नेशनल दुनिया मेरठ के कर्मचारियों और मालिक शैलेंद्र भदौरिया व मेरठ संपादक सुभाष सिंह के बीच चल रहे रण में 26 जून को नया मोड़ आया. कर्मियों को चार महीने की सेलरी का चेक दे दिया गया है. लेकिन ये पोस्ट डेटेड चेक हैं जो जुलाई में भुनने हैं. अब कर्मी डरे हुए हैं कि कहीं ऐसा तो नहीं कि कानून के डर से तुरंत चेक तो दे दिए लेकिन जब इसे जुलाई में भुनाने जाएंगे तो ये बाउंस न हो जाएं. हालांकि चेक बाउंस होना भी कानूनी अपराध है और इसको लेकर कोर्ट में कर्मी जा सकते हैं पर हर कर्मी सबसे पहले यही कामना कर रहा है कि चेक से पैसे एकाउंट में आ जाए ताकि वह घर परिवार की बुनियादी जरूरतों को पूरा कर सके.
उल्लेखनीय है कि नेशनल दुनिया मेरठ के कर्मियों ने लेबर कमिश्नर से शिकायत की हुई है. पीएफ में संगीन हेरफेर को लेकर पीएफ डिपार्टमेंट में कर्मचारियों ने संयुक्त रूप से शिकायत की है. कुछ लोगों का कहना है कि चारसौबीसी के तमाम दर्ज मामलों से बचने के लिए यह चेक दिया गया है. कर्मचारी पशोपेश में हैं कि यह चेक कहीं बाउंस न हो जाए. देखना यह है कि चेक बाउंस होते हैं या लोगों को पिछले कई माह का वेतन मिल पाता है. पिछले पखवाड़े नेशनल दुनिया द्वारा एक कर्मचारी को वेतन का चेक दिए जाने पर वह चेक बाउंस हो गया था। घबराए एकांउट सेक्शन ने मामला रफादफा कर कैश वेतन दे दिया था. फिर कहीं वैसा ही न हो जाए.
Comments on “नेशनल दुनिया के हड़ताली कर्मियों को मिला चार माह सेलरी का चेक”
नेशनल दुनिया मेरठ में इस्तीफा देने के बाद भी मेरी सैलेरी नही आयी हैं। हर बार स्थानीय संपादक सुभाष सिहं द्वारा कोई नया बहाना बनाया जाता हैं इन गरीबों की हालत देखकर लगाता हैं इस अखबार के पास कुछ बचा नही हैं अत : अगर स्थानीय संपादक लिखित रूप से नेशनल दुनिया की औकात की खस्ता हाल की दुहाई दे तो मैं इन बेचारों को अपनी सैलरी दे सकता हु। बल्कि आर्थिक मदद भी की जा सकती हैं ।