250 से ज़्यादा पत्रकारों की नौकरी पर लटकी तलवार… कहा जाता है कि किसी बड़ी बीमारी के शुरू होने पहले शरीर में उसके लक्षण उभरने लगते है, अगर वक़्त रहते उसका इल़ाज ना किया गया तो बीमारी जानलेवा बन जाती है। कुछ इसी तरह के हालात सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत चलने वाले इलैक्ट्रॉनिक मीडिया मॉनिटरिंग सेन्टर में भी देखने को मिल रहे है। कुछ कड़ियों पर गौर करें तो, इससे साफ़ पता लगता है कि इसे बंद कराने की प्रशासनिक कवायद शुरू हो चुकी है। यहाँ पर हम कड़ी दर कड़ी सबूतों के साथ इस बात को साबित कर रहे हैं।
सबसे पहले तो EMMC की वेबसाइट को बंद करके, इस Organization के Web Existence को खत्म कर दिया गया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की वेबसाइट पर EMMC को मीडिया यूनिट के तौर पर दिखाया गया, लेकिन Weblink Acess करने पर वेबसाइट खुलती नहीं है। 15 जुलाई 2018 को इस मामले पर जब पीएम के सेन्ट्रल ग्रिवांस पोर्टल पर इसकी शिकायत दर्ज (शिकायत संख्या-MOIAB/E/2018/Q1670) करवायी गय़ी तो, जव़ाब लेटर नंबर 4407/29/2018-BC-I के द्वारा ये आया कि प्रोग्रामर ना होने के कारण EMMC की वेबसाइट ठप्प पड़ी है। जव़ाब में उप-निदेशक पार्वती राहुल के हस्ताक्षर हैं।
क्या ये मानने वाली बात है कि एक अरब से ज़्यादा आबादी वाली इस देश में EMMC को प्रोग्रामर नहीं मिल रहा है। एक संस्थान जिसका बजट करोड़ों रूपयों में है, उनको प्रोग्रामर नहीं मिल रहा है, ये अपने आप में हास्यापद बात है। लगता है कि EMMC के प्रशासनिक अधिकारियों को पीएम मोदी की डिजीटल इंडिया की मुहिम को ठेंगा दिखाने का शौक है। EMMC की वेबसाइट का बंद करने के पीछे अधिकारियों की ये भी मंशा रही कि, एक तो इससे संस्थान का Web Space खत्म हो जायेगा और EMMC की साइट पर Tender निकालने के झंझट से मुक्ति मिल जायेगी ताकि अपने लोगों को मनमाफ़िक टेंडर देकर लूटखसोट बदस्तूर जारी है। इलैक्ट्रॉनिक मीडिया मॉनिटरिंग सेन्टर में कई Procurement और Appointment नियम और कायदों को Bypass करके किये गये है। जिसमें संस्थान की बंद हुई Websites की मदद ली गयी है। ना रहेगी Website और ना आयेगी चीज़े Public Domain में। अगर एक ही दम से Shutter Down हो गया तो लोग Digital Space में EMMC को खोज़ ना पाये, ये प्रशासनिक हरकत इस बात की ओर सीधा इशारा करती है।
अब बढ़ते है, दूसरे लक्षण की ओर। कहने को तो बहुत ही छोटी सी बात दिखती है, लेकिन इसके काफी बड़े मायने है। साल 2014 में जब मोदी सरकार ने देश की सत्ता संभाली तो सरकारी विभागों में कर्मियों की Regularity और Punctuality को Confirm करने के लिए Bio Metric Attendance को लागू किया गया। Central Government के इस Order को Effectively Implement करने के लिए DOPT ने एक Circular (No. 11013/9/2014-Estt.A-111) 22 जून 2015 को जारी किया।
