Sandeep Thakur : पिता कुमार विश्वजीत बीजेपी की आईटी सेल में काम करता है. धुँवाधार विकास की गाथा सुनाता है. बेटा आशीष नौकरी जाने और उसे बचाने की जद्दोजहद में आत्महत्या कर लेता है। किस किस बात के लिए अफसोस जाहिर करें।
Satyendra PS : यह भयावह स्थिति है। चाहे जितना सरकार के बचाव में फेसबुक पर गाली गलौज कर लें, नौकरी नहीं रहेगी तो मरना ही पड़ेगा। पिताजी के पैसे से मोबाइल डेटा डालकर बेमतलब में सरकार के लिए गाली गलौज न करें।
Sheetal P Singh : तबाही पार्टी देखकर नहीं आती. बेकारी बढ़ रही है. जद में कोई भी आ सकता है. भाजपा आई टी सेल प्रभारी का बेटा ही आ गया.
Pushya Mitra : टाटानगर का यह युवक जो नौकरी जाने के भय से जान गंवा बैठा है, इसके पिता भाजपा के स्थानीय आईटी सेल के प्रभारी हैं। अब आईटी सेल कैसे इस खबर को झुठलाएगा?
Ravish Kumar : क्रिकेटर वी बी चंद्रशेखर ने पिछले दिनों आत्महत्या कर ली। तमिलनाडु प्रीमियर लीग में उनकी एक टीम थी। क़र्ज़ इतना ज़्यादा हो गया था कि चंद्रशेखर तनाव में रहने लगे। अपने जन्मदिन के छह दिन पहले ख़ुदकुशी कर ली। हाल ही में कैफे कॉफी डे के मालिक वी जी सिद्धार्थ ने भी आत्महत्या कर ली। कर्ज़ और आयकर विभाग से परेशान होकर।
कल ही कर्नाटक से ख़बर आई कि एक व्यापारी ने नुकसान के कारण अपने परिवार के पांच लोगों के साथ ख़ुदकुशी कर ली। 36 साल के ओम प्रकाश को व्यापार में काफी घाटा हुआ। कर्ज़ वसूली के तनाव से मुक्ति पाने के लिए पूरे परिवार ने आत्महत्या करने का प्रयास किया। ओम प्रकाश ने पहले अपने माता-पिता को गोली मारी। फिर अपनी गर्भवती पत्नी को और अपने 4 साल के बेटे को मारने के बाद ख़ुद को गोली मार ली। जून के महीने में पटना में एक बिजनेसमैन निशांत शर्राफ से भी व्यापार का घाटा बर्दाश्त नहीं हुआ। निशांत ने अपनी पत्नी, बेटी और बेटे को गोली मारने के बाद ख़ुद को गोली मार ली।
जुलाई महीने में असम के प्रदीप पॉल अपनी पत्नी, बेटी और बेटे के साथ नदी में कूद गए। बेटी को तो बचा लिया गया लेकिन तीनों की मौत हो गई। प्रदीप को बिजनेस में काफी घाटा हो चुका था। धंधा नहीं होने के कारण लोन चुका पाने में असमर्थ थे। इस कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली।
अगस्त में कोटा, राजस्थान के रामचरण शर्मा ने ख़ुदकुशी कर ली। घर से निकले और जंगल में जाकर फांसी लगा ली। उनकी जेब से ख़ुदकुशी का बयान मिला है जिसमें कहा है कि कर्ज़ बहुत ज़्यादा हो गया था इसलिए जीवन अंत कर रहे हैं।
आज प्रभात ख़बर की इस क्लिपिंग को देखकर अच्छा नहीं लगा। जमशेदपुर में एक कंपनी में कप्यूटर आपरेटर का काम करने वाला आशीष नौकरी जाने के डर से सुसाइड कर बैठा। आशीष के पिता बीजेपी के स्थानीय नेता है। जमशेदपुर में काफी लोगों की नौकरियां गई हैं और व्यापार मंदा हो गया है। हमने प्राइम टाइम में दिखाया था कि जमशेदपुर के औद्योगिक क्षेत्र की क्या हालत है।
हम समझ सकते हैं कि सब दरवाज़े बंद हो तो आदमी की बेबसी उसे कहां ले जाती है। बहुत तनाव होता है। फिर भी कहूंगा कि एक बार ख़ुद को मौक़ा देना चाहिए। ख़ुदकुशी नहीं करनी चाहिए। जीवन बेशक निर्थक है। कई बार लगता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम उसे ख़त्म कर लें। इस वक्त जब व्यापारिक घाटा आम है, व्यापारी भाई परेशान हैं, उन्हें अपना मन मज़बूत करना चाहिए। व्यापारिक समुदाय के लोग एक दूसरे की मदद करें। साथ आएं। जैसे वे अन्य सामाजिक धार्मिक कार्यों को मिलकर निपटाते हैं, उसी तरह अपने साथियों की भी मदद करें।
बहुत लोगों की नौकरियां जा रही हैं। अभी और लोगों की जाएंगी। ऐसे में ज़रूरी है कि ख़ुद को अकेला न छोड़ें। जिन लोगों की नौकरियां जा रही हैं, वे आपस में सिस्टम बना लें। आत्महत्या से समाधान नहीं है। इससे कुछ नहीं होता है। न समाज को फर्क पड़ता है न सरकार को।
सौजन्य : फेसबुक