बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई कर रहे एक विशेष जज ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से पुलिस सुरक्षा मुहैया कराए जाने की अपील की। इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती आरोपी हैं। जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस सूर्य कांत की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस मामले में दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
पीठ ने कहा कि इस मुकदमे की सुनवाई कर रहे विशेष जज ने 27 जुलाई को एक नया पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने अपने लिये सुरक्षा मुहैया कराए जाने सहित पांच अनुरोध किए हैं, जिनके बारे में हमारा सोचना है कि वे तर्कसंगत हैं। पीठ ने विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाने के बारे में उत्तर प्रदेश सरकार को दो सप्ताह के अंदर आदेश जारी करने के लिए शुक्रवार को कहा। पीठ ने राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी को इन सभी पांच अनुरोधों पर दो सप्ताह के अंदर विचार करने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा कि जज द्वारा किए जा रहे कार्य की संवेदनशीलता को देखते हुए सुरक्षा के लिए न्यायाधीश की मांग वाजिब है। सीबीआई न्यायाधीश को उच्चतम न्यायालय द्वारा जुलाई में दिए गए निर्देश के अनुसार अप्रैल 2020 तक कार्यवाही पूरी करके फैसला सुनाना है। मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीश 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन उनके कार्यकाल को इस मामले का फैसला सुनाए जाने तक विस्तार देने का आदेश दिया गया था।
गौरतलब है कि 19 अप्रैल, 2017 को जस्टिस पीसी घोष और आरएफ नरीमन की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दिए गए डिस्चार्ज के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर अपील की अनुमति देकर आडवाणी, जोशी, उमा भारती और 13 अन्य भाजपा नेताओं के खिलाफ साजिश के आरोपों को बहाल किया था। संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए पीठ ने रायबरेली मजिस्ट्रेट अदालत में लंबित अलग मुकदमे को भी स्थानांतरित कर दिया और लखनऊ सीबीआई कोर्ट में आपराधिक कार्यवाही के साथ इसे क्लब कर दिया।
उच्चतम न्यायालय ने मामले में दिन-प्रतिदिन सुनवाई करके दो साल में मुकदमे को समाप्त करने का आदेश दिया। पीठ ने कहा कि आरोपी कल्याण सिंह में से एक राजस्थान के राज्यपाल होने के नाते संवैधानिक प्रतिरक्षा प्राप्त करेंगे, लेकिन जैसे ही वह पद छोड़ते हैं, उनके खिलाफ अतिरिक्त आरोप दायर किए जाएंगे। कल्याण सिंह सितंबर में राज्यपाल का कार्यकाल पूरा करेंगे।
मध्यकालीन ढांचे के विध्वंस को अपराध बताते हुए उच्चतम न्यायालय ने आरोपियों के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र का आरोप बहाल रखने की सीबीआई की अपील स्वीकार कर ली थी। बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती के अलावा उच्चतम न्यायालय ने पूर्व भाजपा सांसद विनय कटियार और साध्वी ऋतंभरा पर भी 19 अप्रैल 2017 को षड्यंत्र के आरोप लगाए थे।
इस मामले में तीन अन्य रसूखदार आरोपियों गिरिराज किशोर, विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल और विष्णु हरि डालमिया की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई और उनके खिलाफ कार्यवाही रोक दी गई।
उच्चतम न्यायालय ने 12 फरवरी 2001 को आडवाणी और अन्य पर आपराधिक साजिश की धारा हटाने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को त्रुटिपूर्ण करार दिया था। कोर्ट का 2017 में फैसले आने से पहले 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराने के मामले में दो अलग-अलग मुकदमे लखनऊ और रायबरेली में चल रहे थे।पहले मामले में अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ लखनऊ की अदालत में सुनवाई चल रही थी जबकि रायबरेली में चल रहा मामला आठ अति विशिष्ठ लोगों से जुड़ा था।
वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।