राजस्थान के कई जिलों में मजीठिया वेज बोर्ड के लिए मीडियाकर्मियों की हड़ताल में शिरकत करने के बाद आज सुबह जब दिल्ली घर लौटा तो कुछ घंटे सोने के बाद फ्रेश होकर नाश्ता करते वक्त न्यूज चैनल खोलते ही एक दृश्य दिखा, एक वाक्य सुना. दिल्ली के एलजी नजीब जंग शपथ दिला रहे थे. गोपाल राय मंत्री पद की शपथ ले रहे थे. ”मैं गोपाल राय…. ”
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किरण बेदी पर शुरू से संदेह था : मेधा पाटकर
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर अन्ना हजारे के 2011 के उस आंदोलन का भी हिस्सा थीं, जिसमें अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी भी जुड़े हुए थे. उन्होंने आम आदमी पार्टी से मुंबई से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था, लेकिन नाकाम रहीं. वह कहती हैं कि कुछ लोगों को शुरू से किरण बेदी के भाजपा में जाने का संदेह था. वह वैकल्पिक राजनीति के रूप में जनांदोलन को आज भी जरूरी मानती हैं. ऐसे समय जब अरविंद केजरीवाल की दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में ताजपोशी हो रही है, वह अन्ना हजारे के साथ 24 फरवरी को भूमि अधिग्रहण के खिलाफ जंतर मंतर पर प्रदर्शन की तैयारी कर रही हैं. इन सभी मुद्दों पर अमर उजाला के स्थानीय संपादक सुदीप ठाकुर ने बात कीः
‘आप’ दिल्ली से अपना एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक अविलम्ब शुरू करे : विष्णु खरे
एक भारतीय की हैसियत से 1952 से अपने सारे आम और विधान-सभा चुनाव देखता-सुनता आया हूँ, पत्रकार के रूप में उन पर लिखा भी है, जब से मतदाता हुआ हूँ, यथासंभव वोट भी डाला है, दिल्ली में 42 वर्ष रहा हूँ, लेकिन वहाँ से आज जो नतीज़े आए हैं वह विश्व के राजनीतिक इतिहास में अद्वितीय हैं और गिनेस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में तो दर्ज़ किए ही जाने चाहिए. एक ऐसी एकदम नई पार्टी, अपनी पिछले वर्ष की राजनीतिक गलतियों के कारण जिसने देशव्यापी क्रोध, मोहभंग और कुंठा को जन्म दिया था और लगता था कि वह कहीं अकालकवलित न हो जाए, अपने जन्मस्थान में एक अकल्पनीय चमत्कार की तरह लौट आई है. पिछले एक वर्ष में ‘आप’ ने वह सब देख लिया और दिखा दिया है जिसके लिए अन्य वरिष्ठ पार्टियों को कई दशक लग गए.भारतीय परम्परा में मृत्यु या उसके मुख से छूट जाने की कई कथाएँ हैं लेकिन ‘आप’ ने ग्रीक मिथक के फ़ीनिक्स पक्षी की तरह जैसे अग्नि से पुनर्जन्म प्राप्त किया है.
