Yashwant Singh : भाजपाई दिल्ली में गड़बड़ा गए हैं. जैसे भांग खाए लोगों की हालत होती है, वही हो चुकी है. समझ नहीं पा रहे कि ऐसा करें क्या जिससे केजरीवाल का टेंपो पंचर हो जाए, हवा निकल जाए… रही सही कसर किरण बेदी को लाकर पूरा कर दिया.. बेचारी बेदी जितना बोल कह रही हैं, उतना भाजपा के उलटे जा रहा है… आखिरकार आलाकमान ने कह दिया है कि बेदी जी, गला खराब का बहाना करके चुनाव भर तक चुप्पी साध लो वरना आप तो नाश कर दोगी…
ठेले खोमचे पान दुकान झुग्गी झोपड़ी वाले डरे इस बात से हैं कि ये जो सुपर काप किरण बेदी अगर सीएम बन गई तो दिल्ली को स्मार्ट बनाने के नाम पर गरीबों के ठिकानों पर बुलडोजर चलवा देगी… जाने कैसे ये अफवाह दिल्ली के गरीब लोगों में फैल गई है और सारे गरीब डरे हुए हैं और एकजुट होकर केजरीवाल को वोट देने की प्लानिंग कर चुके हैं…मेरा पानवाला पूरा किस्सा बता रहा था इस बारे में… ये वही गरीब तबका है जो पुलिस की वसूली से सबसे ज्यादा परेशान है और केजरीवाल के 49 दिनों में इस वसूली से मुक्त था… तो इनके लिए केजरीवाल को जिताना और किरण बेदी को हराना जीने मरने का सवाल बन गया है…
किरण बेदी जब तक सक्रिय राजनीति से दूर थीं, उनका ढेर सारा झूठ ढका हुआ था और स्वीकार्य था.. लेकिन राजनीति में आते ही ऐसी फंसी कि उनका सारा आभामंडल धुल गया… इंदिरा गांधी की कार उठाने से उनका जो सुपर काप वाली छवि बनी थी, उसे रवीश कुमार ने अपने इंटरव्यू के दौरान सच (पूरा जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: Goo.gl/OUfdcQ ) उगलवा कर मटियामेट कर दिया. दिल्ली के छोटे बड़े सब वकील लंगोट पहन कर किरण बेदी से इस बार दो-दो हाथ करने को तैयार हैं. कल मेरे पास दो वकील मित्रों के फोन आए. एक हाईकोर्ट में हैं और दूसरे सुप्रीम कोर्ट में. हाईकोर्ट वाले ने बताया कि किरण बेदी को भाजपाई गमछा लाला लाजपत राय को पहनाना महंगा (पूरा जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: Goo.gl/dtyiR0 ) पड़ गया है और कोर्ट ने पुलिस वालों से पूछा है कि इस मामले में किरण बेदी के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई.
सुप्रीम कोर्ट वाले वकील साहब ने पूछा कि किरण बेदी के खिलाफ कैसे अभियान सोशल मीडिया पर चलाया जा सकता है. मैंने पूछा- ऐसा क्यों करना चाह रहे हैं आप लोग? तब उन्होंने बताया कि इसी किरण बेदी ने एक जमाने में दिल्ली में वकीलों पर अब तक का सबसे बर्बर लाठीचार्ज करवाया था. तब वकीलों ने किरण बेदी के खिलाफ तब तक आंदोलन हड़ताल धरना प्रदर्शन चलाया जब तक कि उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो गई. वो गुस्सा, वो घाव वकीलों में फिर हरा हो गया है जब ये किरण बेदी सीएम पद के लिए भाजपा की तरफ से खड़ा हो गई है. कहने का आशय ये कि भाजपा का जो परंपरागत वोट बैंक है, वह तक किरण बेदी के चलते आम आदमी पार्टी के पक्ष में खिसक आया है. तो ये चमत्कार मत समझिएगा अगर दिल्ली में केजरीवाल सिर्फ इसलिए बहुमत में आ जाएंगे कि किरण बेदी को भाजपा ने सीएम पद का प्रत्याशी बना दिया. वैसे, कहने वाले ये भी कह रहे हैं कि ‘विकास’ के पापा का नौ महीने बाद जब डिलीवरी का दिन आया है तबसे कष्ट के मारे दिल-दिमाग काबू में रख नहीं पा रहे हैं.. कुछ भी कह कर दे रहे हैं… 🙂
और, एक आखिरी कारण. केजरीवाल को सबने टारगेट कर लिया है. बीजेपी ने हमेशा की तरह मीडिाय में बंपर पैसा झोंका है. इसलिए सब बीजेपी की छोटी छोटी बातों को ब्रेकिंग न्यूज बनाकर दिखा रहे हैं और केजरीवाल की आलोचना को परम कर्तव्य बनाए हुए हैं. बीजेपी वाले अखबारों में केजरीवाल को टारगेट करके बिलो द बेल्ट विज्ञापन छाप दिखा रहे हैं. इन सब कारणों से अरविंद केजरीवाल के प्रति आम जन में सहानुभूति पैदा हो रही है कि सारे चोर मिल कर (और आजकल की बिकाउ मीडिया चोरों के साथ रहती ही है ) एक ईमानदार जुझारू तेवरदार साहसी और विजनरी किस्म के नए नेता को निपटा देने में लगे हैं. तो, केजरीवाल के पक्ष में एक सहानुभूति लहर भी चल रही है अंदर ही अंदर. इस बात को बीजेपी और उनके नेता समझ नहीं पा रहे हैं और बालकोचित आरोपों कुतर्कों के जरिए केजरीवाल के खात्मे की जो रणनीति बनाए हुए हैं, उससे वे खुद अपनै पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं व केजरीवाल को मजबूत बना रहे हैं. तो भइया, दिल्ली में विकास के पापा का जम्बूद्वीप वाला रथ लगता है रुक जाएगा और इसे नाथने का काम करेंगे मफलरमैन केजरीवाल… जै हो
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.
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