अमर उजाला की हिमाचल स्थित धर्मशाला यूनिट में मजीठिया वेज बोर्ड में धांधली की प्रबंधन के खिलाफ शिकायत करने वाले चंबा ब्यूरो प्रभारी रविंद्र अग्रवाल का प्रबंधन ने जम्मू यूनिट में तबादला कर दिया है। हालांकि प्रबंधन ने किसी विरोध से बचने के लिए सात साल बाद उन्हें पदोन्नति का लॉलीपॉप भी थमाया है। लेकिन यह बात सभी जानते हैं कि अमर उजाला में रिपोर्टर/सब एडिटर से सीनियर रिपोर्टर/सीनियर सब-एडिटर पद पर जाने से कोई फायदा नहीं बल्कि आर्थिक नुकसान ही झेलना पड़ता है।
चर्चा है कि रविंद्र अग्रवाल ने पारिवारिक कारणों से जम्मू जाने से इंकार कर दिया है। ज्ञात रहे कि परिवार की जिम्मेदारी उन पर ही है। इसके चलते वे लंबे समय से घर के नजदीक के स्टेशन पर ट्रांस्फर की मांग करते आ रहे हैं। वहीं चंबा ब्यूरों में स्टाफ न होने के बावजूद प्रबंधन उन्हें रिलीव करने पर आमादा है। हाल ही में धर्मशाला भेजे गए राजेश मंढोत्रा को चार्ज लेने के लिए भेजा गया है।
इस तरह एक रिपोर्टर के सहारे चल रहा चंबा ब्यूरो अब राम भरोसे होगा। प्रबंधन को तो बस किसी न किसी तरह अपने खिलाफ आवाज उठाने वाले को हिमाचल से बाहर करने की पड़ी हुई है। उधर, पता चला है कि रविंद्र अग्रवाल ने अब प्रबंधन के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का भी निर्णय लिया है। चर्चा है कि अपनी सभी यूनिटों को अलग दिखाकर मजीठिया वेज बोर्ड लगाने वाला अमर उजाला प्रबंधन इसका विरोध कर रहे एक मात्र कर्मी का तबादला दूसरी यूनिट में करके कानूनी तौर पर बड़ी गलती कर बैठा है।
जल्द ही इस संबंध में कोर्ट जाने की खबर सुनने को मिल सकती है। प्रबंधन के इस रवैये के चलते रवीन्द्र पत्रकारिता छोड़ वकालत करने की भी सोच रहे हैं। फिलहाल वह प्रबंधन के खिलाफ आवाज उठाने के बाद की परिस्थितियों को झेल रहे हैं।
sanjiv
August 4, 2014 at 9:59 pm
Ravindra ji ko hum sabhi workers ki Ore se Badhai Milni chahiye. Kissi Ek ne to “Billi ke Galey mein Ghanti Bandhi”!! Badi Sukhad Anubhooti ho rahi hai. Mera Amar Ujala ke sabhi “Nishkriya” workers se Humble Request hai ki Wey Apni “Napunshakta” ko Chhodein aur “Mardangi” Dikhayein. Ab Samay Aa gayaa hai, jab Sabon ko Ek-jut hona padega.. Prabandhan se koi Akele Nahin Lud Saktaa..
Yashvant ji se bhi Aagrah hai ki wey Ravindra ji ko Sahi Marg Dikhayein aur Madad karein.
kamta prasad
August 5, 2014 at 9:37 am
साथियो, इंतजार करो चुपचाप बैठकर। जागरण के मामले में कोर्ट में कब तक तारीख पड़ेगी इसका पता चल जाएगा। सुप्रीम कोर्ट अगर अवमानना के मामले में मालिकान को घसीटता तो मुकदमों की एक सुनामी आ जाएगा, सभी अखबार मालिकों के खिलाफ और अगर मामला निचली अदालत को रेफर कर दिया जाता है तो लोग चुप मारकर बैठ जाएंगे।
तो फिलहाल इंतजार कीजिए और अभी चूं-चूं मत कीजिए, न लोग हैं और न आंदोलन, काहे अपनी नौकरी गंवाते हो और हां तबादले को चुनौती नहीं दी जा सकती तकनीकी तौर पर। हार जाओगे।
himanshu
August 5, 2014 at 10:07 pm
Kamta prasad ji
According to law agar aap ek station. Par paanch saalo se kaam kar rahe hai to management aapka transfer aapki Marji ke bina nahi kar sakta. Aap transfer ke kilaaf court jaa sakte hai.
Rajesh
August 6, 2014 at 3:42 pm
Ravindra Bhai aap bhi kaha ulagh ghay. pandito-thakuro ki tarah santi se baniya ki dukan me kam karna chahiya tha.