दिल्ली चुनाव : गजब का प्राकृतिक न्याय है
: जनादेश ने भरे हर जख्म, उभारे हर जख्म : आज मां की आंखों में आंसू हैं। पिता की नजरें उठी हुई हैं। बेटे को गर्व है । बेटी पिता को निहार रही है। पत्नी की आंखें चमक रही हैं। यह केजरीवाल के परिवार का अनकहा सच है। जिसे बीते नौ महीनो के दौर में पूरे परिवार ने जिस दर्द और त्रासदी के साथ भोगा है उसका अंत जनादेश के इतिहास रचने से होगा यह किसने सोचा होगा। गजब का प्राकृतिक न्याय है। बनारस में केजरीवाल की हार और लोकसभा चुनाव में मोदी की अजेय जीत के बाद जो भक्त कल तक केजरीवाल परिवार को कटघरे में खड़ाकर तिरस्कृत करने से नहीं चूक रहे थे और समूचा परिवार दीवारों के भीतर खामोश होकर सिर्फ वक्त को बीतते हुये देख रहा था उसी परिवार को दिल्ली के जनादेश ने सर उठाकर फिर से सर आंखों पर बैठा लिया।
टीवी कार्यक्रम और विज्ञापन के बीच चलो चलें जुमले बनाएं
Sanjaya Kumar Singh : दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान का दिन था। मैं दिन भर घर पर ही था लेकिन जिससे भी बात हुई सबका यही कहना था कि आम आदमी पार्टी की स्थिति मजबूत दिख रही है। शाम में सोचा एक्जिट पॉल देख लिया जाए। शाम 6:00 बजे टीवी ऑन किया और चैनल सर्फ करते हुए देखा कि इंडिया टीवी पर अजीत अंजुम Ajit Anjum एंकरिंग कर रहे थे। इसी पर रुक गया। 6:20 होने तक लगने लगा कि मैं खबरें देख रहा हूं या विज्ञापन। पुराना अनुभव यह रहा है कि एक चैनल पर विज्ञापन आता है तो दूसरे पर भी विज्ञापन ही आ रहा होता है और चैनल बदलने का कोई लाभ नहीं मिलता।
इस भीषण जीत में कार्पोरेट और करप्ट मीडिया (जी न्यूज, इंडिया टीवी, आईबीएन7 आदि…) भी आइना देखे…
Yashwant Singh : दिल्ली में भाजपा सिर्फ तीन-चार सीट पर सिमट जाएगी और आम आदमी पार्टी 64-65 सीट तक पहुंच जाएगी, इसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी. ये भारतीय चुनावी इतिहास की सबसे बड़ी जीत है और भाजपा की सबसे बड़ी हार. कांग्रेस का तो खाता तक नहीं खुला. पर आप याद करिए. टीवी न्यूज चैनल्स किस तरीके से आम आदमी पार्टी के खिलाफ कंपेन चला रहे थे. कुछ एक दो चैनल्स को छोड़ दें तो सारे के सारे बीजेपी फंडेड और बीजेपी प्रवक्ता की तरह व्यवहार कर रहे थे. आम आदमी पार्टी को किस तरह घेर लिया जाए, बदनाम कर दिया जाए, हारता हुआ दिखा दिया जाए, ये उनकी रणनीति थी. उधर, भाजपा का महिमामंडन लगातार जारी था. बीजेपी की सामान्य बैठकों को ब्रेकिंग न्यूज बनाकर बताकर दिखाया जाता था. सुपारी जर्नलिज्म का जिस किदर विस्तार इन चुनावों में हुआ, वह आतंकित करने वाला है. हां, कुछ ऐसे पत्रकार और चैनल जरूर रहे जिन्होंने निष्पक्षता बरती. एनडीटीवी इंडिया, एबीपी न्यूज, आजतक, न्यूज नेशन, इंडिया न्यूज ने काफी हद तक ठीक प्रदर्शन किया. सबसे बेहूदे चैनल रहे इंडिया टीवी, आईबीएन7 और जी न्यूज.
(सबसे सही एक्जिट पोल इंडिया न्यूज का रहा लेकिन यह भी दस सीट पीछे रहा. इंडिया न्यूज ने सबसे ज्यादा 53 सीट दी थी ‘आप’ को लेकिन आप तो इस अनुमान से दस सीट से भी ज्यादा आगे निकल गई. कह सकते हैं कि न्यूज चैनलों में जनता का मूड भांपने में सबसे तेज ‘इंडिया न्यूज’ रहा.)
