सत्येंद्र पीएस-
सवाल सिर्फ कुंडा का नहीं है, पूरे प्रतापगढ़ का है। समाजवादी पार्टी ने इस बार प्रतापगढ़ में सामंतवाद तोड़ने की कवायद की है। संभव है कि कुर्मी बहुल होने के कारण अब तक प्रतापगढ़ सपा द्वारा छोड़े रखा गया हो, या कांग्रेस की वजह से। लेकिन हकीकत यही है कि प्रतापगढ़ में दलितों-पिछड़ों, गरीब गुरबों की भयानक दुर्दशा है। वहां संविधान लागू नहीं होता।
इस बार सपा ने प्रतापगढ़ जिले की 7 सीटों पर 3 जगह कुर्मी प्रत्याशी उतारे हैं। कुंडा में यादव प्रत्याशी हैं। प्रतापगढ़ जिले में इस बार कुर्मियों में इतना आक्रोश है कि संभव है कि अपना दल का कुर्मी प्रत्याशी भी हार जाए।
कुंडा में 70-80 हजार के आसपास यादव वोट हैं, जो अखिलेश भैया के आदेश पर अब तक सपाई रहते थे। अब वही व्यक्ति सपा का कैंडीडेट है, जो रघुराज प्रताप के लिए अब तक लठैती करता था।


इस बार प्रतापगढ़ की लड़ाई समाजवाद बनाम सामंतवाद है। सपा के समर्थक कुर्मी और अहिर दोनों मिले, जिन्होंने कहा कि सपा को इस बार मोना मिश्रा को भी निपटा देना चाहिए था। अखिलेश भैया ने गलती की है। इस कदर आक्रोश है उस इलाके में।
चुनाव परिणाम जो भी हो, अगर यह जज्बा जारी रहा तो वह इलाका भी सामान्य स्थिति में आ सकता है। वहां के सामंत भी मनुष्य बन सकते हैं वर्ना कभी कोई पीपीएस अधिकारी जियाउल हक पीट पीटकर मारा जाएगा, कभी किसी दलित को चारपाई से बांधकर जिंदा जला दिया जाएगा, कभी किसी कुर्मी के घर घुसकर बहू बेटियों को पीटा जाएगा और पेड़ पर लटके कटहल को दो टुकड़ों में काटकर कहा जाएगा कि खामोश नहीं रहे तो तुम्हारी बहू बेटियों के स्तन इसी तरह काट लिए जाएंगे।

पट्टी, प्रतापगढ़ डालकर फोटो खोजें। फेसबुक पर जो फोटो आएंगी, वह इस कदर खौफ पैदा करेंगी कि कानून संविधान, हिन्दू हिंदुत्व सब की बात घुस जाएंगी। यह फोटो एक नजीर मानें। वोट देते समय समाज को यह सब ध्यान रखना चाहिए। गुंडों के शासन, गुंडों की नेतागीरी में कोई सुरक्षित नहीं होता।
सरदार पटेल ने किसी भाषण में खुद या किसी को कोट करते हुए कहा था कि जो तलवार से लड़ते हैं वो उसी तलवार से मार दिए जाते हैं। आपने अगर अपनी जाति का समझकर गुंडा सरकार चुनी तो आप भी देर सबेर उसी तलवार से काट दिए जाएंगे।
One comment on “क्या कुंडा से राजा भैया के राज का अंत होने वाला है?”
इसे कहते हैं जातिवाद की जी हजूरी… भड़काते रहो…