राजनीति की बिसात पर कोरोना को मोहरे की तरह इस्तेमाल करती पार्टियां, केंद्र की दखलंदाजी पर बौखलाईं बंगाल की सीएम
कोलकाता। पूरा देश कोरोना की महामारी से जूझ रहा है। मगर सत्ता के मोह में पार्टियां कोरोना को ही मोहरे की तरह इस्तेमाल कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में जुट गयी हैं। लॉकडाउन के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कोरोना वायरस से मरने वालों का आंकड़ा छुपाने के आरोप लग रहे हैं। अब लॉकडाउन का सख्ती से पालन नहीं होने का मामला गरमाया हुआ है। केंद्र और राज्य सरकारें आमने सामने आ गयी हैं।
बंगाल की राजनीति में बगावत के सुर लगाने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ किया है कि वह केंद्रीय टीम को इजाजत नहीं दे पाएंगी, क्योंकि यह संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ है। दरअसल केंद्र ने खराब हालात वाले इलाकों में विशेषज्ञों की टीमें भेजी हैं। सीएम ने सवाल किया है किस आधार पर केंद्रीय टीम को बंगाल भेजा गया है। ममता बनर्जी की सरकार किसी भी कीमत पर केद्रीय टीमों को संक्रमित क्षेत्रों में जाने की अनुमित नहीं देना चाहती है। इससे पहले पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने भी राज्य सरकार को सूचित किए बिना दो टीमों को भेजने पर कड़ा एतराज जताया था।
पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण से हालात बिगड़ने लगे हैं। फिर से 54 नये मामले सामने आये हैं। अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य में सक्रिय मरीजों की तादाद बढ़कर 245 हो गयी है। इस बीच, कोलकाता, हावड़ा और उत्तर 24 परगना में सख्ती बढ़ा दी गयी है। राज्य के सात जिलों में लॉकडाउन के नियमों के उल्लंघन के आरोपों के बाद केंद्र सरकार ने सही तस्वीर पेश करने के लिए दो पर्यवेक्षक दल भेजे हैं।
इन सात जिलों में कोलकाता, हावड़ा, पूर्व मेदिनीपुर, उत्तर 24 परगना, दार्जिलिंग, कॉलिम्पोंग और जलपाईगुड़ी है। केंद्रीय प्रतिनिधि दल इन हॉटस्पॉट जिलों की स्थिति देखने के बाद राज्य प्रशासन को हालात में सुधार के लिए जरूरी निर्देश देंगे। कोलकाता पहुंची केंद्रीय टीम के सदस्यों ने राज्य सचिवालय का दौरा भी किया।
कोरोना से जंग में जहां पूरा देश एक नजर आ रहा था, वहीं लॉकडाउन की सख्ती से केरल और पश्चिम बंगाल सरकार से टकराव की नौबत आ गई है। केरल सरकार ने केंद्र की सख्ती के बाद अपनी गलती मान ली और लॉकडाउन में दी जा रही रियायतों को कम कर दिया। केंद्र ने राजस्थान, महाराष्ट्र और एमपी के लिए भी समान आदेश जारी किए हैं। बंगाल के अलावा महाराष्ट्र के मुंबई-पुणे, मध्यप्रदेश के इंदौर और राजस्थान के जयपुर के लिए भी केंद्र सरकार ने समान आदेश जारी किया है।
कोरोना के कहर के बीच केंद्रीय टीम को लेकर पश्चिम बंगाल में राजनीति गरमा गई है। एक तरफ प्रमुख विपक्ष कांग्रेस और वाममोर्चा के नेता केंद्र की भूमिका की आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के समर्थन में सामने आए वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार की भूमिका का विरोध करते हुए केंद्र के समर्थन में प्रदेश भाजपा है।
माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य तथा पूर्व सांसद मोहम्मद सलीम ने कहा कि केंद्र सिर्फ बयानबाजी और बुलेटिन जारी कर अपना दायित्व निभा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के साथ विचार विमर्श करना उचित था। हालांकि उन्होंने इस मौके पर ममता पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राज्य में तृणमूल कांग्रेस जब विपक्ष में थी तब बात-बात में केंद्रीय टीम भेजने की मांग करती रहीं। इधर विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने कहा कि यह वक्त केंद्र और राज्य सरकार के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई लड़ने का नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें महामारी के खिलाफ लड़ाई में सरकार के साथ चलना चाहिए। हमें एकजुट होकर इस महामारी का मुकाबला करना चाहिए।
प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने केंद्रीय पर्यवेक्षक टीम के बंगाल के दौरे पर आने का स्वागत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राजनीति नहीं कर, केंद्रीय टीम का सहयोग करना चाहिए क्योंकि इसी में राज्य का हित है। दिलीप घोष ने कहा कि राज्य सरकार को अब इसमें राजनीति की गंध आ रही है क्योंकि इससे उनकी गोपनीयता सामने आ जायेगी।
उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं और सांसदों को रोका जा रहा है, उनके घर के सामने पुलिस बैठा दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए भाजपा महासचिव व प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि ममता जी का अहंकार बंगाल को ले डूबेगा। पश्चिम बंगाल बारूद के ढेर पर खड़ा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार लापरवाही से काम कर रही है। केंद्रीय पर्यवेक्षक टीम को नबान्न बुलाये जाने पर श्री विजयवर्गीय ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि लॉकडाउन के दूसरे चरण संबंधित केंद्र सरकार की ओर से गाइडलाइन जारी की गयी थी, लेकिन कई हॉटस्पॉट और कंटेनमेंट जोन रहने पर भी राज्य सरकार की ओर से गाइडलाइन को नहीं माना जा रहा है। दुकान व बाजारों में काफी भीड़ हो रही है और सामाजिक दूसरी के बगैर ही बैंक और राशन दुकानों में लोग इक्ट्ठा हो रहे हैं।
कोरोना के चेन को तोड़ने के लिए तीन मई तक लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है। इसके बावजूद जिलों में लॉकडाउन की धज्जियां उड़ायी जा रही हैं। उत्तर 24 परगना जिले के कांचरापाड़ा, हालीशहर, हाजीनगर, गौरीपुर और नेहाटी के बाजारों में लोग बिना किसी सोशल डिस्टेंसिंग के खऱीदारी कर रहे हैं। लॉकडाउन में केवल जरूरी सामान की दुकानों को खोलने की अनुमति है, लेकिन यहां कई जगहों पर तमाम अन्य दुकानें खुल रही हैं। लोगों का बाजार में जमावड़ा लग रहा है। खरीदारी के लिए लोग धक्कामुक्की कर रहे हैं। मास्क पहनना अनिवार्य कर दिये जाने के बाद भी लोग बिना मास्क के घूम रहे हैं।
केंद्र सरकार ने बाकायदा कोलकाता को रेड जोन के रूप में चिन्हित किया है। इसके बावजूद तमाम इलाकों में लोगों की भीड़ देखी जा रही है। कोलकाता पुलिस की ओर से शहर के सभी नौ पुलिस डिविजन में कॉम्बैट फोर्स के जवान तैनात किये गये हैं। न्यू मार्केट, पार्क स्ट्रीट, बेलगछिया, राजाबाजार, नारकेलडांगा इलाकों में कॉम्बैट फोर्स को तैनात किया जा रहा है। महानगर के संवेदनशील इलाकों में अगर कोई पूर्णबंदी का उल्लंघन करता है तो उनके खिलाफ कॉम्बैट फोर्स के जवान कार्रवाई करेंगे।
पूरा देश कोरोना एक तरफ महामारी का दंश झेल रहा है। दूसरी तरफ धार्मिक रग में रंगी देश की राजनीति हिंसा को हवा दे रही है। राजनीतिक बिसात पर कोरोना को मोहरा बना कर बंगाल के नेता भी अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं। राज्य सरकार ने लॉकडाउन में मानवीयता की दुहाई देकर जो ढील बरती थी। उसका खामियाजा अब भुगत रहे हैं लोग। कोरोना का संक्रमण इतना फैल चुका है कि इस पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार को अब कोलकाता, हावड़ा सहित कई इलाकों को रेड जोन घोषित करना पड़ा है। कोलकाता पुलिस ने इलाकों को सील कर दिया है। रेड जोन के अलावा अन्य इलाकों में सफेद पोशाक में पुलिस पहरेदारी कर रही है।
आम जनता के साथ ही डॉक्टर भी बड़ी तेजी से कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं। पश्चिम बंगाल के कुछ डॉक्टरों ने राज्य में कोरोना वायरस के संक्रमितों का पता लगाने में नौकरशाहों पर अंगुली उठायी है। कुछ डॉक्टरों की शिकायत है कि प्रत्येक नमूने की जांच के लिए उन्हें सरकार के अधिकारियों से मंजूरी लेनी पड़ती है। इससे संक्रमितों का जल्द पता नहीं चलता और स्वास्थ्य कर्मियों के संक्रमित होने का जोखिम बढ़ रहा है। कुछ डॉक्टर शिकायत कर रहे हैं कि बंगाल में कोरोना वायरस से होने वाली मौतों की पूरी रिपोर्ट प्रकाश में नहीं आ रही है।
राज्य सरकार ने एक कमेटी बनाई है जो तय करती है कि किसकी मौत कोरोना से ही है। यह सरासर हस्तक्षेप है। दूसरी तरफ राज्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी दावा करते हैं कि पर्याप्त संख्या में जांच किट नहीं मिलने के कारण धीमी गति से जांच हुई है। पिछले दिनों इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने जो जांच किट भेजी है उसकी गुणवत्ता निम्न स्तर की है। अब केंद्रीय टीम ही जांच कर पता लगायेगी कि असल तस्वीर क्या है। राज्य सरकार के दावों पर मुहर लगती है या कोरोना से जंग लड़ रहे डॉक्टरों की शिकायतें सही साबित होती हैं। इसके लिए केंद्रीय टीम की रिपोर्ट का इंतजार करना होगा।
कोलकाता की वरिष्ठ पत्रकार श्वेता सिंह का विश्लेषण.