इनके बेशर्म फतवे से पूरा मुस्लिम समाज खुद को शर्मसार महसूस करता है
Asrar Khan : मतदान से एक दिन पहले मुसलमानों से किसी पार्टी विशेष को वोट देने की अपील करना जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी साहब के मजहबी धंधे का हिस्सा है… इनके बेशर्म फतवे से पूरा मुस्लिम समाज खुद को शर्मसार महसूस करता है लेकिन इनका यह पुश्तैनी धंधा बदस्तूर जारी है ….मेरा ख्याल है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपनी हार के भय से मतदान में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कराने के मकसद से इमाम साहब के आगे कुछ टुकड़े फेंक दिये होंगे और इमाम साहब ने मुसलमानों से आम आदमी पार्टी के पक्ष में मतदान करने की अपील कर दिया ….? मित्रों जैसा की आप सभी को मालूम है कि दिल्ली के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी अपने वैचारिक दिवालियापन और मोदी के U-Turn की वजह से हारने जा रही है और आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल और आप की विश्वसनीयता की वजह से जीत की ऐतिहासिक चौखट पर खड़ी है, ऐसे में अहमद बुखारी जैसे बिकाऊ व्यक्तियों की बातों को तरजीह न देते हुए अपने क्रांतिकारी विचारों से प्रेरित होकर आम आदमी की इस लड़ाई को कामयाब बनाने के लिए मिलजुल कर भाईचारे के साथ जमकर मतदान करें और अपने सच्चे भारतवासी होने का परिचय देते हुए धर्म और जाति की राजनीति के किसी भी प्रयास को विफल कर दें ……!
ये हार बहुत भीषण है म्हराज!
Sheetal P Singh : पिछले दो दिनों में दिल्ली के सारे अख़बारों में पहले पेज पर छापे गये मोदी जी + बेदी जी के विज्ञापन का कुल बिल है क़रीब चौबीस करोड़ रुपये। आउटडोर विज्ञापन एजेंसियों को होर्डिंग / पोस्टर / पैम्फलेट / बैनर / स्टेशनरी / अन्य चुनावी सामग्री के बिल इससे अलग हैं। इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों द्वारा प्रधानमंत्री और अन्य हैवीवेट सभाओं के (कुल दो सौ के क़रीब)इंतज़ाम तथा टेलिविज़न / रेडियो विज्ञापन और क़रीब दो लाख के क़रीब आयातित कार्यकर्ताओं के रख रखाव का ख़र्च श्रद्धानुसार जोड़ लें। आम आदमी पार्टी के पास कुल चुनाव चंदा क़रीब चौदह करोड़ आया। बीस करोड़ का लक्ष्य था। कुछ उधार रह गया होगा। औसतन दोनों दलों के ख़र्च में कोई दस गुने का अंतर है और नतीजे (exit poll) बता रहे हैं कि तिस पर भी “आप” दो गुने से ज़्यादा सीटें जीतने जा रही है! ये हार बहुत भीषण है म्हराज! ध्यान दें, ”आप” बनारस में पहले ही एक माफ़िया के समर्थन की कोशिश ठुकरा चुकी थी, आज उसने “बुख़ारी” के चालाकी भरे समर्थन को लात मार कर बीजेपी की चालबाज़ी की हवा निकाल दी।
AAP determined to recover lost ground in Delhi
Consider the way the AAP’s fortunes plummeted after its spectacular show in 2013. It had won 28 of the 70 seats in its debut election in Delhi then and was second to the BJP’s 31, while the ruling Congress was routed and could win only eight seats. However, the AAP’s aspirations of stopping the BJP’s vote line in last summer’s general elections failed miserably and the most honest and anti-establishment party could not win a single seat from Delhi and win just four Lok Sabha seats from Punjab. It shows people are changing their moods accordingly. As the elections are heating up in Delhi, the political parties are coming up with their latest interviews and the comments, making tall poll promises. The BJP is banking on the popularity of Prime Minister Narendra Modi while its main challenger AAP has projected its supremo Arvind Kejriwal as the CM.