EMMC के अनुबंधित कर्मियों की Attendance इसी Procedure के तहत साल 2015 से शुरू कर दी गयी, लेकिन एकाएक नवंबर 2018 आते आते इस Procedure को रद्द करते हुए, प्रशासनिक अधिकारी इस बात का हवाला देते है कि, Salary बनाने में BAS दिक्कत करता है, चूंकि ये कार्यालय 24X7 Mode में काम करता है, इसलिए BAS System Effective नहीं है। अगर सच में ही ये BAS System Effective नहीं था तो इतने दिन इस प्रक्रिया का पालन क्यूँ किया गया। इसका जव़ाब किसी के पास नहीं है।
चलिये हम बताते है, इसके पीछे कि, क्या मंशा है। 15 नवंबर 2018 के दिन EMMC के सहायक निदेशक अजॉय गोपाल मेजरवार एक नोटिस (EMMC/01(08)/2018- Admn./750) निकालते है, जिसमें BAS System को रद्द कर एक नये Bio Metric System को Implement करने की बात कहीं गयी है। इसका सीधा सा मतलब ये निकलता है कि, यहाँ के अनुबंधित कर्मियों का रिकॉर्ड धीरे-धीरे खत्म किया जा सके, ताकि कल को यहाँ के कर्मचारी ये साबित करने में नाकाम रहे कि, वे यहाँ काम करते थे। एक बात और ये भी है कि, EMMC में Ghost Employees को इतिहास रहा है, इन कर्मचारियों का कोई वजूद तो नहीं होता है, लेकिन हाँ इनके नाम पर हर महीने फर्ज़ी खाते में तनख्वाह की रकम जरूर डाल दी जाती है। आखिर प्रशासनिक अधिकारियों को ऐसा मलाईदार सरकारी विभाग कहाँ मिलेगा। EMMC के कई संविदाकर्मी बतौर Contractual और Casual दूरदर्शन, ऑल इंडिया रेडियों सहित दूसरे कई केन्द्रीय संस्थानों में भी काम करते है, जो कि 24X7 MODE में चलते है, लेकिन वहाँ पर वो NIC के BAS के तहत ही अपनी हाज़िरी दर्ज करवाते है। ये सोचने वाली जो System दूसरे संस्थानों successfully चल रहा, वो यहाँ पर नाकाम क्यूँ है। जऱा इस बात को गंभीरता से सोचियेगा। मसला आपकी रोजी रोटी से सीधा जुड़ा हुआ है।
इस मामले ने जब तूल पकड़ा और Salary सहित जब दूसरे मुद्दों पर EMMC के Contractual Staff ने Meeting में अपनी बात संस्थान के अपर महानिदेशक के सामने रखी तो BAS System के मसले पर ADG बात करने से कतराते नज़र आये। साथ उन्होनें जुबानी तौर पर पाँच वायदे भी किये।
EMMC के Contractual Staff को तुरन्त राहत देते हुए Salary बढ़ा दी जायेगी। Monitoring का काम कर रहे लोगों की, तीनों Posts के बीच Salary के Differentiation का Cut-off 10% रहेगा। Monitor की Post का नाम बदलकर Media Analyst और Senior Monitor की Post का नाम बदलकर Senior Media Analyst कर दिया जायेगा। Monitoring Staff को Health की Policies दी जायेगी। Monitoring Staff को Experience Letter और किसी भी तरह की NOC, ADG अपने Letter Head पर देगें। उनके किये ये वायदे अभी तक वादे ही है, इस पर कोई कार्रवायी नहीं की गयी है।
राज्यसभा सांसद श्री अखिलेश प्रसाद सिंह ने इसी साल 7 जनवरी 2018 को EMMC जुड़े चार सवालों को राज्यसभा में उठाया। ये नौकरशाही जो ना करवा दे वहीं कम है। अफसरों के मिलीभगत की वज़ह से राज्यसभा में सूचना प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर जी से भी झूठ बुलावा दिया गया। सवाल नंबर एक के जव़ाब में उन्होनें ये कहा कि इलैक्ट्रॉनिक मीडिया मॉनिटरिंग सेन्टर का काम केबल टी.वी. नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम-1995 की निगरानी करने के लिए बना। एकदम सफेद झूठ। EMMC में TV Monitoring को छोड़कर सबकुछ हो रहा है। प्रशासनिक अधिकारी मनचाही Posting और Promotion पाने के चक्कर में, चाटुकारिता की बुलन्दियों को छूते हुए अपने सियासी आकाओं को खुश करने के लिए EMMC की पूरी Man Power को Unconstitutional कामों में झोंक रहे हैं।
