मोदी-आडवाणी ‘मिलन’ की एक और तस्वीर वायरल, यशवंत ने कुछ यूं समझा-समझाया निहितार्थ!
Yashwant Singh : ये तस्वीर ओरिजनल है। कुछ रोज पहले की है। तस्वीर पर अंकित संवाद काल्पनिक है। पिछले 5 साल की मोदी-आडवाणी मिलन की तस्वीरों की सीरीज पर गौर करेंगे तो हर जगह एक अद्भुत समानता दिखेगी। मोदी का अहंकार और आडवाणी की याचना। मोदी का अहंकार प्रायोजित नहीं है। ये उनके व्यक्तित्व में अंतर्निहित है। आडवाणी की याचना प्रायोजित है। ये मूक शैली की याचना एक ऐसा राजनीतिक हथियार है जो मोदी की छवि के टुकड़े टुकड़े कर रहा, पिछले 5 सालों से, स्लोली स्लोली!
मैं आजकल निजी तौर पर संवाद-सम्प्रेषण की तकनीक / स्टाइल पर कुछ आध्यात्मिक वजहों से गौर कर रहा हूँ। इसी क्रम में जब भी मोदी-आडवाणी की साथ वाली अजीब तस्वीर देखता हूँ तो सोचने लगता हूँ।
आडवाणी कम्युनिकेशन के सबसे बड़े उस्ताद बन चुके हैं। वे सायास एक परसेप्शन क्रिएट कर दिए हैं। आडवाणी जी के इस आर्ट / हुनर का मैं मुरीद हो गया हूं।
आडवाणी pm भले न बन पाए, लेकिन अपने एक पीएम की जड़ को नष्ट कर दिए, धीरे धीरे, बिना बोले, बस एक मूक कारुणिक अभिनय से। मुझे इस बुजुर्ग से देश के सबसे शातिरतम राजनेता होने के कारण प्यार है। इस आदमी के आगे मोदी बतौर राजनेता बच्चे हैं। पीएम बन पाना और न बन पाना अलग बात है लेकिन सर्वोच्च राजनेता बन जाना बड़ी बात है।
मौन, याचना, लाचारी और उपेक्षा के चतुष्कोणीय मास्क को धारण कर आडवाणी ने भारतीय राजनीति में वो काम कर दिया है जिसकी कोई मिसाल नहीं! आप इस तस्वीर पर हंस सकते हैं लेकिन जब मैंने इस तस्वीर को देखा तो मेरा पिछले चार साल से मोदी-आडवाणी रिलेशन की पिक्टोरियल प्रजेंस से निकलते ट्रेंड पर मुहर लग गई।
आडवाणी की ये मुद्रा उनका सबसे घातक जवाब है, सबसे जोरदार प्रतिवाद है, मोदी के प्रति। इसकी कोई काट नहीं मोदी के पास, सिवाय इसके कि वह आडवाणी के आगे पड़ने से पूरी तरह बचें, वरना ये ‘बापू’ अपने अहिंसक, मूक, शांत, विनम्र आंदोलन से मोदी को फिर गुजरात भागने पर मजबूर कर देगा!
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.
उपरोक्त पोस्ट पर आईं ढेरों प्रतिक्रियाओं में से कुछ चुनिंदा यूं हैं….
Maithily Gupta उस प्रोग्राम के वीडियो देखिये. आपको एसा नहीं लगेगा. जैसा आपके फोटो को देखकर लग रहा है.
Yashwant Singh सर् जो तस्वीर वायरल होती है, उसी से उपजे सन्देश दूर और देर तक फैलते हैं। अगर मोदी जी आडवाणी जी को गले लगाकर देर तक हंसते बतियाते हुए टहलते तो शायद चीजें यूँ न अलग शेप लेतीं। आडवाणी राजनीति के सबसे समझदार खिलाड़ी हैं। उन्हें पता है वो देर तक न हाथ जोड़ पाएगा। बस, इसी में खेल हो जाता है। वो पिक्चर क्रिएट हो जाती है जो रिश्तों की असामान्यता को दिखाने के साथ साथ एक के लिए परम अहंकारी और दूसरे के लिए कारुणिक याचक का परसेप्शन क्रिएट करती है!
Binod Verma इतना गहरा “नजरिया” आप लिखने में आम तौर पर रखते नहीं है! आखर मिजाज लिखने वाले इतनी गहराई में जा रहे है, तो कुछ तो बात है!
Yashwant Singh उथले जमाने से छिछला रिश्ता ही सही… मेरी गहराइयाँ खुद को डुबोने के वास्ते हैं 🙂
Ashok Anurag हो जीअ हो यशवंत जी, हई पढ़ के एतना ठार में बोरसी वाला गर्मी सउसा बॉडी में घुसिआ गया भाई, यशवंत भाई आपके बहुत से लेख यशवंत का पन्ना से हमने सुरक्षित रख लिये हैं…
Narendra Pratap यह तस्वीर पुरानी नही, आज के दैनिक जागरण में मुखपृष्ठ पर छपी है। अथार्त कल खींची गई होगी।
Satyendra PS गजबै व्याख्या की आपने। मोदिया को सामने पड़ने से बचने के अलावा कोई रास्ता नहीं है, या सामने पड़ते ही पैर छू ले।
Yashwant Singh अरे यार. ये पैर छूने वाला सलाह कम से कम टेन मिलियन डालर लेने के बाद ही कहना देना बताना था. हम इसी को बचा के रक्खे थे कि मोदी कउनो को भेजेंगे, आडवाणी की चतुष्कोणीय मारक मुद्रा की काट खोजने के वास्ते तो उनसे दस मिलियन डालर लेकर ही बतावेंगे पर आपने सब गुड़ गोबर कर दिया!
Satyendra PS हम लोग फकीर हैं। पैसे कभी आ ही नहीं सकते। मोदिया बेचारा समझ नहीं पा रहा है कि बूढ़ा सामने पड़ने पर हाथ जोड़कर खड़ा हो जा रहा है, इसका क्या इलाज़ किया जाए।
Yashwant Singh अउर, आडवाणी की नौटंकी देख मोदिया का गुस्सा भभक जाता है… बस वह मुंह खोल कर गरिया नहीं पाता, वरना सारा संदेश आंख नाक कान हाथ समेत समस्त बाडी पार्ट्स से दे देता है…
Sandeep Verma अडवानी पर आपने बहुत ही बढ़िया कहा है ,मगर इसमें मोदी जी का हाथ पीछे बांधे रहना उनका बेहद कमजोर जवाब भी साबित हो रहा है . पब्लिक परसेप्शन में मोदी की यह मुद्रा उन्हें अतिरिक्त अहंकारी बना रही है . चुनावों में यह फोटो मोदी ब्रांड को तहस नहस करने की क्षमता रखती है .
Yashwant Singh बिल्कुल, सच है!
Sanjaya Kumar Singh यही तो खासियत है। तभी तो ये फोटो है और तभी तो इतना लिखना सार्थक है। अगर मोदी के हाथ भी आडवाणी की तरह जुड़े होते तो, पांच साल भी एकाध बार भी तो यह पीस लिखा ही नहीं जाता। शानदार।
Nehal Rizvi वो ताज़ा-दम हैं नए शो’बदे दिखाते हुए, अवाम थकने लगे तालियाँ बजाते हुए
Vibhuti Pandey इस फ़ोटो पर निर्लज्ज भक्तों का ये कहना है की ये आडवाणी जी की शैली है जो हमेशा से रही … ख़ैर, इस तस्वीर से एक कहानी याद आती है जिसमें जवान बेटा घर में मेंहमानो के आने पर अपने बुज़ुर्ग बाप को छिपाता है और उसको ये लगता है की उसका बाप उसकी शान शौक़त पे बट्टा लगा रहा है
Kapil Bhardwaj बेहतरीन लिखा है।
Rajesh Rai अपनी-अपनी सोच है बड़े भाई।
Singhasan Chauhan ये कराहती हुई आत्मा मोदी का सब सुख चैन छीन लेगी, उनका सब घमंड चकनाचूर हो जाएगा, ये जो तस्वीर वायरल हो रही, आपने सही लिखा दिन प्रतिदिन ये तस्वीर मोदी के खिलाफ लोगों के दिमाग में जहर जैसा असर डाल रही है ,
Manoj Anuragi आपका आंकलन सटीक है
Kunwar S. Singh जबरदस्त यशवंत भाई… वाह
Santosh Choudhary मुझे तो मोदीजी पर तरस आ रहा है कि नदी देखी नहीं और छलांग लगा दी। जब आपको हम इतना बड़ा मेंडेड दे दिए तो हम मतदाताओं पर भरोसा करते और बढ़िया काम करते। हमपर आपने भरोसा नहीं किया तो अब हम कब तलक आप पे भरोसा रखें। तकलीफ होती है कि मैं आपसे छला गया। यशवंत जी आपकी यह पोस्ट मोदीजी को बहुत मंहगी पड़ेगी। मतलब उनके चक्कर मे भाजपा को। आपकी पोस्ट को शेयर कर रहा हूँ।
Ajeet Singh गज़ब ढा दिए, भाई यशवंत!
Ankur Pandey सालों से ऐसे चित्र देखने के बाद आपका आकलन काफ़ी हद तक विश्वसनीय लग रहा है।
Anita Misra सही है इनकी दीन हीन पिक ने मोदी की बड़ी इंसल्ट की है
Syed Rizwan Mustafa इसे सिर्फ तस्वीर ना समझा जाये…… ये तस्वीर दास्तान है उस अहंकार की जिसने रथ पर सवार होकर पूरे देश को अपनी चपेट में लेने की ज़ुर्रत की थी। ये तस्वीर एक दास्तान है उस सनक की जिसने बाबरी के गुंबदों को नेस्तनाबूत करने की सौगंध खाई थी। ये तस्वीर एक दास्तान है उस उधेड़बुन की जिसने इस देश की गंगा जमुनी तहजीब को निगल जाना चाहा था। ये तस्वीर एक दास्तान है उन ख़तरनाक मंसूबों की जो इस देश को दो धड़ों में बांट देना चाहती थी। ये तस्वीर दास्तान है उन नापाक़ कोशिशों की जो दो मज़हबों के बीच नफ़रत की गहरी खाई बना देना चाहती थी। लिहाज़ा इसे सिर्फ़ तस्वीर ना समझा जाये ये तस्वीर इबरत है उन तमाम नफ़रती ताकतों के लिए जो खुद को खुदा समझने का गुमान कर बैठे हैं……
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