Will ’K’ factor be a boon for BJP in Delhi polls?
Delhi goes to the polls on February 7. The BJP is keen to win after 2013 loss when the AAP had formed a minority government and ruled the capital for 49 days before its leader Kejriwal resigned. Delhi has been under President’s rule since then. Manay political changes can be seen in the Delhi election. A desperate shift of the candidates fron one party to other is done. The major rivals are AAP and BJP.Congress is a distant third in the election. However, it pretends to be in the race. Above all, the entry of the first lady police officer Kiran Bedi into BJP has changed the whole political game, say the Delhites.
दिल्ली में चुनाव और मदनोत्सव के बीच जो कुछ हो रहा है, उस पर अभिषेक श्रीवास्तव की लंबी टीप
: सरे-आग़ाज़े मौसम में अंधे हैं हम… : दिल्ली, वसंत, कुछ अजनबी चेहरे और अनसुनी आवाज़ें : अभी दो दिन पहले दिल्ली से टहल-फिर कर रात में जब मैं घर लौट रहा था, तो अपनी गली में कुछ बच्चे एक जगह इकट्ठा दिखे। वे सब आकाश में देख रहे थे जैसे कुछ बूझने की कोशिश कर रहे हों। ये बच्चे मुझे शक्ल से जानते हैं। रोज़ देख-देख कर मुस्कराते हैं। इनमें एक नहर वाली बच्ची भी है।
भारत की पहली महिला आईपीएस प्रकरण, ‘गूगल’ और खुद के ‘अल्प-ज्ञान’ पर शर्मिंदा हूं
: ‘गूगल’ भी हमारे ‘ज्ञान’ के रहम-ओ-करम पर हंसता-सिसकता है साहब! :
सवाल- भारत की पहली महिला आईपीएस कौन थी?
जबाब- ‘किरन बेदी’…..भारत सहित दुनिया भर में अबतक खिंचा चला आ रहा था…..
‘बिलकुल सही जबाब….’
लेकिन अब इस सवाल का सही जबाब ‘किरन बेदी’ गलत साबित होगा। सही जबाब होगा…मरहूम सुरजीत कौर।
हां, शर्मिंदा हूं मैं….
एक अकेले बंदे ने, एक अकेली शख्सियत ने पूरी की पूरी केंद्र सरकार की नींद उड़ा रखी है
दिल्ली चुनाव इन दिनों आकर्षण और चर्चा का केंद्र है. हो भी क्यों ना, एक अकेले बंदे ने, एक अकेली शख्सियत ने पूरी की पूरी केंद्र सरकार की नींद उड़ा कर रखी हुई है. आपको याद होगा कि 2013 में सरकार गठन पर अरविन्द केजरीवाल ने कहा था कि अन्य दलों को राजनीति तो अब आम आदमी पार्टी सिखाएगी. अब जाकर यह बात सही साबित होती हुई दिखाई दे रही है. जहाँ महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू कश्मीर और हरियाणा में बीजेपी ने बिना चेहरे के मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा और नए चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया लेकिन दिल्ली में उसे चेहरा देना ही पड़ा. अपने पुराने सिपहसालारों व वफादारों को पीछे करके एक बाहरी शख्सियत को आगे लाया गया. देखा जाए तो ये भी अपने आप में केजरीवाल और उनकी पार्टी की जीत है. कहना पड़ेगा, जो भी हो, बन्दे में दम है.