EMMC में Contractual Staff द्वारा करवाया जा रहा है 90 फीसदी काम off Record है। जिसमें केन्द्रीय मंत्रियों की लाइव कवरेज़, News Channels का Media Perspective, कुंभ की Coverage से जुड़ी खब़रे, News Report बनाना, DAVP द्वारा Spot Tracking, Regional News, Breaking Alert, News Paper Editorial Anlayisis का काम शामिल है। NEWS ROOM बनाया गया है, जिसके अस्तित्व को लेकर कोई सरकारी लिखित प्रावधान नहीं है। कुल मिलाकर ऐसा काम करवाया जा रहा है, जिसके लिए EMMC बना ही नहीं है। इस संस्थान में सारे काम मौखिक आदेश पर हो रहे है, जिनका कोई कागज़ी वजूद नहीं है। अगर कोई कल को आकर दावा करे कि, यहाँ पर गलत तरीके से काम हो रहा है तो इस बात की पड़ताल करना बहुत मुश्किल हो जायेगा।
अब बात करते है on Record कामों की मंत्री जी ये बताना भूल गये कि EMMC में Election Commission के अलावा DAVP, PMO Grievance, Judiciary से आने वाली शिकायतों का भी काम होता है, जिसके Documents मिल सकते है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय मॉनिटरों से शास्त्री भवन में LDC,UDC और Section Officer के स्तर का भी काम ले रहा है। श्रम कानूनों के धज़्ज़ियां उड़ाते हुए। यानि Professional Post monitor की और काम Clerical, लगता है अधिकारिय़ों ने मंत्री जी को इन तथ्यों के बारे में नहीं बताया, इसलिए वह लोकतन्त्र के मंदिर में झूठ बोल गये।
सवाल नंबर तीन से जव़ाब में, ये कहा जाता है कि EMMC के अनुबंधित स्टॉफ को निर्धारित मापदंड़ों के अनुसार Social Security और दूसरी सुविधायें दी जाती है। ये दावा एकदम निल बट्टे सन्नाटा है। यहाँ पर कुछ MTS को ESIC लाभ दिया जाता होगा और सवैतानिक मातृत्व अवकाश के अलावा यहाँ पर दूसरी कोई सुविधा नहीं है। EMMC ये सुविधायें भी नहीं देता अगर इसके लिए संवैधानिक बाध्यतायें ना होती। सवाल नंबर चार तो हज़म कर लिया गया, उसका कोई जव़ाब नहीं दिया गया। गौर करने वाली बात ये है कि पहले साल के जव़ाब से ये बात निकलकर सामने आती है कि, EMMC की Importance को कम करके दिखाया जाये ताकि बंद करने के बाद इसकी महत्तवहीनता को Justify किया जा सके। अगर ऐसी बात ना होती है तो मंत्री उन सभी Constitutional Bodies के नाम जरूर लेते जिनके लिए EMMC ने काम किया है।
ऐसा नहीं है कि अधिकारियों ने मंत्री जी से पहली दफ़ा झूठ कहलवाया है। पहले भी ऐसा हो चुका है। साल 2016 में एक सवाल के जव़ाब में मंत्री जी ने ये कहा था कि, EMMC के Monitoring Staff को कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है। साल 2017 तक आते आते उनसे एक बार नौकरशाही का चतुर और क्रूर चेहरा सामने आता है। अब मंत्री जी से एक सवाल के जव़ाब में ये कहलवाया जाता है कि, मॉनिटरों को विषय-वस्तु पर नज़र रखने के लिए उन्मुखीकरण प्रशिक्षण दिया जाता है।
