लाइव इंडिया के मुंबई दफ्तर में इन दिनों अफरा तफरी का माहौल है। क्योंकि लाइव इंडिया के सीईओ की एक बचकानी जिद्द ने 52 लोगो की इस महीने सैलरी रोक दी है। अभी तक इन लोगो को ये भी नहीं पता कि आखिर इनकी सैलरी इस महीने आएगी भी या नहीं। हर तरफ से पूछ-ताछ कर चुके ये कर्मचारी अब हताश को हो चुके हैं, लेकिन इनके सवालों का जवाब किसी ने नहीं दिया।
दरअसल ये सिलसिला शुरू हुआ एचआर के एक मेल से जो कुछ दिनों पहले सभी कर्मचारियों को भेजा गया था। इस मेल के द्वारा कुछ डॉक्यूमेंट्स की डिमांड की गयी थी। ये वो डॉक्यूमेंट्स हैं जो एक कर्मचारी संस्था से जुड़ते वक्त पेश करता है। सालों से काम कर रहे इन सभी कर्मचारियों ने अपने सभी डॉक्यूमेंट्स ज्वाइन करते वक्त जमा करा दिए थे। डॉक्यूमेंट्स जमा करने की डेड लाइन 10 जुलाई थी। कर्मचारियों से कहा गया जो अपने डॉक्यूमेंट्स जल्द से जल्द जमा नहीं करायेगा उसकी सैलरी रोकी जा सकती है। इस मुगलिया फरमान में कहीं ये साफ़ नहीं कहा गया था कि यदि आपने अपने डॉक्यूमेंट्स देरी से जमा कराएंगे तो भी आपकी सैलरी नहीं आने वाली।
हालांकि इनमें से ज्यादातर कर्मचारियों ने अपने डाक्यूमेंट्स 10 नहीं तो उसके बाद तक जमा करा दिए थे ताकि एचआर की ओर से 25 तारीख को बनने वाली सैलरी में किसी तरह की बाधा ना आये। महीने की 5 तारीख तक ज्यादातर लोगो की सैलरी आ गयी और रह गये ये 52 लोग जो अब दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
हालात ये हैं कि लाइव इंडिया के मुंबई दफ्तर में मौजूद बड़े अधिकारी भी इस मामले पर उनकी कोई मदद कर पा रह है। ये सभी जानते इस पूरे मामले के पीछे अगर कोई है तो वो इस चैनल की सीइओ सुप्रिया कनसे। जो बिना किसी क़ानून या नियम के ऐसे उलटे सीधे मुगलिया फरमान सुनाती रहती हैं। जिसका उद्देश्य सिर्फ कर्मचारियों की तकलीफों को बढ़ाना ही होता है।
इन मध्यम और निम्न वर्गीय 52 कर्मचारियों में से ज्यादातर वो लोग है जो सालों से इस चैनल को अपनी सेवाएं देते आ रहे है और चैनल की मुश्किल घड़ी में भी उसका साथ नहीं छोड़ा। इनका कहना है उन्हें इसी तरह से अक्सर उलटे सीधे कानून लाकर परेशान किया जाता है ताकि ये लोग हताश होकर इस चैनल को हमेशा के लिए छोड़ दें।
सतीश के सिंह जैसे वरिष्ठ पत्रकार जो देश के लोगों की समस्याओं को अपने चैनल पर पेश करते आ रहे हैं, ने इन 52 कर्मचारियों की समस्याओं से अपने आपको दरकिनार कर लिया है। मुंबई दफ्तर में कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार जैसे पराग छापेकर, रविन्द्र आम्बेकर, तुलसीदास भोईटे और विजय शेखर लाचार नजर आते है जो ये जानते है कि जो कुछ हो रहा है वो गलत पर कुछ नहीं कर सकते क्यूंकि मैडम के जिद्द के आगे किसी की भी नहीं चलती फिर वो चाहे सही हो या गलत।
अब हालत ये है कि एचआर की तरफ से ये साफ़ कर दिया गया है इस महीने वक्त पर अपने कागज़ात ना जमा करने के जुर्म में इनकी सैलरी इस महीने नहीं दी जाएगी। वो अगले महीने ही दी जा सकती है। तब तक ये लोग अपना इंतजाम खुद कर लें। अब पूरी तरह से हताश हो चुके इन लोगो को समझ नहीं आ रहा ककि सीईओ के इस गैरकानूनी फरमान के खिलाफ जाएं भी तो कहा जाएं।