सुजीत सिंह प्रिंस-
यूपी में बेसिक शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार का परनाला बह रहा है. एक पद होता है खंड शिक्षा अधिकारी का. इनका काम ही होता है रोज सुबह कंटिया डालकर बैठ जाना, कहां मछली फंसे. कोई टीचर अगर समय से नहीं आया तो इनके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. आखिर उन्हें पैसा जो मिलने वाला है. टीचर भी लिखा पढ़ी से बचने के लिए रिश्वत दे आता है. ऐसे ही ढेरों तरीके हैं जहां से खंड शिक्षा अधिकारी उर्फ एबीएसए कमा लेता है.
सोचिए रोजाना दस से पचास हजार रुपये तक की उपरी आमदनी हो जाती है इन एबीएसए की.
गाजीपुर में बेसिक शिक्षा विभाग की हालत कुछ ज्यादा ही खराब है. उपर से नीचे तक रिश्वतखोरी का आलम है. शिक्षकों को पता है, कुछ भी कराने के लिए उन्हें पैसे देने पड़ेंगे. नियम से होने वाला काम हो या बिना नियम का, पैसा देना जरूरी है. यहां बाल्य देखभाल अवकाश स्वीकृत करने के एवज़ में भी खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा धन की माँग की जाती है. माँग पूरी न करने पर आवेदन निरस्त कर दिए जाते हैं. पर जब घूस मिल जाती है तो फिर उसी आवेदन को स्वीकृत कर दिया जाता है.
ये सब कर रहे हैं गाज़ीपुर जनपद के करंडा ब्लॉक के खण्ड शिक्षा अधिकारी. जिन अध्यापकों के द्वारा बकाया वेतन भुगतान हेतु आनलाईन आवेदन किया जाता है, खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा उनके विद्यालय का निरीक्षण कर धन की माँग की जाती है. माँग पूरी न होने पर आवेदन को अकारण ही निरस्त कर दिया जाता है. कुछ अध्यापकों ने जब इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से करनी चाही तो उन्हें यह भय दिखाया जाता है कि उनकी पत्नी प्रयागराज में उच्च पद पर आसीन है, कोई मेरा कुछ नहीं कर सकता.
ज्ञात हो कि बेसिक शिक्षा विभाग के महानिदेशक बकाया वेतन भुगतान के लिए कह चुके हैं कि मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से इसे आनलाईन किया जाये. खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय स्तर पर इसे अधिकतम 3 कार्यदिवस में परीक्षण कर निस्तारित करने के निर्देश हैं. पर करंडा ब्लाक के खंड शिक्षा अधिकारी इस आदेश को ठेंगा दिखा रहे हैं. दो महीने से अधिक समय से अध्यापकों के आवेदन उनके पोर्टल पर पेंडिंग हैं.
अध्यापकों का कहना है कि यदि खण्ड शिक्षा अधिकारी के पोर्टल की जाँच की जाए तो इनके भ्रष्टाचार का ख़ुलासा स्वतः ही हो जाएगा.
वैसे, मुझे तो लगता है कि एबीएसए का पद ही निरर्थक है. ये पद सीनियर शिक्षक के हवाले कर देना चाहिए ताकि पठन-पाठन का माहौल बना रहे और नौकरशाही हावी न हो.
भ्रष्टाचार का ये मामला सीएम योगी के मीडिया एडवाइजर श्री मृत्युजय कुमार के संज्ञान में लाया गया है और उन्होंने जांच के बाद समुचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है.