अविनाश पांडेय समर-
मनीष सिसौदिया की गिरफ़्तारी दरअसल बेहद ज़रूरी थी।
जी- सटक नहीं गया हूँ। बिलकुल सोच समझ कर बोल रहा हूँ।
आम आदमी पार्टी अपने तमाम बेहद शानदार कामों जैसे शिक्षा और बुनियादी सुविधाएँ जैसे स्वास्थ्य, बिजली और पानी के बावजूद एक बुलबुले में जी रही है। अब तक- वह बुलबुला जिसमें उसे लगता है कि वह सिर्फ़ अपने अच्छे कामों के साथ भाजपा से टकराव बचा ले तो आगे बढ़ती रहेगी।
यूँ तो उसे भाजपा के दशकों लंबे सहयोगी दलों जैसे अकाली दल, शिव सेना और जनता दल यूनाइटेड के साथ उसका व्यवहार देख कर ही समझ जाना चाहिए था पर अब भी बहुत देर नहीं हुई है। उसे समझना चाहिए था कि भाजपा की राजनीति असहमति और विरोध ख़त्म करने की है- सह अस्तित्व की नहीं।
आप को समझना होगा कि एनआईए से लेकर सीबीआई, ईडी, एनसीबी जैसी सभी संस्थाओं का दुरुपयोग एक विपक्षी दल के ख़िलाफ़ हो सकता है तो उसके ख़िलाफ़ भी होगा।
उसे समझना होगा कि सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति और दिल्ली जीतने के बाद बड़े भाई भाजपा के साथ छोटे भाई आप की राजनीति भाजपा को स्वीकार नहीं है।
उसे समझना होगा कि संस्थानों के दुरुपयोग का कोई भी मुद्दा सबका मुद्दा है- आज न्यायालय बिल्किस बानो के बलात्कारियों और उसके परिवार के हत्यारों की सजा माफ़ करने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं तो कल उसके ख़िलाफ़ भी होंगे।
उसे समझना होगा कि अगर केंद्रीय संस्थाएँ किसी सिद्दीक़ कप्पन को बेवजह उठा सकेंगे तो उसके नेता भी सुरक्षित नहीं रहेंगे।
उम्मीद करता हूँ कि मनीष सिसौदिया की गिरफ़्तारी के बाद ही सही आप को यह समझ आये और वह विपक्षी एकता के साथ खड़ी हो।