Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

राजनीति के अजातशत्रु डीपीटी ने कह दिया अलविदा! सुनें उनका एक लेक्चर

Asrar Khan : परमादरणीय बड़े भाई और हरदिल अज़ीज लीडर बेजोड़ वक्ता पूर्व सांसद DPT के नाम से मशहूर कामरेड देवी प्रसाद त्रिपाठी जी अब हमारे बीच नहीं रहे …. आपातकाल में वामपंथी छात्र संगठन SFI के बैनर से JNU छात्र संघ के अध्यक्ष थे और गिरफ्तार कर लिए गए …

आपाकाल के बाद अक्टूबर 1977 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आवास पर उन्होंने लोकतंत्र और समाजवाद के पक्ष में जो भाषण दिया था उसे मैं आज भी नहीं भूल पाया ….

Advertisement. Scroll to continue reading.

पिछले वर्ष 5 मई को उन्होंने तीनमूर्ति भवन में विश्व के सर्वकालिक महानतम दार्शनिक और सर्वहारा वर्ग के महान नेता एवं कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो जारी करने वाले कार्ल मार्क्स की 200वीं जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन अपने संगठन विचार न्यास की तरफ से किया था जिसमें बोलते हुए उन्होंने समाजवाद की सार्थकता और उसके भविष्य के बारे में कहा था कि एक दिन पूरी दुनिया में समाजवाद आएगा ..मार्क्सवाद वैज्ञानिक समाजवाद की विचारधारा है जो मेहनतकश समाज के हित में तर्कसंगत सोच के साथ खड़ा है और लड़ रहा है …

इसी 27 दिसंबर को उन्हें ग़ालिब अकादमी में डॉ अकील अहमद द्वारा आयोजित ग़ालिब की शायरी पर बोलना था जिसका टॉपिक क्या हो इसके लिए मैं उनके पास गया और उन्होंने अकील साहब से बात करके आम आदमी और ग़ालिब विषय पर बोलने की संसूती दी लेकिन उससे पहले ही वे पटपडगंज के मैक्स हॉस्पिटल में दाखिल हुए और बीमारी बढ़ती गई …और आज वह मनहूस दिन आया जब वे हमें छोड़कर चले गए …

Advertisement. Scroll to continue reading.

Om Thanvi : देवीप्रसाद त्रिपाठी नहीं रहे। साहित्य और कला के नायाब प्रेमी और ख़ैरख़्वाह थे। एनसीपी के महासचिव थे और राज्यसभा सदस्य रहे।

वे डीपीटी नाम से ज़्यादा जाने जाते थे। लम्बे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। पर जीवट ऐसा कि मित्रों के बीच शाम गुज़ारे बग़ैर उन्हें चैन नहीं पड़ता था। बालपन से चले आते आँखों के असाध्य कष्ट के बावजूद वे ख़ूब पढ़ते थे। ख़ूब किताबें ख़रीदते थे। याददाश्त अचूक थी। हिंदी, उर्दू और अंगरेज़ी के उद्धरण उनकी ज़ुबान से किसी चौपाई की तरह बहते थे। उनकी वक्तृता सदा असरदार थी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

साहित्य-संस्कृति के तो सहचर ही थे। छोटे हों चाहे बड़े, लेखकों से उनका गहरा याराना था। फ़ैज़ दिल्ली आए तो फ़ैज़ साहब की चाह पर उन्हें फ़िराक़ साहब से मिलाने इलाहाबाद (जहां वे खुद कभी पढ़ाया किए) ले गए थे। फ़हमीदा रियाज़ को पाकिस्तान की हुकूमत ने सताया, तो दिल्ली में डीपीटी के घर पनाह ली थी। नेपाल के लिए तो वे भारत के सहृदय स्वयंभू राजदूत थे। उनसे आख़िरी बात फ़ोन पर तब हुई, जब उन्हीं की तरह राजनीति और बौद्धिक गतिविधियों के बीच आवाजाही करने वाले प्रदीप गिरि काठमांडू से दिल्ली आकर उनके साथ बतरस जमाए हुए थे।

अशोक वाजपेयी के साथ बैठकर तरह-तरह के आयोजनों की कल्पना करते रहते थे। कुछ रोज़ से मुझे अपने यहाँ एक व्याख्यान देने को उकसा रहे थे। यारों के यार थे। जिसके लिए जो बन पड़ता, आगे बढ़कर ख़ुशी-ख़ुशी बग़ैर जताए करते थे। ‘थिंक इंडिया’ पत्रिका का नियमित सम्पादन-प्रकाशन करते रहे। देश में साम्प्रदायिता और छद्म राष्ट्रवाद के उबाल से बहुत आहत थे। दिल्ली में छात्रों, शिक्षकों और पत्रकारों पर राष्ट्रवाद के नाम पर हमला हुआ, तो संसद में सैमुअल जॉनसन को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा था – Patriotism is the last refuge of the scoundrel!

Advertisement. Scroll to continue reading.

उनका जाना दुखद है। दोस्तों का दोस्त चला गया। लोकतंत्र का फ़िक्रमंद, तानाशाही का निंदक चला गया। उन्हें आख़िरी सलाम करते हुए संसद में उनकी आख़िरी तक़रीर याद करता हूँ, आपसे साझा करता हूँ।

अपनी उस तक़रीर को बंद करते उन्होंने हफ़ीज़ होशियारपुरी की ग़ज़ल का यह मतला कहा था, जो आज कितना मौजूँ अनुभव होता है: “मोहब्बत करने वाले कम न होंगे, तेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे।”

Advertisement. Scroll to continue reading.

DP Tripathi’s farewell speech in Rajya Sabha. What a man. What depth of learning. RIP

वरिष्ठ पत्रकार असरार खान और ओम थानवी की एफबी वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement