Sachin Choudhary : श्रीमान संपत कुमार सुरप्पागारी (चेयरमैन प्रयुक्तिा हिंदी दैनिक) जी, अखबार लॉन्च करने के लिए आपको बधाई और शुभकामनाएं। अखबार सालों-साल चले और नित नई उंचाइयों को छुए। सर व्यस्त कार्यक्रम होने से चलते शायद आप भूूल गए होंगे इसलिए मैं आपको एक बार याद दिलाना चाहता हूं। जिस दिन (20 जून 2016) मैं त्याग पत्र देने प्रयुक्ति कायार्लाय आया था उस दिन आपने मुझे कहा था कि सचिन तुम्हारे 1500 रुपए पिछले महीने के बकाया और इस माह की सैलरी मैं आपके खाते में एक जुलाई को डलवा दूंगा, लेकिन सर ऐसा हुआ नहीं।
लगभग दो माह बीत जाने के बाद आज मैं आपसे पुन: अपनी जून माह की सैलरी और अपना पीएफ क्लीयर करने का आग्रह करता हूं। आपने पीएफ के लिए कहा था की कंपनी दो माह बाद पीएफ क्लीयर करती है। सर मैं आशा करता हूं कि आप मेरी सैलरी और मेरा पीएफ क्लीयर कर देंगे और मेरी पोस्ट का जवाब देंगे।
सचिन चौधरी
पूर्व वरिष्ठ उपसंपादक
हिंदी दैनिक प्रयुक्ति
नई दिल्ली
‘प्रयुक्ति’ अखबार में काम कर चुके पत्रकार सचिन चौधरी की एफबी वॉल से. इस स्टेटस पर स्थानीय संपादक मुकुंद का आया जवाब और उनके जवाब का सचिन द्वारा दिया गया प्रति जवाब इस प्रकार है…
Mukund Mitr सचिन, आपकी पोस्ट पढ़ी। आपने ड्यूज के संदर्भ में लिखा है। ऐसा क्यों हुआ, यह आपको मालूम है, आपने वो स्थितियां साफ नहीं कीं। आप अचानक छुट्टी पर गए थे। जब आप नहीं लौटे तो सहयोगियों ने आपको फोन किया। आपने उनसे कहा कि आपकी पत्नी बीमार हैं। इसके बाद आप दफ्तर नहीं आए और अचानक एक दिन (आपने अपनी पोस्ट में तारीख का उल्लेख किया है।) इस्तीफा देने आए। आपकी चेयरमैन सर से मुलाकात भी हुई। आपने उनसे बातचीत में स्वीकार किया कि आपकी पत्नी की तबियत खराब नहीं थी। आपने झूठ बोलकर छुट्टी ली। यह भी कि आपने अपनी छुट्टी पर स्वीकृति नहीं कराई। दूसरा आप यह कहते रहे कि आपका हिंदुस्तान में हो गया है। बहरहाल हमें इससे मतलब नहीं है कि आपका कहां हुआ है। आपने लांचिंग की तैयारी के समय बेवजह झूठा बहाना बनाकर छुट्टी ली, यह बिलकुल गलत तरीका है। यह कोई भी मैनजमेंट हो, स्वीकार नहीं कर सकता। दूसरा आपका रवैया कुछ सीनियर्स के साथ अच्छा नहीं रहा। मुझे आपकी पोस्ट पढ़कर पीड़ा हुई है। पीड़ा इसलिए कि आपने यहां आने के लिए मेरे दोस्त श्री अरुण खरे जी से एप्रोच करी थी। आपको याद होगा, आपका इंटरव्यू मैंने ही लिया था और मैंने करा भी दिया था। आपने ज्वाइन करने के बाद ही कुछ अनावश्यक टिप्पणियां वरिष्ठ साथियों के साथ शुरू कर दी थीं। फिर भी मैनजमेंट ने आपको बर्दाश्त किया। मैंनजमेंट ने आपको नहीं हटाया। आप खुद अलग हुए हैं। नियमतः आपको एक माह का नोटिस देना चाहिए था, वो आपने नहीं दिया, तो किस हैसियत से ड्यूज क्लीयर करने की बात कर रहे हैं।
-मुकुंद
स्थानीय संपादक
प्रयुक्ति
Sachin Choudhary : सम्मानीय मुकुंद जी, स्थानीय संपादक, मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि संस्थान मुझे नहीं बल्कि आपको बर्दाश्त कर रहा है। जिससे आप और प्रयुक्ति का पूरा स्टाफ भलीभांति जानता है। जब आपको बर्दाश्त करने की सारी हदें पार हो गई थी तब आपको भरी मिटिंग में ‘सेटअप’ कहकर आपसे इतिश्री कर ली गई थी। आप कहते हैं कि संस्थान ने मुझे बर्दाश्त किया। आपकी वजह से ही बाथरूम में ताला जड़ा गया था, जिससे पूरे स्टाफ को काफी परेशानी हुई और आप कहते हैं की संस्थान मुझे बर्दाश्त कर रहा है। आफिस में आपकी स्वरों की ध्वनि इतनी तेज होती है कि एडमिन से लेकर रिपोर्टर तक आपसे परेशान है और आप कहते हैं कि संस्थान ने मुझे बर्दाश्त किया। अगर सैलरी से आपके दस रुपए बाकि रह जाते हैं तो आप शाम तक 10 बार ही अपने पैसे मांग लेते हैं और मुझे दो माह बाद पैसे मांगने पर नसीहत दे रहे हैं। अब बताओ संस्थान ने मुझे झेला या आपको झेल रहा है। रही काम की बात तो तो इसी संस्थान में मुझे अच्छे काम के लिए एवार्ड दिया गया था जिसकी गवाह उपरोक्त तस्वीर है।
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