लक्ष्मी अय्यर का फोन आया। उसने कहा कि सुना है कि मतंग सिंह के घर पर सीबीआई का छापा पड़ा है। जरा पता लगाइए। मैंने सीबीआई कवर करने वाले मित्र पत्रकार नीलू रंजन से संपर्क साधा तो पता चला कि मतंग सिंह और उनकी बीवी रही मनोरंजन सिंह समेत उनसे जुड़े 28 लोगों व ठिकानों पर छापे मारे गए हैं। तलाशी चल रही थी। यह छापे कलकत्ता की शारदा कंपनी से संबंध रखने के सिलसिले के चलते मारे गए थे। खबर की पुष्टि होने के बाद मैं पता नहीं किन विचारों में खो गया और एक के बाद एक पिछले कुछ दशकों में घटी घटनाएं फिल्म की तरह से आंखों के सामने आने –जाने लगी। समय के साथ हालात कैसे बदलते हैं यह सोचने पर विवश हुआ।
मतंग सिंह को मैं 25-30 वर्षों से जानता हूं। वे मूलतः बिहार के रहने वाले हैं। उनके अतीत को लेकर तरह-तरह की किवंदतियां थीं। खुद को किसी जागीर का राजा बताते थे। अंग्रेजी में नाम लिखते समय सिंह में ‘जी’ अक्षर लगाते थे। बिहार के होने के बावजूद उन्होंने उत्तर पूर्व की राजनीति की। असम में विशेष दखल रखते थे। वैसे सभी सातों राज्यों के घटनाक्रम से प्रभावित होते व उन्हें प्रभावित करते रहते थे। वे दिल्ली आए। फिर पीवी नरसिंहराव के करीबी हो गए। जब राव प्रधानमंत्री बने तब तो उनका जलवा देखने काबिल था। असम से राज्यसभा में पहुंचे हालांकि ऐसा करते समय कांग्रेस का अधिकृत पहले नंबर का उम्मीदवार हार गया।
वे पीवी नरसिंहराव के इतने ज्यादा खास थे कि उस समय यह कहा जाता था कि जब रात 10 बजे प्रधानमंत्री सो जाते हैं तो मतंग सिंह व चेतन शर्मा (प्रधानमंत्री के तत्कालीन निजी सचिव) ही देश चलाते थे। यह किसी हद तक सही भी था। मैं कांग्रेस कवर करता था। राव साहब प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे। इसलिए उनके करीबी लोगों से संपर्क रखना जरुरी था। यही वजह थी कि मेरा मतंग सिंह से संपर्क हुआ और मैं व लक्ष्मी अय्यर, जो कि तब पायनियर में थीं उनके संपर्क में बने रहने लगे।
लगभग हर रोज हम लोग उनसे मिलते थे। वे खबरों की खान थे। हालांकि अक्सर उनके द्वारा दी गई जानकारी पर हमें यह तय करना पड़ता था कि उस पर 10-20 फीसदी डिस्काउंट दिया जाए या 75 फीसदी। वे अपने हिसाब से खबरें देते थे। उनके संपर्क में रहने का सबसे बड़ा फायदा यह होता था कि हमें उनके घर पर तमाम अहम लोग, जिनमें नेता से लेकर आला अफसर तक होते थे मिल जाते थे। पीवी नरसिंहराव ने उन्हें संसदीय राज्य कार्यमंत्री बनाया था हालांकि उनका दबदबा गृहमंत्री सरीखा था। आमतौर पर उन्हें कांग्रेसी नेता पसंद नहीं करते थे पर नाराज करने का जोखिम भी नहीं उठा सकते थे।
मैं उनके तब निकट आया जब मनोरंजना गुप्ता की उनसे शादी करने की खबर उड़ी। मैंने उन्हें फोन कर के पूछा तो उन्होंने कहा कि आज खबर मत देना मैं कल तुम्हें सारी बात बता दूंगा। मनोरंजना को मैं उनसे भी पहले से जानता था। वे उसी फाइनेंशियल एक्सप्रेस में थीं जहां बलबीर पुंज ब्यूरो चीफ थे। पुंज की मनोरंजना को आगे बढ़ाने में बहुत अहम भूमिका रही। अगर वे हीरा थीं, तो बलबीर पुंज ने उन्हें जौहरी की तरह परखा, समझा और तराशा। मतंग सिंह पहले से विवाहित थे। वे उन्हें मनु कह कर बुलाते थे। उनके एक बेटा हुआ। जिसका नाम मयूरथ है। उन्हें अपने परिवार से इतना ज्यादा लगाव था कि जब उन्होंने डाक्टर्स लेन में घर खरीदा तो उसके बाहर ग्रेनाइट पत्थर पर काफी बड़ा ‘एम-थ्री’ लिखवाया। उन्होंने मुझे बताया कि इसका मतलब, मनोरंजन व मयूरथ था।
जान ले शराब पीने के कुछ फायदे भी होते हैं। जहां शराब पीकर लोग नशे में किसी की जान लेने पर उतारु हो जाते हैं वहीं शराब लोगों को बहुत करीब भी लाती है। अच्छा दोस्त भी बना देती है। तब मैं भी शराब पीने का खास शौकीन था। मतंग सिंह की महफिले देखने लायक होती थी। उनके कुशक रोड स्थित बंगले के पिछले बरामदे में, जो कि काफी विशाल था वहां महफिले जमती थी। कभी-कभार राजाओं के दरबार की तरह नाच गाना भी होता था। यहां देश की चुनिंदा हस्तियां आती थीं।
