सत्येंद्र पीएस-
नरेंद्र मोदी कहते कुछ हैं, करते कुछ हैं। यहां तक कि उनके भक्त भी नहीं जानते कि मोदी ने ऐसा क्या कर दिया है जिससे वह सत्ता में बने हुए हैं। मोदी जी के भक्तों से पूछें तो वही घिसी पिटी बात राम मंदिर, 370, गौरव, मीयों को औकात में लाने की बात बताते हैं।
हकीकत में मोदी ने वंचित तबके के लिए बहुत कुछ किया है जिससे उनकी जिंदगी आसान हुई है। मोदी ने मनरेगा योजना को खराब कहकर संसद में गरियाया। उनको पता था कि यही योजना है जिसने 2009 में कांग्रेस को सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाई। हकीकत में गरियावे से इतर मोदी ने मनरेगा पर कांग्रेस का डेढ़ गुना खर्च किया है। इसी तरह खाद्यान्न योजना पर कांग्रेस की तुलना में दोगुना खर्च हुआ और गोदाम में सड़ रहा अनाज पब्लिक में बांट दिया गया।
खाद सब्सिडी पर खूब पैसे खर्च किए, किसान सम्मान निधि में पैसा गया। शौचालय न होने से सबसे ज्यादा समस्या, यौन उत्पीड़न गरीब तबके की महिलाओं का होता था,अब सबके घर में शौचालय है। जिनके पास पक्का मकान नहीं थे, सबको दो लाख 40 हजार रुपये कैश मिल गए, चाहे गांव का आदमी हो या शहर का आदमी। पेयजल के लिए बड़े पैमाने पर गांवों में पैसा गया है। रसोई गैस गांव गांव पहुचाई गई है और महिलाओं की जिंदगी आसान हुई।
यह सब पैसा गाँवों में जाता है तो ग्राम प्रधान से लेकर छोटे कर्मचारी तक खूब लूटपाट मचाते हैं और इससे लोगों की परचेजिंग पावर बढ़ती है।
इसके अलावा कोरोना जैसी विकट स्थिति जिस तरीके से मैनेज हुई, न्यूनतम मौतें हुईं, यह चौंकाने वाला था। जो भगदड़ मची, उसमें भी लोग भूख से नहीं मरने पाए।
बकिया आप गाते रहें कि मोदी राम के नाम पर और धर्म के नाम पर लोकप्रिय हुए हैं। मोदी का धर्म से कोई लेना देना नहीं है, एक बार फिर दोहरा रहा हूँ। काशी में काशी विश्वनाथ तक पहुंचने से पहले तमाम छोटे छोटे मन्दिर थे, जिनकी अपनी कहानियां थीं कि भोले बाबा जब यहां आ रहे थे तोइस जगह ठहरे, यहां हाथ धोए, यहां जूता निकाले टाइप। मोदी ने इस तरह के तमाम शिव को उखाड़कर गंगा में फेंकवा दिया। इन विग्रहों पर बैठे बाबा लोग सड़क पर आ गए। अब बनारस में एक ही भोले बाबा हैं, और वह भी सरकार के नियंत्रण में।
और भगवान राम की तो हिस्ट्री ऐसी है कि कोई अगर उनका घर बनाने की कोशिश करे तो उसको उलट देते हैं। “जो कहा, सो किया” की पूर्ण बहुमत सरकार जब तेल लेने गई तो लोगों को चौन्हा अ गया था।
अनुज अग्रवाल- कोविड छोड़ बाकि मुद्दों पर सहमत, जहां मैंने घर लिया उससे कुछ किलो मीटर की दूरी पर प्रधानमंत्री आवास देखे ढाई लाख वाले, कमरे छोटे जरूर हैं पर कुछ नहीं से तो बहुत बेहतर, इसके लिए खुले दिल से तारीफ़ करुंगा। कोविड में डी एम जब एक दिन में तीन मौतों का दावा कर रहे थे, घाट पर एक दिन में तीन तीन सौ लाशें फूंकी गईं हैं, बस बात वही है, पांच किलो राशन ने मामला संभाल लिया।
सत्येंद्र पीएस- भारतकी जनसँख्या और अफरा तफरी, यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था को देखते हुए बहुत मामूली लोग मरे।
यदुनाथ लोखंडे- नौ साल की ये उपलब्धियां भी add कीजिए भले ही post reach कम से कम हो जाए…
सत्येंद्र पीएस- वो बहुत कुछ बोलते रहते है । उसका कोई मतलब नहीं है। इसको फारवर्ड करते रहें और मस्त रहें।
जीत की वजह बता दी मैंने।
अवयव कुमार- कुछ मामले में बहुत ठीक हुआ है , जैसे डी बी टी ट्रांसफर, पंचायतों को भी पहले से बहुत ज्यादा पैसा पहुंचा है, किसान सम्मान निधि, फर्टिलाइजर , पक्के मकान, शौचालय, उज्जवला, कोरोनो में राशन और फ्री वैक्सीन, आयुष्मान भारत अगले चुनाव को पलट के रख देगी। मोदी का एक लाभार्थी वोटबैंक अलग से है जहां तक भाजपा के कार्यकर्ता पहुंचकर हाथ गोड जोड़कर वोट ले आयेंगे, विपक्ष को ये बात समझ न आएगी ।