साहित्यकार मंगलेश डबराल चले गए। एम्स में उन्होंने आखिरी सांस ली। उन्हें आईसीयू में रखा गया था। कोरोना से संक्रमित होने के कारण पहले उन्हें ग़ाज़ियाबाद के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में हालत बिगड़ने पर एम्स ले जाया गया।
मंगलेश को इस ख़तरनाक बीमारी ने देखते-देखते उनके फेफड़ों के अलावा दिल और गुर्दों पर भी भयानक हमला बोल दिया। डॉक्टरों ने बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन उन्हें कोरोना लील गया।
जन सरोकारी साहित्यकार और वरिष्ठ पत्रकार मंगलेश डबराल का जब तक इलाज चलता रहा, सोशल मीडिया पर उनके परिचित और प्रशंसक उनके जल्द स्वस्थ होकर लौटने की कामना से सम्बंधित पोस्ट डालते रहे। पर मंगलेश डबराल अस्पताल से घर न लौट पाए। कवि के रूप में चर्चित मंगलेश डबराल लंबे समय तक जनसत्ता अखबार में कार्यरत रहे।
मंगलेश डबराल के निधन से मीडिया और साहित्य जगत के लोग मर्माहत हैं। सब अपने अपने तरीके से श्रद्धांजलि दे रहे हैं-
नवीन कुमार- हिंदी साहित्य की दुनिया सदमे में। कवि लेखक चिंतक मंगलेश डबराल नहीं रहे। जनांदोलनों के साथ वो अंत समय तक खड़े रहे। किसानों के संघर्ष के लिए आवाज़ उठाते रहे। एक अदम्य जीवट और बेमिसाल वैचारिकी वाला मनुष्य हमारे बीच से चला गया। कविता का संसार स्तब्ध है। उनकी जगह भरी नहीं जा सकेगी। श्रद्धांजलि।
देवप्रिय अवस्थी- आखिरकार कवि मंगलेश डबराल को भी कोरोना लील गया। मित्र असद ज़ैदी ने कुछ देर पहले ही अपनी वाल पर यह खबर दी है। मंगलेश जी को आज शाम ही दो बार दिल का दौरा पड़ा था।
सुभाष चन्द्र कुशवाहा- “यह क्या सुन रहा हूँ? दिल का -कोना-कोना रोज दरक रहा है। एक और दरक गया। हमारी आंखों के सामने से एक चलता-फिरता जुझारू कवि, चला गया। सब रूठे चले जा रहे हैं? ये बुरे दिन, तेरी क्षय हो। नमन!नमन!!”
विजय शंकर सिंह- साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता, हिंदी भाषा के प्रख्यात लेखक और कवि मंगलेश डबराल का बुधवार को निधन हो गया है। कोरोना संक्रमित होने के बाद उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। गाजियाबाद के वसुंधरा के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। बाद में एम्स ले जाया गया। विनम्र श्रद्धांजलि।