Sheetal P Singh : वित्त मंत्रालय के अनुसार देश में करीब 5500 willful defaulters हैं जिन से बैंकों को करीब साठ हजार करोड़ रुपये वसूलने हैं। माल्या के अलावा। प्रणव राय के उपर यह राशि 43 करोड़ बताई गई है जिसे वे अदा कर चुके हैं सिर्फ़ ब्याज पर यह FIR दायर है। बाकी किसी पर होमगार्ड तक नहीं पहुंचा। क्या यह तथ्य जानने के बाद भी आप सीबीआई की रेड के लिए पक्ष में पोस्ट लिख सकते हैं, कमेन्ट कर सकते हैं? आप आदमी हैं कि पाजामा?
Prabhat Dabral : अब तो मानना ही पड़ेगा कि अकेला NDTV ही है जिसने कोई कानून तोडा, बाकी सारे चैनल और उनके मालिक दूध के धुले हैं- ज़ी न्यूज़ भी…कानून तोडा है तो छापा भी पड़ेगा मुक़द्दमा भी दर्ज़ होगा…कानून अपना काम करेगा, हमें उसपर कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए….आप जो ये कह रहे हैं न कि सी बी आई और इनकम टैक्स विभाग सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं, कोरी बकवास है…तब आप कहाँ थे जब इंदिरा गाँधी वाली इमरजेंसी में आर एस एस के अख़बार मदरलैंड को बंद किया गया था, बाकियों के गैरकानूनी निर्माण को नज़रअंदाज़ करते हुए सिर्फ इंडियन एक्सप्रेस के गैरकानूनी निर्माण को सील किया गया था…सरकार का विरोध करोगे और चाहोगे कि सरकारी विभाग आँखे बंद करे रहें ये कैसे हो सकता है… वही तो हो रहा है जो इंदिरा गाँधी ने इमरजेंसी में किया था, इसलिए चिल्लाओ मत…..अभी तो विरोध करने वाले पत्रकारों की गिरफ्तारी भी नहीं हुई है, अभी से बोखला गए, ये ठीक नहीं है…
Shambhunath Shukla : सीबीआई का प्रणब रॉय के ग्रेटर कैलाश-वन स्थित आवास पर छापा हो सकता है कि रूटीन कार्रवाई के तहत हुआ हो पर यह समय गलत है। दो दिन पहले ही सत्तारूढ़ दल भाजपा के प्रवक्त संबित पात्रा को एनडीटीवी की एंकर निधि राजदान ने अपने शो से चले जाने को कहा था तब यह शुबहा होना लाजिमी है कि सरकार ने बदले की कार्रवाई के तहत यह छापा पड़वाया। मालूम हो कि श्री प्रणब रॉय एनडीटीवी के मालिक हैं। अगर श्री प्रणब रॉय और उनकी पत्नी राधिका रॉय पर आईसीआईसीआई बैंक के साथ किए गए एक करार के तहत यह छापा डाला गया तो भी इसे फिलहाल टाला जा सकता था। सरकार और सरकारी एजेंसियों को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे पब्लिक में यह मेसेज जाए कि सरकार बदला ले रही है।
Jaishankar Gupta : एनडीटीवी के संस्थापक-संचालक प्रणय राय के यहां सीबीआई का छापा निंदनीय है। इसकी टाइमिंग के मद्देनजर यह बदले की कार्रवाई भी लग सकती है। कानून और जांच एजेंसियों को अपना काम स्वतंत्रता, निष्पक्षता और बिना किसी दबाव और भेदभाव के पूरा करना चाहिए। अगर एनडीटीवी और इसके मालिकान ने कुछ गलत किया है तो उसे सामने लाकर उन पर कार्रवाई की जा सकती है लेकिन हाल के घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि को सामने रखकर देखें तो कुछ और ही लगता है। हमारी जांच एजेंसियों को असहमति की आवाज दबाने में टूल कतई नहीं बनना चाहिए।
Ankur Tiwary : कुछ दिन पहले NDTV पर कुतर्क कर रहे बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा को निधि राजदान ने स्टूडियो से भगाया था और आज एनडीटीवी के मालिक पर सीबीआई की रेड पड़ गई है। उफ्फ, सीबीआई जैसी एजेंसियों का इतना दुरुपयोग तो शायद ही किसी केंद्र सरकार ने किया होगा, जितना इस समय सरकार कर रही है। 3 साल से अधिक हो जाने पर यह बात तो तय हो गई है कि यदि कोई भी मोदी सरकार के कामकाज पर सवाल उठाने की हिमाकत करेगा तो उसे सीबीआई, आईटी जैसी एजेंसियों का डर दिखाकर मुंह पर लगाम लगाने की कोशिश की जाएगी। शर्मनाक।
Anil Singh : सत्य की परंपरा ही जीतेगी, झूठ हारेगा. रवीश ने ठीक कहा कि एनडीटीवी एक दिन में नहीं बना। जिस तरह वो सच दिखाने की राह पर चल रहा है, उसके पीछे सत्य के लिए लड़ने की हज़ारों सालों की भारतीय परंपरा है। वहीं, सत्ता झूठ का सहारा ले रही है, प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू कुछ न जानने का स्वांग रच रहे हैं, जो ऋण चुकाया जा चुका है, उसे बकाया बताकर सीबीआई से छापे मरवा रहे हैं। इसलिए तय मानिए कि अंततः झूठ की हार और सत्य की जीत निश्चित है। सत्यमेव जयते।
सौजन्य : फेसबुक
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