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सुख-दुख

पत्रकार का मोबाइल फ़ोन जब्त कर रसीद भी न देने वाले दिल्ली पुलिस के एसीपी संजीव कुमार सुप्रीम कोर्ट की इस चिंता को समझ पायेंगे?

पत्रकारों के मोबाइल फोन और लैपटॉप जब्ती को नियंत्रित करने के लिए बेहतर दिशा-निर्देश बनाने की जरूरत : सुप्रीम कोर्ट

भड़ास4मीडिया डॉट कॉम के संस्थापक और संपादक यशवंत सिंह पर फ़र्ज़ी मुक़दमा लिखने वाले दिल्ली पुलिस के एसीपी संजीव कुमार ने दो अक्टूबर गांधी जयंती के दिन जाँच में शामिल होने भारत नगर थाने गये तो उनका मोबाइल फ़ोन एसीपी संजीव कुमार ने इंस्पेक्टर सूरज पाल के ज़रिए छिनवा लिया। इस फ़ोन जब्ती की रसीद तक नहीं दी हालाँकि कई काग़ज़ों पर जबरन साइन ज़रूर कराया। पत्रकारों के साथ इस क़िस्म की बढ़ती घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता ज़ाहिर करते हुए ज़रूरी कदम उठाने के लिए कहा है।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्रकारों/मीडिया पेशेवरों के फोन, लैपटॉप या अन्य डिजिटल उपकरणों की तलाशी और जब्ती को नियंत्रित करने के लिए एक बेहतर दिशा-निर्देश बनाने की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि पत्रकारों/मीडया कर्मियों के मोबाइल व अन्य डिजिटल उपकरणों में उनके स्रोतों के बारे में गोपनीय जानकारी या विवरण हो सकते हैं। न्यायालय ने सरकार से दिशा-निर्देश बनाने की दिशा में काम करने को कहा है।

जस्टिस संजय किशन कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ ने एक मामले की जांच के दौरान जांच एजेंसियों द्वारा मीडिया कर्मियों के मोबाइल, लैपटॉप व अन्य डिजिटल उपकरणों की मनमाने तरीके से जब्त करने के आरोपों पर चिंता जाहिर करते हुए यह टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा कि कहा है कि ‘यह एक बेहद गंभीर मामला है, मीडिया पेशेवरों के फोन व अन्य डिजिटल उपकरणों में अपने स्रोत और अन्य चीजें होंगी, ऐसे में कुछ बेहतर दिशा-निर्देश की जरूरत है। यदि आप सब कुछ जब्त कर लेते हैं, तो एक समस्या है, आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कुछ दिशा-निर्देश हों।

सुप्रीम कोर्ट ने फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर यह टिप्पणी की है। याचिका में कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा अनुचित हस्तक्षेप के खिलाफ सुरक्षा उपाय स्थापित करने और डिजिटल उपकरणों की तलाशी और जब्ती के लिए व्यापक दिशा-निर्देश बनाने का आदेश देने की मांग की है।

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मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पीठ से कहा कि ‘आपराधिक मामलों की जांच करने वाले एजेंसियों के अधिकारियों को ऐसे उपकरणों की जांच करने से नहीं रोका जा सकता है। उन्होंने पीठ से कहा कि कुछ ऐसे राष्ट्रविरोधी भी हैं जो…पूरी तरह से डिजिटल उपकरणों की तलाशी व जब्ती बंद नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि मीडिया कानून से ऊपर नहीं हो सकता।

इस पर जस्टिस कौल ने कहा कि जांच एजेंसी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं करें, यह सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देशों की जरूरत है। उन्होंने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजू से कहा कि ‘मुझे एजेंसियों के पास मौजूद कुछ प्रकार की सर्व-शक्ति को स्वीकार करना बहुत मुश्किल हो रहा है… यह बहुत खतरनाक है। आपके पास बेहतर दिशानिर्देश होने चाहिए। यदि आप चाहते हैं कि हम यह करें, तो हम यह करेंगे। लेकिन मेरा विचार है कि आपको (सरकार) इसे स्वयं करना चाहिए। अब समय आ गया है कि आप यह सुनिश्चित करें कि इसका दुरुपयोग न हो।

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यह एक ऐसा राज्य नहीं हो सकता है जो केवल अपनी एजेंसियों के माध्यम से चलाया जाता है। हम आपको समय देंगे, कोई कठिनाई नहीं। लेकिन आपको अवश्य विश्लेषण करना चाहिए उनकी (मीडिया कर्मियों) की सुरक्षा के लिए किस तरह के दिशानिर्देश आवश्यक हैं। इसके साथ ही पीठ ने मामले की सुनवाई 6 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है। पीठ ने आदेश कहा है कि हमने ‘अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से कहा है कि हितों का संतुलन होना चाहिए और मीडिया कर्मियों/ पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए उचित दिशानिर्देश होने चाहिए। मैं, ‌चाहूंगा कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल इस पर काम करें और इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखें।

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