Anu Shakti Singh-
मीना हैरिस उसी कमला हैरिस की भाँजी है जिसके अमेरिका की उपराष्ट्रपति बनने पर आप यहाँ हवन कर रहे थे।
यह शर्म से डूब जाने की बात है।
मीना हैरिस लगातार लिखती आ रही हैं। उनका पिन किया हुआ ट्वीट कहता है, “मैं नहीं डरूँगी, मुझे चुप नहीं किया जा सकेगा।”
यह जवाब है भारत की उस चेहरा विहीन ट्रोल आर्मी को जो जियो के डेटा और पहचान छुपाने की क़ीमत पर सोचती है कि वह किसी को भी डरा-धमका देगी और चुप करवा देगी।
इन चेहरा विहीन लोगों के निशाने पर अब तक हम भारत की बोलती स्त्रियाँ थीं। मुझे ना जाने कितनी बार और कितनी-कितनी मात्रा में रेप थ्रेट्स मिल चुके हैं। परिवार को गालियाँ दी गयी हैं। मैं एक्सक्लूसिव नहीं हूँ। हर बोलती हुई स्त्री के साथ पिछले साढ़े छः सालों में यही हो रहा है।
इस बार इन ज़हरबाज़ों ने अपने फ़लक का विस्तार किया है। देश से बाहर तक अपनी पहुँच बना रहे हैं। अपनी देशभक्ति का नायाब सबूत दे रहे हैं। हालाँकि मैं आश्वस्त हूँ, देश की वास्तविक प्रगति में इनमें से अधिकतर का योगदान लगभग शून्य है।
इन्हें और इनके सरगनाओं की देशभक्ति मूलतः गालियों के व्यापार पर टिकी है। जो अधिक गाली देगा वह उतना बड़ा देशभक्त। देशभक्ति की इस वीभत्स होड़ में आज हम सबसे अधिक घिनौने नज़र आ रहे हैं। यह बात इन ट्रोल्स की समझ में नहीं आएगी। उनका दरअसल देश की छवि से कोई लेना-देना ही नहीं है। अपनी पहचान छिपा कर गाली दे दी। दम्भ पूरा। अब बैठकर बिना ग्लानि के खाना खा लेना है छक कर।
वास्तव में देखें तो ग़लती इनकी भी नहीं है। ये तो पहचान को लालयित कुंठित मन भर हैं, जो अपने स्थानीय आका के पास पहुँचते हैं। आका उन्हें सहलाता है और काम पर लगा देता है। सबसे अधिक समस्याप्रद वह सहलाने वाली ब्रिगेड है जिसने थोड़ी-बहुत पहचान बना ली है। इन वफ़ादार गालीबाज़ों को पालकर छुटभैयों की तरह अपने विरोधियों को सलटाते हैं। इन छुटभैयों में समाज का हर वर्ग शामिल है। लेखक भी।