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मेरठ से छपने वाले बड़े अखबारों के संपादकों में आपस में डील क्या हुई थी, उन्हें बताना पड़ेगा

Yashwant Singh : कल एक फोटो जर्नलिस्ट का फोन मेरठ से आया. वो बोले- भाई साहब, प्रिंट मीडिया के संपादकों ने मीडिया की इज्जत बेच खाई है, आप ही कुछ करो. मैं थोड़ा चकित हुआ. पूरा मामला जब उनने बताया तो सच कहूं, मैं खुद शर्म से गड़ गया. मेरठ में हिंदुस्तान अखबार के फोटोग्राफर को ड्यूटी करने के दौरान पुलिस वालों ने पकड़कर हवालात में बंद कर दिया, फर्जी मुकदमें लिख दिए. लेकिन एक लाइन खबर न तो हिंदुस्तान अखबार में छपी और न ही दूसरे स्थानीय अखबारों में.

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Yashwant Singh : कल एक फोटो जर्नलिस्ट का फोन मेरठ से आया. वो बोले- भाई साहब, प्रिंट मीडिया के संपादकों ने मीडिया की इज्जत बेच खाई है, आप ही कुछ करो. मैं थोड़ा चकित हुआ. पूरा मामला जब उनने बताया तो सच कहूं, मैं खुद शर्म से गड़ गया. मेरठ में हिंदुस्तान अखबार के फोटोग्राफर को ड्यूटी करने के दौरान पुलिस वालों ने पकड़कर हवालात में बंद कर दिया, फर्जी मुकदमें लिख दिए. लेकिन एक लाइन खबर न तो हिंदुस्तान अखबार में छपी और न ही दूसरे स्थानीय अखबारों में.

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पता चला कि हिंदुस्तान के संपादक साहब पुलिस से सेटिंग करने के साथ साथ दूसरे अखबारों से भी सेटिंग करने में सफल रहे. मैंने अपने मित्र और भाई ब्रजेश मिश्रा जी को लखनऊ फोन किया और उनकी सीधी बात मेरठ के फोटोग्राफर साथियों से कराई. ब्रजेश ने दो सेकेंड नहीं लगाया, पूरी खबर उनके चैनल नेशनल वायस पर ब्रेक हो गई और उनने ट्वीटर पर दे दनादन यूपी व मेरठ पुलिस को कठघर में खड़ा कर दिया. दो चार घंटे में ही एक सस्पेंसन हुआ और दूसरे के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो गई…

मतलब ये कि प्रिंट मीडिया वाले दलाली में इतने लिप्त हैं कि इनकी लड़ाई अब टीवी वाले लडेंगे? सारे टीवी वाले नहीं क्योंकि टीवी का भी अधिकतर हिस्सा बिका हुआ है, दलाल है, प्रशासन और पुलिस के तलवे चाटता है. कुछ ही टीवी वाले हैं जो अपने समुदाय बिरादरी का दर्द समझते हैं. ब्रजेश मिश्रा के लिए मैं कह सकता हूं कि जब जब इनसे मैंने पब्लिक काज, जन सरोकार के मामले पर मदद मांगी, उनने फौरन उम्मीद से अधिक सक्रियता दिखाते हुए नतीजा परक मोर्चेबंदी कर डाली. मुझे अफसोस खासकर मेरठ के अखबारों के संपादकों से है जिनने पहले दिन पूरी खबर का ही बहिष्कार कर डाला. क्या वे बताएंगे कि उनने ये सब क्यों किया था?

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पूरे मामले को समझने के लिए इसे पढ़ें :

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भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.

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