बिचारे मंत्री जी नौकरशाही की चालाकी में फंस गये। एक साल के अन्दर उनसे On Record झूठ बुलवाया जाता है। जहाँ वो एक ओर कहते है कि Training दी जाती है, दूसरी ओर ये कहते है कि Training नहीं दी जाती है। इसका साफ मतलब है अधिकारी मंत्री को हमेशा गुमराह करते हैं। इस बात का सबूत ऑन रिकॉर्ड देखा जा सकता है। एक साल के भीतर ही मंत्रालय के अधिकारियों के Feedback के मार्फत उनसे कहलवा दिया गया कि EMMC में ट्रेनिंग होती है। अधिकारियों ने हर बार बरगलाकर EMMC के अनुबंधित कर्मियों की गलत छवि मंत्री जी के सामने पेश की है।
19 दिसंबर 2019 सूचना प्रसारण मंत्रालय के तहत काम करने वाले Press Information Bureau request for proposal (No.8/82018-OAS) जारी करता है। इस RFP में हूबह उन्हीं कामों के लिए Tender Release किये गये हैं, जिन्हें EMMC Off Record रोजाना करता है। जिन कामों में EMMC के 90 फीसदी Man Power का इस्तेमाल होता है। ये समझने वाली बात है कि आखिर EMMC के Parallel एक दूसरा Organization खड़ा करने की जरूरत ही क्या है? जबकि यही काम EMMC के Setup में आसानी से हो रहा है। आखिर इस टेंडर को लाया ही क्यूँ गया, ये सोचने वाली बात है ? केन्द्र सरकार की मति इतनी भ्रमित तो नहीं हो सकती, एक काम ही के लिए दो जगह पैसे खर्च करे।
इस टेंडर की सारी प्रक्रिया से BECIL जो सूचना प्रसारण मंत्रालय की मिनी रत्न कम्पनी है, जिसने EMMC का पूरा Setup लगाया है, साथ ही यह मंत्रालय को Man Power भी उपलब्ध करवाता है। जिसके एवज़ में BECIL मंत्रालय से Consultancy Charge के रूप में मोटी रकम हर महीने वसूल करता है, लेकिन बेसिल ठेकाकर्मियों का लगातार शोषण करता रहा है। जिसकी अनदेखी मंत्रालय लगातार कर रहा है। पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने इसके Highly Consultancy Charge पर आपत्ति भी जतायी थी। वो इससे दूर ही रहेगा, क्योंकि ये टेंडर उसी कम्पनी को Grant किया जायेगा, जिसका Turnover 1000 करोड़ रूपये Last Financial Year में होगा। बात करते है।
बात करते है BECIL कि उसके माली हालत अच्छे नहीं चल रहे है। BECIL के अधिकारी दिनभर कुर्सियां तोड़ते रहते है। ये मिनी रत्न कम्पनी को खुद को सफेद हाथी का दिखावा करने की कोशिश में लगी हुई, जबकि सच्चाई ये है कि ये कम्पनी मंत्रालय पर बोझ है।
EMMC के जिन संविदाकर्मियों को लगता है कि, ये संस्थान बंद नहीं होगा, उसके लिए यहाँ पर चार बड़े कारण गिनवा दिये गये है। सूचना भवन में चल रहे सोशल मीडिया के एक प्रोजेक्ट को एक झटके में बंद कर दिया था, जिससे 50 से ज़्यादा लोग बेरोजगार हो गये थे। EMMC के अनुबंधित कर्मी किसी मुगालते में ना रहे। बताये गये Pattern पर गौर करें बात समझ में आ जाएगी। साथ ही सबसे बड़ी बात ये PIB के इस टेंडर के मुताबिक, PIB में मार्च से उपयुर्क्त काम शुरू हो जायेगा और ईएमएमसी के सभी मॉनिटरिंग कर्मचारियों का अनुबंध 31 मार्च को खत्म हो रहा है।