सच सामने आया : किरण बेदी नहीं, सुरजीत कौर आजाद भारत की पहली महिला आईपीएस अफसर
Sanjaya Kumar Singh : शीशे के घरों से चुनाव लड़ना… भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर पार्टी की ओर से दिल्ली की मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनना किरण बेदी के लिए काफी महंगा पड़ा। चुनाव अभी हुए नहीं है फिर भी उनके जीवन की दो प्रमुख कमाई इस चुनाव में खर्च हो गई। पहली कमाई थी इंदिरा गांधी की कार टो करने का श्रेय जो पिछले दिनों बुरी तरह खर्च हो गई। उनकी दूसरी कमाई थी – देश की पहली महिला आईपीएस होने का श्रेय। और अब यह कमाई भी खर्च होती दिखाई दे रही है।
जानिए, उन वजहों को जिसके कारण दिल्ली में किरण बेदी फैक्टर अरविंद केजरीवाल को बहुमत दिला रहा है
Yashwant Singh : भाजपाई दिल्ली में गड़बड़ा गए हैं. जैसे भांग खाए लोगों की हालत होती है, वही हो चुकी है. समझ नहीं पा रहे कि ऐसा करें क्या जिससे केजरीवाल का टेंपो पंचर हो जाए, हवा निकल जाए… रही सही कसर किरण बेदी को लाकर पूरा कर दिया.. बेचारी बेदी जितना बोल कह रही हैं, उतना भाजपा के उलटे जा रहा है… आखिरकार आलाकमान ने कह दिया है कि बेदी जी, गला खराब का बहाना करके चुनाव भर तक चुप्पी साध लो वरना आप तो नाश कर दोगी…
बजट के महीने में देश का वित्त मंत्री दिल्ली चुनाव के लिये बीजेपी हेडक्वार्टर में बैठने को क्यों है मजबूर
: दिल्ली फतह की इतनी बेताबी क्यों है? : बजट के महीने में देश के वित्त मंत्री को अगर दिल्ली चुनाव के लिये दिल्ली बीजेपी हेडक्वार्टर में बैठना पड़े… केन्द्र के दर्जन भर कैबिनेट मंत्रियों को दिल्ली की सड़कों पर चुनावी प्रचार की खाक छाननी पड़े… सरकार की नीतियां चकाचौंध भारत के सपनों को उड़ान देने लगे… और चुनावी प्रचार की जमीन, पानी सड़क बिजली से आगे बढ़ नहीं पा रही हो तो संकेत साफ हैं, उपभोक्ताओं का भारत दुनिया को ललचा रहा है और न्यूनतम की जरूरत का संघर्ष सत्ता को चुनाव में बहका रहा है।
एनडीटीवी प्राइम टाइम में Ravish Kumar और अभय दुबे ने भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली को पूरी तरह घेर लिया
Shambhunath Shukla : एक अच्छा पत्रकार वही है जो नेता को अपने बोल-बचन से घेर ले। बेचारा नेता तर्क ही न दे पाए और हताशा में अंट-शंट बकने लगे। खासकर टीवी पत्रकार के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। बीस जनवरी को एनडीटीवी पर प्राइम टाइम में Ravish Kumar और अभय दुबे ने भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली को ऐसा घेरा कि उन्हें जवाब तक नहीं सूझ सका। अकेले कोहली ही नहीं कांग्रेस के प्रवक्ता जय प्रकाश अग्रवाल भी लडख़ड़ा गए। नौसिखुआ पत्रकारों को इन दिग्गजों से सीखना चाहिए कि कैसे टीवी पत्रकारिता की जाए और कैसे डिबेट में शामिल वरिष्ठ पत्रकार संचालन कर रहे पत्रकार के साथ सही और तार्किक मुद्दे पर एकजुटता दिखाएं। पत्रकार इसी समाज का हिस्सा है। राजनीति, अर्थनीति और समाजनीति उसे भी प्रभावित करेगी। निष्पक्ष तो कोई बेजान चीज ही हो सकती है। मगर एक चेतन प्राणी को पक्षकार तो बनना ही पड़ेगा। अब देखना यह है कि यह पक्षधरता किसके साथ है। जो पत्रकार जनता के साथ हैं, वे निश्चय ही सम्मान के काबिल हैं।
दिल्ली चुनाव : भाजपा लगातार गल्तियां कर रही, ‘आप’ को 37 से 42 सीट मिलने के आसार
Girijesh Vashistha : My prediction- Aap 37-42 , Bjp 17-22, cong 5-7, others 2-3. Credit goes to last moment wrong decisions of BJP central leadership. Errors….
