बिहार में घिस-पिट कर चल रहे हिन्दी दैनिक ‘आज’ अखबार के प्रबंधन की संवेदनहीनता और व्यावसायिक स्वार्थ के चलते अखबार की अंदरूनी हालत खराब हो गई है। अखबार की बदहाली के चलते विभिन्न जिला एवं अनुमंडल मुख्यालयों में फैक्स एवं नेट के वाजिब खर्च में भी कटौती की जाने लगी है। ऐसा नहीं है कि हर जिले में ऐसी स्थिति है लेकिन जिन स्थानों से बिजनेस नहीं आ रहा है वहां के पत्रकारों को अपनी जेब से पैसे खर्च कर ‘आज’ को सींचना पड़ रहा है। मतलब कि प्रबंधन द्वारा जिला और अनुमंडल मुख्यालय के प्रेस प्रतिनिधियों से मुफ्त सेवा ली जा रही है।
सर्वाधिक दुःखद पहलू यह है कि जो पत्रकार तीन-चार सालों से अपनी जेब से पैसा लगाकर हर दिन समाचार प्रेषित करते हैं उन्हें भी फैक्स का वाजिब बिल तक देने में टाल-मटोल की नीति अख्तियार की जा रही है। यहां बिहार के इस सबसे पुराने अखबार से जुड़े पत्रकारों के हौसले और सहनशक्ति की भी दाद देनी होगी कि वे प्रबंधन के उपेक्षात्मक रवैये को नजरअंदाज करते हुए निःस्वार्थ भाव से ‘आज’ के अस्तित्व को बचाये हुए हैं।
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Comments on “फैक्स और नेट का पैसा नहीं देता ‘आज’, अपनी जेब से खर्चा कर रहे पत्रकार”
गनीमत समझिये की संवाददाताओं से मालिक / मैनेजर धन की मांग नहीं के रहे हैं . हो सकता है भविष्य में यह भी होने लगे . जिस अखबार में कोई स्थायी कर्मचारी न हो या नगण्य हो उस अखबार से और क्या अपेक्षा की जा सकती है.
chuki kuch aise patrkar bhi hai jo free me kaam karna pasand karte hai ,jiska fayda akhabar malik uthate hai