संजीव मिश्रा-
आज पत्रकारिता के लगभग 35 साल लम्बे टैस्ट मैच की अंतिम बॉल खेलनी है। खुश हूं कि असमतल उछाल वाली विकेटों पर खेलने के बावजूद आउट हुए बिना क्रीज छोड़ रहा हूं। आगे क्या करना है कुछ पता नहीं पर भविष्य में अपने पहले और आखिरी प्यार खेल से जुड़े रहने का प्रयास करूंगा।
यह इत्तेफाक है कि मेरा और मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का खेल कॅरिअर लगभग साथ ही शुरू हुआ और साथ ही खत्म भी।
सचिन ने 15 नवंबर 1989 को पाकिस्तान के खिलाफ कराची में डेब्यू किया तो मैंने उनसे कुछ ही दिन पहले 18 अक्टूबर 1989 को बरेली में दैनिक जागरण से कॅरिअर शुरू किया। सचिन के शानदार कॅरिअर ने खेल पत्रकारिता के दौरान कभी महसूस ही नहीं होने दिया कि जॉब कर रहा हूं।
सचिन 2013 में रिटायर हुए और 2013 में ही मेरा भी खेल पत्रकार के रोल से लगभग पूरी तरह पैक अप हो गया। इसके बाद दूसरी बीट भी देखीं पर सच पूछिए तो कभी मजा नहीं आया। खेल पत्रकारिता छूटी तब महसूस हुआ कि अब सिर्फ जॉब ही कर रहा हूं। बच्चों ने 30 मार्च की रात 12 बजे अचानक फेयरवेल केक कटवाकर इमोशनल कर दिया। सोच कर थोड़ा अजीब लग रहा है कि कल से बेरोजगार हो जाऊंगा। लेकिन सच बताऊं तो खुश भी हूं कि अपना किरदार ईमानदारी से निभाने के बाद रिटायर हो रहा हूं।
इस लम्बे सफ़र में उन सभी सीनियर्स के साथ ही न्यूज रूम के साथियों और खिलाड़ियों का हाथ जोड़कर धन्यवाद जिन्होंने हर अच्छे और बुरे समय पर मेरा साथ निभाया। अपने उस परिवार का भी आभार जिसको मैं अखबारी व्यस्तताओं की वजह से समय नहीं दे पाया। हालांकि आराम हम पत्रकारों की किस्मत में कहां। कुछ दिन अपनी फिटनेस पर काम करने के बाद फिर किसी भूमिका में दिखूंगा।