आशीष चौकसे-
छत्तीसगढ़ दैनिक भास्कर ने ग़ज़ब कारनामा किया है। 3 अप्रैल को जिस महादेव बुक एप्प के फ्रोड की एक्सक्लूसिव खबर लगाई, उसी एप्प का 5 अप्रैल से लगातार विज्ञापन छापकर प्रमोट कर रहा है। हाँ नीचे बचाव के डिस्क्लेमर ज़रूर दे दिया है।
तो क्या विनोद तिवारी की बाईलाईन खबर और उसके आधार पर हुई पुलिस की कार्रवाई ग़लत थी? क्या मार्केटिंग वाले पैसों के लिए किसी का भी प्रमोशन कर रहे हैं? तो क्या यही सच है कि पत्रकारिता पर पैसा भारी होता है?
ये तो वही बात हुई कि पत्रकारिता अपनी जगह और पैसा बनाना अपनी जगह। भास्कर के ही कुछ कर्मचारियों ने बताया कि मार्केटिंग वालों पर ज़बर्दस्त प्रेशर डाला जा रहा है। यही नहीं विज्ञापनों के रेट भी काफ़ी बढ़ा दिए गए हैं। खैर जो भी हो इतनी जागरूकता तो होनी ही चाहिए कि जिस गोरखधंधे का खुलासा आपका रिपोर्टर कर रहा हो, उसी की तारीफ़ विज्ञापन के रूप में न करें।
आशीष चौकसे,
पत्रकार और विश्लेषक