1. Wrong entry of kiran bedi and others.
2. Late ticket distribution
3. Aap support base ( much more strong then RSS)
4. Discouraging Attitude of kiran bedi.
5. Dragging campaign due to useless last moment changes in leadership and pole policies.
बेचारे मनोज तिवारी सच बोलकर फँस गए… किरण बेदी की थानेदारी चल पड़ी…
Mukesh Kumar : बीजेपी में किरण बेदी की थानेदारी चल पड़ी है। बेचारे मनोज तिवारी सच बोलकर फँस गए। सांसदों से कार्यकर्ताओं की तरह व्यवहार करने वाली किरण बेदी ने उनकी शिकायत हाईकमान से कर दी और मनोज बाबू को झाड़ पड़ गई। बेदी के आने से दिल्ली बीजेपी में सिर फुट्व्वल का ये एक नमूना भर है। अभी बहुतेरे हैं जो नाखुश हैं और मौका मिलते ही हिसाब चुकता करेंगे।
सतीश उपाध्याय, उमेश उपाध्याय और बिजली कंपनियों का खेल
Madan Tiwary : सतीश उपाध्याय पर अरविन्द केजरीवाल ने आरोप लगाये है बिजली के मीटर को लेकर सतीश उपाध्याय बीजेपी के दिल्ली अध्यक्ष हैं। उन्होंने मानहानि का मुकदमा करने की धमकी दी है और आरोपों से इंकार किया है। सतीश जी, शायद केजरीवाल के हाथ बहुत छोटी सी जानकारी लगी है। आप जेल चले जायेंगे सतीश जी। आपके ऊपर करीब चार सौ करोड़ बिजली कंपनी से लेने का मुद्दा बहुत पहले से गरमाया हुआ है और आपके भाई उमेश उपाध्याय की सहभागिता का भी आरोप है। यह दीगर बात है कि पत्रकार बिरादरी भी यह सबकुछ जानते हुए खुलकर नहीं बोल रही है। दिल्ली की जनता को दुह कर दिल्ली की सत्ता को दूध पिलाने का काम करती आ रही हैं बिजली कंपनियां। खैर मुद्दा चाहे जो हो लेकिन एक साल के अंदर बिजली की दर 2:80 प्रति यूनिट से 4:00 प्रति यूनिट करने की दोषी तो भाजपा है ही। देश है, सब मिलकर बेच खाइये। जनता है, किसी न किसी को वोट देगी ही। काश! देश की जनता सही लोगों को चुन पाती या चुनाव बहिष्कार कर पाती। अपने नेताओं से सवाल कर पाती। काश।
दिल्ली विधानसभा चुनाव एफएम रेडियो पर : भाजपा की बुजुर्ग महिला का जवाब खुद केजरीवाल ने यूं दिया
Sanjaya Kumar Singh : दिल्ली विधानसभा चुनाव एफएम रेडियो पर अच्छा चल रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने रेडियो पर एक विज्ञापन चलाया जो इस प्रकार है, “गलती मेरी ही थी। आम आदमी, आम आदमी कहकर धोखा दे दिया। बड़े-बड़े वादे। पानी मुफ्त कर देंगे। आंसू दे गया। घर के काम छोड़कर उसके लिए मीटिंग करवाई, मोहल्लों में। पर बदले में क्या मिला। सब छोड़कर भाग गया। इनके अपने आदमी तक चले गए। गैर जिम्मेदारी का बदला लेंगे। अब इस नाकाम आदमी को वोट न देंगे। पूर्ण बहुमत से बदलें दिल्ली के हालात। चलो चलें मोदी के साथ।”