नितिन त्रिपाठी-
एक मित्र का बेटा पढ़ने में बिलो एवरेज था. मित्र ने उसे एक परिचित के इंजीनियरिंग कॉलेज से बी टेक करवा दिया. धक्के खा खा कर पास हुआ 5-6 साल में. फिर एक दो साल फ़ील्ड में भी धक्के खाये. फिर उन्होंने एचसीएल में कोई स्कीम थी जिसमें पचास हज़ार एक लाख कोर्स के देने थे, इसके पश्चात उसी में पंद्रह बीस हज़ार की नौकरी लग जानी थी. फ़ास्ट फॉरवर्ड सात साल. इस समय लड़के का पैकेज बारह लाख है. पत्नी लड़के से ज्यादा स्मार्ट है उसका पैकेज हाई है. लखनऊ में रहते हुवे मियाँ बीबी महीने में दो लाख कमा रहे हैं. सेट अपर मिडल क्लास लाइफ है.
वहीं उसी बैच के अन्य समकक्ष लड़के लड़कियों में किसी ने इतिहास लिया तो किसी ने अंग्रेज़ी. कोई योग टीचर बना तो किसी ने अक़्ल लगाई कि पढ़ाई में पाँच लाख लगाने से बेटर ढाबा खोल लो. आरंभ में 22-24 साल की एज में सब हिप सब कूल लगता है. अब जब ये लोग तीस साल की आयु में पहुँच रहे हैं तो ये सभी महीने में पंद्रह बीस हज़ार रेंज पर ही हैं, और ज़ाहिर सी बात है शादी भी वैसी ही हो रही है.यदि पिता जी पैसे न दें तो महीने का खर्च न चले.
भारत में यदि औसत सेलरी देखें तो पाँच से दस साल अनुभव रेंज में क्लर्क की सालाना सेलरी 3 लाख, योग टीचर की तीन लाख, इतिहास के घनघोर जानकार टॉपर क्यूरेटर की साढ़े तीन लाख है. तो वहीं इंजीनियर की 11 लाख और क्लाउड प्रोग्रामर की 15 लाख है. इसमें भी मज़ेदार बात यह कि बीस साल अनुभव और तीस साल रिटायरमेंट के समय तक तो यह अंतर इससे भी कई गुना हो जाता है. योग टीचर, मुनीम जैसी नौकरियों में तो एक लेवल के बाद तनख़्वाहें बढ़ती ही नहीं हैं. वहीं इंजीनियरिंग / हाई टेक सेगमेंट में 50-60 लाख सेलरी हाई मैनेजमेंट लेवल पर कोई अजूबा नहीं बल्कि कमीं है.
यह समय टेक्नोलॉजी का है. टेक्नोलॉजी की पढ़ाई में लगाया गया एक वर्ष आपको अन्य के मुक़ाबले पाँच वर्ष आगे कर देता है. जितना संभव हो सके अपना कैरियर टेक्नोलॉजी क्षेत्र में बनाइए वही भविष्य है.
नये साल 2024 का संकल्प लीजिए एक नई कंप्यूटर लैंग्वेज सीखेंगे या कुछ नहीं तो नेटवर्किंग / सिस्टम रिपेयर ही सीखेंगे. जैसी रुचि है उस अनुरूप कुछ न कुछ टेक्निकल सीखने को मिल ही जाएगा. यह स्किल आपको अन्य से काफ़ी आगे कर देगी.