इस बात पर सहमत दिखे तो मायावती आने वाले दिनों में बड़ा सियासी दांव खेलकर सबको चौंका सकती हैं। आगामी 15 जनवरी को मायावती का जन्मदिन है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि मायावती इस मौके पर कोई बड़ा ऐलान कर सकती हैं।
इस पैनल में वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र दुबे, राजनैतिक विश्लेषक प्रमोद गोस्वामी, अंबेडकरवादी विचारक गौतम राणे सागर, प्रदीप कपूर आदि मौजूद थें। सभी ने मायावती की सियासत और अगले कदम पर अपनी राय रखी।
अंबेडकरवादी विचारक गौतम राणे सागर ने चर्चा के दौरान कहा कि आज भी मायावती यूपी की सबसे बड़ी दलित नेता हैं। बड़े बेबाक तरीके से उन्होंने कहा कि मायावती के समक्ष मजबूरी है कि वो इंडिया गठबंधन में शामिल नहीं हो सकती। जब तक उनके पास इंटेलिजेंस की रिपोर्ट नहीं पहुंच जाती या जब तक बीजेपी का निर्देश नहीं आ जाता, वो तब तक गठबंधन में शामिल नहीं होंगी। हालांकि उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि बसपा का वोट ट्रांसफर होता है। मायावती जिसके साथ जाती हैं, उनका वोट उसे मिल जाता है। गौतम के अनुसार 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने सपा के साथ गठबंधन भाजपा के निर्देशानुसार किया था। वो सपा के साथ गठबंधन में जरुर थीं लेकिन कहीं और से गाइड हो रही थीं।
वहीं राजनैतिक विश्लेषक प्रमोद गोस्वामी का मानना है कि अगर बसपा विपक्षी गठबंधन में शामिल होती हैं तो भाजपा को उससे नुकसान होगा। उन्होंने भी स्वीकार किया कि आज भी मायावती यूपी की सबसे बड़ी दलित नेता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पहले की अपेक्षा मायावती और बसपा कमजोर हुई है। गोस्वामी ने कहा कि मायावती का टेंटुआ केंद्र सरकार के पास है। वहीं से ये तय होगा कि मायावती किसके साथ जाएंगी। जितना टेंटुआ दबेगा, उसी हिसाब से फैसला होगा।
वरिष्ठ पत्रकार सुरेंंद्र दुबे ने कहा कि मायावती के समक्ष कई चुनौतियां हैं। वो इस वक्त दबाव में हैं। उन्हें खुद को भी बचाना है और पार्टी को भी बचाना है। कई सालों से वो घाटे में चल रहीं हैं। उन्हें मालूम है कि उनकी बादशाहत नहीं आने वाली है। अब दलित राजनीतिक रुप से बदल गए हैं और मजबूत भी हो गए हैं। वर्तमान अवस्था में मायावती बहुत मजबूत नहीं हैं और पूरी लड़ाई भाजपा और सपा के बीच ही रहेगी।
वहीं पत्रकार प्रदीप कपूर ने कहा कि मायावती अकेले ही लड़ना चाहती हैं। बीजेपी भी ऐसा ही चाहती है। मायावती के अकेले लड़ने से ही बीजेपी को फायदा है। मायावती कोई ऐसा काम नहीं करेंगी, जिससे बीजेपी को नुकसान हो। प्रदीप कपूर के अनुसार समाजवादी पार्टी ही चाहती है कि मायावती इंडिया गठबंधन में शामिल हो।