मतंग सिंह की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि उन्होंने सत्ता में रहते हुए नेताओं के साथ-साथ अफसरों से करीबी संबंध बनाए। इनमें मणि कुमार सुब्बा से लेकर वाइएस राजशेखर रेड्डी जो कि आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तक शामिल थे। जब मैंने एक बार सुब्बा के कारनामों का खुलासा किया तो उसने मुझे बुलाकर कहा कि मुझे पता है कि आपको सारी जानकारी मतंग सिंह दे रहा है। मैंने कहा कि मैं तो उन्हें जानता तक नहीं हूं। इस पर वह कहने लगा कि झूठ मत बोलिए। जब आप और मैडम (लक्ष्मी) आते थे तो मतंग सिंह मुझे ही कलेवा से समोसे लेने के लिए भेजता था। याद है न मैं अक्सर लाल टी शर्ट पहनता था। अब मैं उसे क्या बताता कि जिस तरह से मतंग सिंह उससे बर्ताव करते थे, उसे देखते थे उससे हम लोग तो उसे घर में काम करने वाला बहादुर समझते थे।
मैंने वह समय देखा जबकि मतंग सिंह के निर्देश पर तत्कालीन गृह सचिव हमें अपने घर बुलाकर स्काच पिलाते हुए सीताराम केसरी के खिलाफ चल रही डॉक्टर तंवर हत्याकांड केस की फाइल दिखाते थे। दिल्ली पुलिस का अतिरिक्त आयुक्त मेरा पैग बनाने के बाद पूछता था कि सर आप सोडा पानी दोनों लेंगे? और यह सुनते ही मतंग सिंह उसे झाड़ते हुए कहते थे कि इतने दिनों से इनका पैग बना रहे हो और यह तक याद नहीं रखते हो कि यह सिर्फ सोडा लेते हैं और वह खिसियानी हंसी हंसने लगता था।
वह उनके वहां से जाते ही कहता कि जरा साहब से मेरी पैरवी कर दीजिएगा। जरा कमिश्नर तो बनवा दीजिए, फिर देखिएगा कि किस तरह से दिल्ली पर आप लोगों का राज होगा।’
दोनों पति-पत्नी बेहद महत्वाकांक्षी हैं। मनोरंजना कुछ ज्यादा हैं। मतंग सिंह ने भी उन्हें अपना चैनल चलाने व स्थापित करने का लक्ष्य हासिल करने में भरपूर मदद की। पहले मतंग सिंह ने एनई चैनल स्थापित किया जो कि उस समय उत्तर पूर्व का एकमात्र चैनल था। फिर मनोरंजना ने फोकस चैनल शुरु किया जिसे बाद में नवीन जिंदल ने खरीदा। मनोरंजना तो किसी भी कीमत पर बहुत जल्दी सब कुछ हासिल कर लेना चाहती थीं।
बहरहाल ज्यादा शराब पीने ने अपना असर दिखाया। मतंग सिंह का लंदन में लीवर ट्रांसप्लांट हुआ। मनोरंजना गुवाहाटी में चैनल के चक्कर में ज्यादा रहने लगीं। वहां उनका किसी वरिष्ठ पुलिस अफसर से चक्कर चलने लगा। मतंग सिंह ने उन दोनों के बीच हुए एसएमएस की फाइल मेरे सामने रखी तो मैं उन्हें देखकर अवाक रह गया कि क्या पढ़े लिखे लोग भी ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर सकते हैं? मनोरंजना भी साधारण परिवार से थीं। ऐसा लगता है कि वे पैसा और शोहरत संभाल नहीं पाईं। दोनों ही मियां बीवी ने इन पंक्तियों पर कभी ध्यान ही नहीं दिया कि ‘बहुत दिया देने वाले ने तुमको, आंचल ही न समाए तो क्या कीजे।’
करीबी बताते हैं कि आज दोनों एक दूसरे से नफरत करते हैं। एम थ्री की नेम प्लेट संबंधों में दरार पड़ने के साथ ही उखड़ चुकी है। दोनों के बीच मुकदमेबाजी चल रही है। एक दूसरे के खिलाफ जहर उगला जा रहा है। उन्हें देखकर यही लगता है कि किसी ने सही कहा है कि सूरज छूने की कोशिश में पंछी के पर जल जाते हैं। अभी जब सीबीआई के इंस्पेक्टर छापे मार रहे थे तब उस मतंग सिंह को कैसा महसूस हो रहा होगा जिसे कभी कमिश्नर सलामी मारते थे।
लेखक विनम्र वरिष्ठ पत्रकार हैं। उनका यह लेख नया इंडिया से साभार लिया गया है।
dhirendra singh
August 20, 2014 at 2:44 pm
khoobsurat sansmaran—–sochana chahiye uchai pr pahuchne wale logo ko
ravi
August 24, 2014 at 12:21 pm
lekhak ka naam galat likh diya hai apne………….lekhak ka naam hai kumar sanjoya singh…jise laat maar kar matang ne nikal diya tha
nkj
August 27, 2014 at 12:18 pm
jo bhi ho lat mar ke nikala ho ya hath jor ke , likha jam ke hai