‘कश्मीरनामा’ के सातवें संस्करण का लोकार्पण

Share the news

नई दिल्ली में चल रहे विश्व पुस्तक मेला में आज राजपाल एण्ड सन्ज़ ने एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन रखा गया था । यह जाने-माने लेखक अशोक कुमार पांडेय की चर्चित पुस्तक ‘कश्मीरनामा’ का सातवां संस्करण आने के उपलक्ष्य में रखा गया। प्रकाशक मीरा जौहरी से संवाद करते हुए लेखक अशोक कुमार पाण्डेय ने कहा, ‘कश्मीरनामा’ लिखते हुए एक लेखक के रूप में मैंने खुद को इसमें इन्वेस्ट किया । इसके लिए मैंने जैसे एक निर्वासित जीवन चुन लिया था। तब जाकर ‘कश्मीरनामा’ को एक मुकम्मल रूप दे पाया। इस किताब ने मुझे वह सब दिया जो एक लेखक चाहता है। मेरी पहचान ही ‘कश्मीरनामा’ के लेखक के रूप में हो गई। इसका अगला संस्करण और भी संवर्धित रूप में पाठकों के सामने आएगा।

युवा लेखकों के लिए अपने संदेश में उन्होंने कहा, युवा लेखक अपनी कलम और इंटेंशन पर भरोसा करें। विषय का चुनाव बाजार देखकर ना करें। जब कोई विषय आपको सच में भीतर से बेचैन करे, उसी पर लिखें। प्रमाणित किताबों से संदर्भ लें। उसे पढ़ें और तब लिखें।

उन्होंने ‘कश्मीरनामा’ छपने के दौरान शब्द चयन और प्रूफ की बारीकियों से जुड़े प्रसंगों की भी चर्चा की।

किताब पर अपनी टिप्पणी में राजपाल एण्ड सन्ज़ की प्रकाशक मीरा जौहरी ने कहा, अगर कहने की कला हो तो गंभीर और हल्के सभी विषयों को पाठक का प्यार मिलता है। मेरे प्रकाशन से कम से कम दो दर्जन किताबें शुरू से अब तक लगातार छप रही हैं। मेरी कामना है कि ‘कश्मीरनामा’ भी इसमें शामिल हो। कार्यक्रम के अंत में मीरा जौहरी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

“दुनिया में औरत” की लेखक सुजाता से संवाद

दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में शुक्रवार को राजपाल एण्ड सन्ज़ द्वारा एक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें चर्चित लेखिका सुजाता की किताब ‘दुनिया में औरत’ पर आकाशवाणी की उद्घोषिका सोनाली बोस ने बातचीत की ।

सुजाता स्त्री विमर्श पर अपने बेबाक विचारों के लिए जानी जाती हैं। संवाद के क्रम में उन्होंने अपनी किताब में शामिल दुनिया भर की अनेक स्त्रियों के संघर्ष पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि इस किताब को लिखने का मकसद स्त्री मुक्ति संघर्ष के वैश्विक परिदृश्य से पाठकों को रूबरू कराना है। महिलाएं जान सकें कि उनका संघर्ष अकेला नहीं है। किताब स्त्रियों के संघर्षों का दस्तावेज की तरह है।

पितृसत्ता और स्त्रीवाद से जुड़े एक प्रश्न पर सुजाता ने कहा, आज स्त्रीवाद पर बात करते हुए लोग शर्मिंदा महसूस करते हैं, जबकि शर्मिंदगी जैसी कोई बात नहीं। स्त्रीवाद स्त्रियों के लिए बराबरी की बात करता है और पुरुष का यही डर है कि बराबरी का हक देने से उनकी सत्ता, शासन चला जाएगा। उन्होंने कहा कि पितृसत्ता के सार्वभौमिक स्वरूप के साथ स्थानीय संस्करण भी हैं। स्त्रियों की पीड़ा एक जैसी होते हुए भी अलग-अलग है।

स्त्री मुक्ति के प्रश्न पर सुजाता ने कहा, औरतों की आजादी की बात को संकुचित नजरिये से देखा जाता है जबकि उनकी असली आजादी बौद्धिक मुक्ति से जुड़ी हुई है। स्त्री मुक्ति के लिए तमाम बातों के साथ पहली लड़ाई शिक्षा की है। किसी को जबरन हिजाब पहनाकर या हटाकर आप स्त्रियों को आजाद नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, “सृजनशील औरतों के लिए हमारे समाज का माहौल बिल्कुल अनुकूल नहीं है। जब कोई औरत लिखती है तो उसके व्यक्तिगत जीवन में झांककर उसके अनुसार मूल्यांकन करने की कोशिश की जाती है।”

सुजाता ने अमेरिकी मताधिकार आंदोलनकारी, सूज़न बी. एंथनी के संघर्ष से लेकर ईरान में हिजाब आंदोलन तक अपने विचार रखे। उन्होंने भारत में महिलाओं को वोट का अधिकार पाने के लिए किए गए संघर्ष का भी उल्लेख किया।

कार्यक्रम के अंत में राजपाल एण्ड सन्ज़ की प्रकाशक मीरा जौहरी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।



भड़ास का ऐसे करें भला- Donate

भड़ास वाट्सएप नंबर- 7678515849



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *