न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पत्रकार के खिलाफ़ धोखाधड़ी के आरोप में लिखाई थी एफआईआर
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अयोध्या जनपद के एक पत्रकार सुबोध श्रीवास्तव की गिरफ़्तारी पर रोक लगा दी है। पत्रकार के खिलाफ फैजाबाद जनपद न्यायालय में तैनात एक न्यायिक मजिस्ट्रेट ने धोखाधड़ी, स्त्री का अनादर व सरकारी अधिकारी को कार्य में बाधा पहुंचाने के आरोपों में लिखाई है। न्यायालय ने मामले में पत्रकार को अंतरिम राहत देने के साथ-साथ राज्य सरकार से भी जवाबी हलफ़नामा तलब किया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने सुबोध श्रीवास्तव की याचिका पर पारित किया। याची के विरुद्ध 5 अगस्त को 2022 को एक न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अयोध्या के कोतवाली नगर में आईपीसी की धारा 420, 509 व 186 के तहत एफआईआर दर्ज कराते हुए, आरोप लगाया था कि 3 अगस्त 2022 को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित महिला जनसुनवाई कार्यक्रम के दौरान याची ने अभद्र भाषा का प्रयोग किया व अमर्यादित आचरण किया।
यह भी आरोप लगाया गया कि याची बिना आमंत्रण के उक्त कार्यक्रम में गया था व याची बिना किसी सरकारी अनुमति के एक निजी चैनल कहलाता है। याची की ओर से अधिवक्ता चन्दन श्रीवास्तव की दलील थी कि एफआईआर में लगाए गए आरोपों को यदि अक्षरशः मान भी लिया जाए तो मामले में धारा 420 व 509 का अपराध नहीं बनाता।
कहा गया कि इन धाराओं को लगाने के लिए जो तथ्य होने चाहिए, वे दर्ज एफआईआर के आरोपों में नहीं हैं। यह भी दलील दी गई कि याची कोई चैनल नहीं चलाता बल्कि एक स्थानीय चैनल में काम करता है जिसे चलचित्र (वीडियो द्वारा प्रदर्शन) विनियमन के तहत मंजूरी मिली हुई है।