पिछले दिनों मीडिया में एक अभिनेत्री के कथित रूप से सेक्स रैकेट में पकड़े जाने की खबर सुर्खियों में रही. मीडिया अभिनेत्री को किसी बड़े व्यापारी के साथ होटल में आपत्तिजनक अवस्था में पकड़ा जाना बताता रहा. लेकिन आश्चर्यजनक रूप से मीडिया ने उस व्यापारी के नाम का कहीं खुलासा नहीं किया. वहीं अभिनेत्री की बचपन से लेकर वर्तमान तक कि तस्वीरें पूरी पहचान के साथ मीडिया में बनी रहीं.
मीडिया को भारतीय लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है और इससे महिला संबंधी विषयों पर रिपोर्टिंग करते समय संवेदनशीलता बरतने की अपेक्षा की जाती है. लेकिन इससे पहले कि पुलिस इस मामले में चार्जशीट दायर करती और कोर्ट में ट्रायल शुरू होती, मीडिया ने मामले को हाइलाइट करके उस अभिनेत्री को वारांगना साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
इसी मुद्दे को उठाते हुए मुम्बई निवासी बिन्दिया साहेबा खान व लखनऊ निवासी चन्दन श्रीवास्तव ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर जिम्मेदार मीडिया संस्थानों के खिलाफ कारवाई करने का अनुरोध किया है. पत्र में प्रमुख रूप से कहा गया है कि भारतीय मीडिया ने गैर जिम्मेदराना रवैया अपनाते हुए उक्त अभिनेत्री का न केवल नाम बल्कि उसका पूरा परिचय, उसके बचपन की तस्वीरें व उसकी वर्तमान तस्वीरें सम्बन्धित खबर में प्रकाशित कीं. मीडिया ने उसे किसी होटल में किसी बड़े व्यापारी के साथ आपत्तिजनक अवस्था में पकड़ा जाना बताया लेकिन उक्त व्यापारी का नाम आश्चर्यजनक रूप से मीडिया में नहीं आया. इस से मीडिया का पक्षपाती रवैया पता चलता है.
पढ़ें भारत के मुख्य न्यायाधीश को भेजा गया पत्रः
AK
September 12, 2014 at 7:05 am
मीडिया 100 रूपये के पत्ते से ले के लाखों के बंडल तक बिकी है
जैसा काम वैसा दाम और मीडिया इसे खुद नहीं करती क्यों की आज कल PR & ऐड एजेंसीज के माद्यम से हो रहा है मिडिया के लिए एडिटोरियल उसके लिए लाइबिलिटी है मार्केटिंग एसेट है – सरे पत्रकार ऐसा करते है ये नहीं है पर कुछ भडुवे हैं जो Rs. 250 के बिगबाजार के कूपन के बिना खबरें तक नहीं लगते। जितनी बड़ी खबर उतना बड़ा डील लगनी हो या हटानी हो। हर कोलोम बिकता है